तकनीकी के क्षेत्र में भारत को और सुदृढ़ होना होगा

भारत में तकनीकी का तेजी से विकास हुआ है | जिओ के आने के बाद से एक बहूत बड़ी आबादी इन्टरनेट से जुड़कर कार्य कर रही है | देश में बढ़ते फ़ास्ट इन्टरनेट के कारण से आज गांवों तक सरकार की नीतियों को पहुँचाना तथा बैंक के लेनदेन को आसानी से किया जा सकता है | आज के समय में व्हात्सप्प, फेसबुक, ट्विटर, टेलीग्राम तथा इन्स्टाग्राम जेसे एप्लीकेशन सभी स्मार्टफोन में रहते हैं और यूजर इनका खूब उपयोग कर रहे हैं | 

हाल ही में विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय और सोशल मीडिया के बीच का विवाद हम सबके सामने हैं | सरकार ने स्पष्ट रूप से इन कंपनियों को कहा है कि यदि भारत में व्यापार करना है तो भारत के नियमों को मानना होगा तथा यदि इन नियमों को नहीं माना जाता है तो अपना बोरिया बिस्तर समेत करके जा सकते हैं | हालाँकि सभी ने सरकार के नियमों को मानने की बात कही है केवल ट्वीटर का व्यवहार अड़ियल रहा है | हालाँकि मोदी जी अड़ियल लोगों तथा संस्थानों को जिस प्रकार से सम्हालते हैं उसे पहले भी दुनिया ने देखा है | आशा करते हैं जल्दी ही ट्वीटर इंडिया लाइन पर आ जायेगा | भारत सरकार निजता के अधिकारों की पक्षधर है तथा सोशल मीडिया के द्वारा किसी से ठगी न हो इसके लिए कृतसंकल्पित भी है | 

ग्राहकों का व्यक्तिगत डाटा सुरक्षित रहे यह कंपनी की जिम्मेदारी है और इसे लागू कराने का कार्य सरकार कर भी रही है | इसी बीच यह भी खबर आई कि इंडियन एयरलाइन से 45 लाख ग्राहकों के डाटा हेक कर लिए गए | इनमें लोगों की व्यक्तिगत जानकारियां थी | इन जानकारियों का उपयोग बहुत से कम्पनियाँ तथा राजनैतिक दल अपने हितों के लिए करते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह डाटा बैचे जाते हैं | इसी प्रकार पिजा बेचने वाली कंपनी डोमिनोज के 18 करोड लोगों के डाटा हेक कर लिए गए है |

हेकारों द्वारा लगातार इस प्रकार के कृत्य किये जा रहे हैं| जिससे लोगों के मन में साइबर अपराध के प्रति आशंका को और बढ़ावा मिल रहा है | शहरों में तो डिजिटल क्रांति के बाद अब लोग अपनी छोटी से छोटी चीजों की खरीदारी भी ऑनलाइन ही कर रहे हैं | लेकिन यदि इस प्रकार से लगातार डाटा चोरी की घटना लगातार बढती रही तो लोगों के मन में यह आशंका और बढती चली जाएगी | 

भारत में जैसे जैसे डिजिटल क्रांति का विस्तार हुआ है वैसे वैसे साइबर हमलों में भी विस्तार देखने को मिला है | नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2015 में साइबर क्राइम के 11,592 मामले दर्ज किये गए जब्दी 2017 में यह बढ़कर 21,796 हो गई | केवल इन दो वर्षों में 88 फीसदी की यह बढ़ोत्तरी इसकी गंभीरता को प्रदर्शित करती है | इसी प्रकार देश में नित नए साइबर अपराध बढ़ रहे हैं | साइबर अपराध में लगातार अपराध लोगों के लिए समस्या बनती जा रही है | बुजुर्ग एवं महिलाओं के लिए तो यह और भी विकृत रूप ले लेती है | देश भर में ऐसे कई केस देखने को मिले हैं जहाँ फर्जी कॉल के माध्यम से बुजुर्गों के बैंकों से लोगों ने पैसे निकल लिए है | क्लोन बनाकर लोगों के क्रेडिट कार्ड को लुट लिया हो | कहने का अर्थ है की बढ़ते साइबर अपराध की रोकथाम के लिए कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत है | 

मौजूदा समय में जो कानून है उसमें सूचना एवं तकनीकी अधिनियम 2020 के तहत इन अपराधों पर नज़र रखी जाती है |  इस अधिनियम की धारा 77ए कहती है कि अपराधी को अधिकतम केवल 3 वर्ष की सजा दी जा सकती है | अभी भी इन अपराधों को गैरजमानती नहीं रखा गया है | इससे अपराधी अपराध करके जमानत पर बाहर आ जाते हैं और अपने काले धंधे को अंजाम देने लग जाते हैं | निश्चित भारत को साइबर हमले के कानून को और भी सख्त रखने की जरूरत है | 

आज भारत समेत दुनिया के सामने साइबर हमले किसी युद्ध के समान ही हैं | आने वाला युद्ध देशों के बीच में धरती पर नहीं लड़ा जायेगा आने वाला युद्ध इन्टरनेट के माध्यम से एक दूसरे की अर्थव्यवस्था को जोट पहुंचाकर होगा | आने वाला युद्ध में वह सभी कुछ होगा जिससे एक दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था पर कुठाराघात किया जा सके | इसीलिए समय रहते हुए भारत के साइबर अपराध को और मजबूत करने की जरूरत है | जरूरत इस बात कि है लोग आराम से सो सके कि वह सुरक्षित है | यह सुरक्षा की गारंटी देना सरकार का कर्त्तव्य है | 

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha


वैश्विक स्तर पर भारत विरोधी अभियान

ये सच है कि भारत वर्तमान समय में कोरोना की चुनौतियों का सामना कर रहा है | केंद्र एवं राज्यों की सरकारें अपने अपने स्तर पर जनता को अधिक से अधिक सुविधा देने का लगातार प्रयास कर रही है | आपसी राजनैतिक रस्साकस्सी को छोड़ दें तो समाज के सभी वर्गों ने इस भीषण संकट में एक दूसरे की सहायता करने का काम किया है | 

जब से केंद्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का गठन हुआ है तब से अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी असहज महसूस कर रहा है उससे भी ज्यादा असहजता यूरोपीय मीडिया को हो रही है | इन मीडिया समूहों द्वारा भारत को बदनाम करने के लिए वह सभी सच झूठ कहा और लिखा जाता है जिससे भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि धूमिल हो | अभी पिछले कुछ दिनों पहले ही ‘न्यूयार्क टाइम्स’ द्वारा झूठी खबर छापी गई कि भारत में मौतों के आंकड़ों को छुपाया जा रहा है | हालाँकि भारत सरकार ने तुरंत इस खबर का खंडन किया तथा कहा कि यह केवल कल्पनालोक का समाचार है | प्रश्न यह उठता है आखिर क्यों इस प्रकार के निराधार ख़बरों को अंतरराष्ट्रीय मंचों द्वारा उठाया जाता है | जबकि सभी को पता है कोरोना की पहली लहर के साथ ही भारत सरकार द्वारा आरोग्य सेतु एप्प के माध्यम से सभी लोगों का डाटा एक जगह रखा जाता है | 

जब कोरोना की पहली लहर आई तब भारत ने दुनिया के अन्य देशों से अच्छा प्रबंध किया था | सभी राशनधारकों को मुफ्त में राशन उपलब्ध करवाएं | कोविड को कण्ट्रोल करने के लिए नए नए अस्पतालों का निर्माण करवाया करवाया गया | दूसरी लहर में भी लोगों को राशन दिए गए, जहाँ जहाँ ऑक्सीजन की कमी होती सरकार तेज गति से ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए सदा तत्पर रहती | हमने रेलवे को पूरे देश में ऑक्सीजन की सप्लाई करते देखा है | हमने देखा कि किस प्रकार प्रधानमंत्री द्वारा दिन रात एक करके लोगों की जाने बचाने के लिए नए नए कदम उठाये गए | 

सरकार के अलावा लोगों द्वारा जो सहयोग रहा है वह अद्वितीय रहा है | देश के हजारों सामाजिक संगठनों तथा गुरुद्वारों ने जितनी संवेदनशीलता के साथ आम लोगों की सहायता की वह विश्व के सामने अद्वितीय उदहारण है | इन विदेशी समाचार पत्रों की नज़रें इन समाचारों पर भी जानी चाहिए थी लेकिन यह सब उनके एजेंडे में फिट नहीं बैठता है | यह सब दिखाने से भारत की छवि धूमिल नहीं हो पायेगी | 

यह सच है कि अचानक से दूसरी लहर में लोगों को दिक्कत परेशानियों का सामना करना पड़ा लेकिन सरकार और समाज की सक्रियता लोगों के लिए मिसाल पेश करके गई है | 

ये कुछ मौके होते हैं जब देश के सभी लोगों को अपनी राष्ट्रभक्ति का परिचय देना चाहिए | व्यवस्था है तो उसमें सदैव कुछ न कुछ खामिया रहेंगी ही लेकिन उन खामियों को यदि समय रहते हुए दूर किया जाता है तो इसके लिए अनावश्यक रूप से देश की छवि को न तो ख़राब करना चाहिए और न ही किसी को इसकी अनुमति देनी चाहिए | 

वास्तव में जब से नरेन्द्र मोदी ने सत्ता को सम्हाला है तब से कुछ खास लोगों का वर्ग जो आज तक भारत को अपने अपने हितों के लिए उपयोग करते रहे हैं बहूत से परेशानियों का सामना कर रहे है | लेकिन यह भी सुखद संयोग है कि नरेन्द्र मोदी ने अपनी दूरदर्शिता एवं प्रबंधन के आधार पर इन चुनौतियों को जानते हैं, समझते हैं और इसका सामना करने की पहले से नीति तथा रणनीति का निर्माण करके रखते हैं | 

संभवतः भारत के इतिहास में यह पहली सरकार होगी जो षड्यंत्रों को पहले से समझकर कार्य करती है | फिर यह षड़यंत्र अंतरराष्ट्रीय हो या अंतर्देशीय हो | भारत के अन्दर ही आज भी एक बहूत बड़ा वर्ग ऐसा है तो इस बात को स्वीकार नहीं कर पाया है कि मोदी जी भारत राष्ट्र के प्रधानमंत्री हैं जिन्हें देश की जनता ने एक बार नहीं बल्कि 2 बार भारी मतों के साथ विजयी बनाया है | यह हलचल इस बात की भी हो सकती है कि आखिर वर्तमान प्रधानमंत्री तथा सरकार को किस प्रकार पहले से ही पता चल जाता है कि दुश्मन किस प्रकार की व्यूह रचना बना रहा है और मोदी जी उस व्यूह रचना से बाहर निकलने के उपाय पहले से ही खोज के रखते हैं | 

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha 


यास चक्रवात और मुस्तैद सरकार

चक्रवात यास बुधवार शाम तक भारतीय तटों पर जब टकराएगा तो भरी तबाही मचाने वाला है  | इससे बचने के लिए सरकार के द्वारा व्यापक इंतजाम किये जा रहे हैं | चक्रवात से अधिक से अधिक लोगों को बचाया जा सके इसके लिए सभी क्षेत्रों को 2 श्रेणियों में बांटा गया है | पहला तीव्र जोखिम वाले क्षेत्र तथा दूसरा कम जोखिम वाले क्षेत्र | तीव्र जोखिम वाले क्षेत्रों में शासन और प्रशासन को मुस्तैद कर दिया गया है जिससे कम से कम नुकसान हो और लोगों को जल्दी जल्दी इस नुकसान की भरपाई करवाई जा सके | 

इस प्रकार के तूफानों में 2 कामों को बड़ी तेज गति से करना होता है पहला चक्रवात में फंसे लोगों को जल्दी से जल्दी बाहर निकलना तथा उनकी व्यवस्था करना तथा जल्दी से जल्दी क्षेत्र में बिजली की सप्लाई को करवाना | क्योंकि जब तूफान आता हैं तो सबकुछ नष्ट करके जाता है | बिना बिजली के रहत कार्यों में भी बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है | 

बचाव कार्यों में जो लोग जाते हैं उनका सम्बन्ध अन्य राज्यों से होता है | ऐसी परिस्थिति में उनसे संवाद उनकी निजी भाषा में हो सके यह जरूरी है | इसीलिए इस प्रकार के बचाव कार्यों में स्थानीय भाषा में सूचना सभी तक पहुंचे यह आवश्यक हो जाता है | इसके लिए स्थानीय प्रशासन तथा लोगों की सहायता लेनी चाहिए | 

मौसम विभाग द्वारा जो जानकारी दी गई है उसके अनुसार 26 मई को 155 से 165 किलीमीटर की रफ़्तार से 185 किलोमीटर तक चक्रवात तूफान आएगा | इसके आसपास के राज्यों में भरी आंधी तूफान तथा वर्षा का अनुमान लगाया जा रहा है | इस तूफान में बंगाल तथा उड़ीसा को सबसे ज्यादा नुकसान होने वाला है | 

हालाँकि मुस्तैद प्रशासन सभी प्रकार की समस्या को सम्हालने के लिए खड़ा है | राज्यों के अधिकारी केंद्र तथा स्थानीय प्रशासन के साथ बेहतर समन्वय के साथ कार्य कर रहे हैं | दिल्ली से गृहमंत्रालय ने भी इस तूफान पर अपनी कड़ी नज़र बना रखी है | आपदा मोचन बल की 46 टीमें राहत कार्यों के लिए पहले से पहुँच चुकी है | तटों पर हेलीकोप्टरों की तैनाती की जा चुकी है | वायुसेना भी मुस्तैदी के साथ बचाव कार्य करने के लिए खड़ा है | वायुसेना पश्चिमी तट पर 7 पोतों की तैनाती की गई है | बिजली विभाग मुस्तैद है | पेट्रोलियम मंत्रालय ने प्राकृतिक गेस में लगी कंपनियों को कहा है कि वह अपनी नौकाओं सुरक्षित बंदरगाहों पर ले आयें | जिससे किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न घटे | इस प्रकार के सुरक्षा इंतजाम से निश्चित ही आने वाले तूफान से कम से कम नुकसान के साथ जान माल को सुरक्षित बचाया जा सकेगा | 

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha


कोविड का कहर

अप्रैल में जिस प्रकार से अचानक कोरोना के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ और मृत्यु दर में बढ़ोतरी हुई उसने सरकारों के हाथ पाँव फुला दिए थे | सरकारों ने भी जितना संभव हुआ सभी प्रकार के विकल्पों को ध्यान में रखकर जनता को अधिक से अधिक राहत देने का प्रयास किया | लेकिन अब जब सरकार द्वारा थोड़ी सख्ताई की गई तब अब धीरे धीरे कोरोना के मरीजों की संख्या में कमी को दर्ज किया जा रहा है | अब पहले की तुलना में मृत्यु भी कम हो रही है | देश के लगभग सभी राज्यों ने अपनी अपनी आवश्यकता के अनुसार लॉकडाउन की घोषणा करते हुए इसे कण्ट्रोल करने का प्रयास किया |

आज सबसे बड़ी बहस का विषय यह है कि आखिर कब तक इस प्रकार के लॉकडाउन को लगाया जायेगा | इससे जहाँ देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ता है वहीँ आम गरीब जनता को रोटी के लाले पड़ जाते हैं | यह बात शत प्रतिशत सत्य है कि यदि देश को इस प्रकार के लॉकडाउन से मुक्ति चाहिए तो जल्दी से जल्दी सभी लोगों को कोरोना का टीका लगाया जाना जरूरी है जिससे अधिक से अधिक अधिक लोगों के शारीर में इस बीमारी से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सकते | केंद्र एवं राज्य के सरकारे अपने अपने स्तर पर अधिकतम प्रयास भी कर रही है | सरकारे जनता को जल्दी से जल्दी टीका लगे इसके लिए सभी प्रकार के विकल्पों की खोज कर रही है | 

भारत के लिए गर्व की बात है कि आज भारत को टीके की तकनीक के लिए किसी विदेशी देश या संस्था पर निर्भर होना नहीं पड़ रहा है | भारत के वैज्ञानिकों ने कम समय में ही अपने देश का टीका विकसित किया है | और हमारे देश की फार्मा कम्पनियाँ अधिक से अधिक उत्पादन करने का प्रयास कर रही है | प्रधामंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भी जिस प्रकार से इन फार्मा क्षेत्र को प्रोत्साहित किया गया है वह तारीफ के लायक है | 

भारत बायोटेक द्वारा को-वैक्सीन  का निर्माण किया गया, वहीँ सीरम इंस्टिट्यूट ने ब्रिटेन की दवाई का भारत में उत्पादन शुरू किया | जब देश में प्रधानमंत्री द्वारा इन दोनों टीके की घोषणा की गई थी उस समय अनावश्यक राजनीति के कारण लोगों के मन में एक अलग प्रकार का भ्रम पैदा करने का काम किया गया था | इस राजनीति के कारण बहुत से लोगों ने कोरोना के टीके नहीं लगवाए और वह संक्रमित होते चले गए | समाजवादी पार्टी द्वारा तो इसे भाजपा का टीका तक कह दिया गया था | इस प्रकार की हल्की टिप्पणी से देश को बहुत ही नुकसान होता है | ऐसी भी खबरे आई की यह टीका लेने से लोगों के खून के थक्के जम जाते हैं बल्कि सच्चाई यह है कि इसका प्रतिशत बहूत ही कम था | अब जब केस बढ़ने शुरू हुए तो लोगों को अब टीके की जरूरत समझ आ रही है | इस बात को सभी लोग जानते हैं कि किसी भी चीज का उत्पादन अचानक नहीं किया जा सकता है | दवाई के उत्पादन के लिए विशेष प्रकार की व्यवस्था करनी पड़ती है | सम्पूर्ण व्यवस्था के  अभाव में दवाई का उत्पादन नहीं किया जा सकता है | 

जब 2020 की समाप्ति हुई तो उस समय मनाया जा रहा था कि जल्दी से जल्दी कोरोना समाप्त हो जायेगा क्योंकि 16 जनवरी 2021 से टीकाकरण की शुरुआत हो रही थी | भारत ने पहली लहर के दौरान जिस प्रकार से सफलतापूर्वक कोरोना को नियंत्रित किया उसकी चर्चा भारत समेत विदेशों में भी हुई थी| लेकिन धीरे धीरे कोरोना के टीके पर होती राजनीति ने इसकी रफ़्तार को धीमा कर दिया | आज भी लगभग 30 लाख स्वास्थ्यकर्मी ऐसे हैं जिन्हें कोरोना के टीके लगने बांकी हैं | इन्हें सबसे पहले टीके लगाये गए थे | जैसे जैसे टीके की खपत बढ़ती गई सरकारें भी अपने आर्डर को बढाती गई | सच्चाई तो यह है कि भारत में यह कल्पना ही नहीं की गई थी कि कोरोना की दूसरी लहर इतनी भयावह होगी | 

यह अनुमान लगाया जा रहा है कि जुलाई तक देश में पर्याप्त टीके की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी | क्योंकि सरकार ने जिन कंपनियों के साथ बात की है उनके अनुसार जुलाई में 216 करोड़ टीके की खुराक उपलब्ध करवाई जा सकती है | ऐसे में यह तो यह बात है कि हम सभी को जुलाई तक कोरोना के नियमों का कड़ाई से पालन करना ही होगा | जब देश में पर्याप्त टीके उपलब्ध हो जायेंगे तो सभी लोगों को अपनी बारी आने पर कोरोना के टीके अवश्य ही लगवाने चाहिए | 

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha


किसान आन्दोलन मृत्यु के द्वार तक

आज देश इस सदी की सबसे बड़ी त्रासदी को झेल रहा है | ऐसे विकट समय में क्या सरकार, क्या सामाजिक संगठन तथा आम जनता, सबकी यही एक इच्छा है कि जल्दी से जल्दी कोरोना महामारी से सभी को निजात मिले | इस महामारी से व्यापकता इसी बात से लगाई जा सकती है कि केवल दिल्ली में 200 से अधिक डाक्टरों ने अपने जीवन की आहूति लोगों की जान बचाने के लिए दे दी | सरकारी विभाग में काम करने वाले न जाने कितने अधिकारी, कर्मचारी, नेता, विधायक, संसद, मंत्री तथा आम जनता इस बीमारी के कारण अब इस दुनिया में नहीं रहे हैं | 

लेकिन इस बीच किसानों के नाम पर आन्दोलन करने वाले जब कोरोना नियमों की अनदेखी करते हुए दिल्ली कूच की बात करते हैं तो उनकी यह संवेदनहीनता समाज को रास नहीं आती है | यह सच है कि हमारे संविधान ने हमें आन्दोलन करने की स्वतंत्रता दी है| लेकिन यह हमारा नैतिक कर्तव्य है कि आन्दोलन के लिए सही समय का इंतज़ार तो करें | आन्दोलन के नाम पर सैकड़ों लोगों को मृत्यु के द्वार पर लेकर जाने को किसी भी प्रकार से उचित नहीं ठहराया जा सकता है | हो सकता है कि इस आन्दोलन के कारण कुछ लोगों के राजनैतिक हित सधते हों लेकिन अपने निहित राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए आम जनमानस के जान को खतरे में नहीं डालना चाहिए | 

इससे पहले ही जब सरकार तथा संगठनों के बीच 11 दौर की बातचीत का सिलसिला चल रहा था उसी दौरान इन संगठनों को अपना अहंकार त्याग करके सरकार के साथ कोई बीच का रास्ता निकाल लेना चाहिए था | क्योंकि इस प्रकार के आन्दोलन में जो नेता होता है वह तो सुरक्षित रहता है लेकिन बेचारी आम जनता तथा गरीब कार्यकर्ता वक्त की मार को झेलने के लिए मजबूर हो जाता है | 

संवाद द्वारा बड़ी से बड़ी समस्या का हल निकाला जा सकता हैं | संवाद कभी भी एक पक्षीय नहीं हो सकता है | संवाद में कभी भी एक पक्षीय विषय नहीं चल पाते हैं | जो लोग इस प्रकार का संवाद करते हैं वास्तव में वह समस्या का समाधान नहीं चाहते हैं बल्कि अपनी हठधर्मिता को सिद्ध करना चाहते हैं | इस आन्दोलन के दौरान भी यही हुआ| जनता ने जब देखा कि आन्दोलन का नेतृत्व करने वाले केवल अपनी हठधर्मिता को मनाने के लिए आये हैं तो ऐसे में आम जनता का समर्थन भी समाप्त होता चला गया | आज यह आन्दोलन मुट्ठी भर लोगों का कार्यक्रम बनकर रह गया है | 

इस बात से नाकारा नहीं जा सकता है कि इस प्रकार के आन्दोलन के कारण ही कोरोना का प्रसार गाँव गाँव तक पहुँच गया तथा गावों में सीमित मेडिकल सुविधा होने के कारण वहां पर मृत्यु दर भी अधिक रहा है | आज पंजाब, उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा में जो केस बढे हैं उसमें इस अड़ियल आन्दोलन का बहुत बड़ी भूमिका है | 

वास्तव में यह समय किसी भी प्रकार के जमावड़े का नहीं है | यह समय आपसी सहमती करके इस संकट काल में आम जनता की जान को बचाने का है | यदि इस देश की जनता सुरक्षित रहेगी तो राजनीति करने के लिए  आगे और भी मौके मिलेंगे | दबाव समूहों का कार्य जनता के हित में फैसले कराने के लिए होना चाहिए न कि खुद की राजनीति करने के लिए जनता को मौत में धकेलने के लिए | 

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha



अभूतपूर्व संकट में बढ़ता सामाजिक सौहार्द

भारत के प्रत्येक नागरिक को गरिमापूर्वक देश में रहने की स्वतंत्रता है | हमारी चुनी हुई सरकार का प्रमुख कार्य लोककल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है | अर्थात सरकार द्वारा ऐसे काम किये जायेंगे जिससे लोगों का कल्याण हो | कोरोना महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौरान भी हमने देखा कि किस प्रकार से सरकार ने बड़ी तत्परता से देश तथा विदेश से संसाधनों को इकठ्ठा करके लोगों के लिए उपलब्ध करवाए | जहाँ जहाँ अस्पताल कम पड़ रहे थे वहां पर नए अस्पताल बनाये गए | पीएम केयर फण्ड के मध्यम से वेंटिलेटरों को पूरे देश में स्थापित किये गए | अचानक बढ़ी ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए सरकार द्वारा स्पेशल ट्रेन का संचालन किया गया | देश के सभी राशंधारियों को मुफ्त में राशन उपलब्ध कराये गए | ऐसे अनेक कार्य सरकार द्वारा ऐसी विषम परिस्थिति में जनता के कल्याण के लिए किये गए | 

कल्पना कीजिये की देश में किसी भी प्रकार की सरकार न होती तो आज का यह समय कितना भयावह होता | चारो तरफ लुफ खसोट मच चुकी होती | जिसको जहाँ मौका मिलता वह वहीँ लूटना शुरू कर देता | ऐसे विकट काल में ही सरकार की उपयोगिता हम सभी को महसूस होती है | 

सरकार के साथ साथ सामाजिक संगठनों ने इस महामारी से लड़ने के लिए जिस प्रकार की तत्परता दिखाई है वह निसंदेह ही प्रशंसा के लायक है | क्या मंदिर और क्या गुरूद्वारे सभी  ने अपनी क्षमता के आधार पर आमजनों की सेवा करने के लिए दिन रात एक कर दिया | जहाँ पर कोई भी व्यवस्था नहीं थी वहां पर सामुदायिक स्तर पर लोगों ने आपस में संसाधन इकठ्ठा करके एक दूसरों की सहायता की | यह सब भारतीयता को दर्शाता है | जब जब भारत पर कोई बड़ा संकट आता है तो किस प्रकार इस देश के लोग अपने देश तथा देशवासियों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं | 

प्रारंभ में कोरोना की बीमारी शहरों में अधिक थी | धीरे धीरे यह गावों की तरफ भी बढती गई | कुछ गाँव वालों ने तो आपसी सहमती के आधार पर बाहरी लोगों पर प्रतिबन्ध लगाकर अपने अपने गावों की सुरक्षा की | ऐसे अनेक प्रयोग पूरे देश में कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए किये गए | 

इसी प्रकार जिन परिवारों में कोई एक कमाने वाला था और वह अब नहीं रहा ऐसे परिवार की चिंता आपसी सहयोग के आधार पर भी की गई | आपस में दोस्तों ने पैसा इकठ्ठा करके एक दूसरे को सहयोग किया | 

इस महामारी के कारन बहुत से लोगों के सपने पूरे करने में समस्या जरूर आ रही है | लेकिन मजबूत इरादे और हौंसलों के कारण लोग अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वैकल्पिक मार्ग की तलाश कर रहे हैं | जहाँ पर पैसे से की कमी पड़ रही है वहां पर लोग कुछ ऐसे छोटे व्यवसाय शुरू कर रहे हैं जिसे आपातकालीन सेवा की सूची में रखा गया हो | जिससे उनके परिवार का भरण पोषण भी चलता रहे और अपने लक्ष्य के लिए संसाधन भी एकत्रित होते रहें | 

ऐसे एक नहीं अनेक उदहारण प्रतिदिन हम सबके सामने आते हैं जो यह बताते हैं कि भारत एक देश संवेदनशील राष्ट्र है |

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha


ऐसे गाँव नहीं बचेंगें

कोरोना की पहली लहर के दौरान भारत सरकार द्वारा रेल सेवा को बंद कर दिया गया थी | लोगों की शहरों से गांवों तक आवाजाही सीमित रही | इस कारन से गावों तक कोरोना का प्रसार अपेक्षाकृत कम रहा | लेकिन दूसरी लहर में गाँव के गाँव कोरोना से पीड़ित है और त्राहिमाम त्राहिमाम बचा हुआ है | गावों देहातो में कोरोना के कारण होती मौत इस बात का प्रमाण है कि किस प्रकार से कोरोना ने इसे अपने चपेट में लिया है | 

जब हम गाँव की चर्चा करते हैं तो मन में कल्पना आती है शांत एवं शुद्ध वातावरण की | जहाँ पर सभी लोग आपसी सहस्तित्व के लिए प्रगतिशील रहते हों | लेकिन जिस प्रकार से दिन प्रतिदिन गावों की शहरों पर निर्भरता बढ़ रही है उससे तो यही लगता है कि गावों के लिए आना वाला समय और भी कष्टकारी होने वाला है | गावों में पर्याप्त रोज़गार न होने के कारण कामगार मजदूरों को शहरों का रुख करना पड़ता है और जब कोरोना जैसी महामारी घेर लेती है तो वापिस अपने गावों की तरफ लौटना पड़ता है | 

गावों में खेती का आधुनिकरण न होने से कृषि का व्यवसाय अब घाटे का सौदा ही रह गया है | 


डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha

9958806745



कोरोना की तीसरी लहर से कैसे बचा जाये

देश कोरोना की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित हुआ है | लोगों का शहरों से पलायन होता गया और अब यह बीमारी दूर दराज के गावों में फैलती जा रही है | पहले लॉकडाउन में ट्रेन बंद हो जाने के कारण लोगों की आवाजाही रुक गई थी | इसलिए गाँव के अधिकतर हिस्से को बचा लिया गया था | लेकिन दूसरी लहर में सरकार द्वारा ट्रेन को पूर्ण रूप से रोकने का निर्णय नहीं लिया गया | हालाँकि सवारी न मिलने के कारन अधिक दूरी की रेलों को बंद कर दिया गया है लेकिन अब सभी लोग अपने गावों तक पहुँच गए हैं | 

कोरोना की बीमारी कब तक रहेगी इस पर शोध चल रहा है | कोई भी दावा अंतिम नहीं है | ऐसे अनिश्चित माहौल में समाज समाज का संतुलन बिगड़ता जा रहा है | हालाँकि चिकित्सा विशेषज्ञ इस महामारी से सम्पूर्ण मानव को बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं | जब से यह खबर आई है कि कोरोना की तीसरी लहर और भी खतरनाक होगी और यह बच्चों और युवाओं को अधिक प्रभावित करेगी तब से लोगों के मन में दहशत का माहौल बन गया है | 

भारत सरकात के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन ने जब मीडिया में आकर लोगों को तीसरी लहर के बारे में बताया तो पूरा देश इस बात को सुन कर सन्न हो गया है | हालाँकि चिकित्सा विशेषज्ञ, राज्य एवं केंद्र की सरकारे इससे बचाने के लिए सतत कार्य कर रही हैं | विशेषज्ञों के अनुसार सितम्बर से लेकर दिसंबर तक के बीच यह लहर आ सकती है | हालाँकि अभी सरकारों के पास इस लहर से बचने का पर्याप्त समय है | देश आशा करता है कि केंद्र और राज्य की सरकारें समय रहते हुए इस लहर का सामना करने के लिए समुचित व्यवस्था जरूर करेंगे | 

कोरोना की लहर जब आती है तो बड़ी तेज गति से आती है | वह अचानक लोगों को अपने चंगुल में ले लेती है | जैसे पिछले 13 दिनों में अचानक 50 हजार लोगों की मौत ने देश को भयभीत कर दिया था | 

भारत में मार्च अप्रैल में अचानक कोरोना के मामले में वृद्धि दर्ज की गई थी | आज 100 में से एक व्यक्ति मृत्यु की तरफ बढ़ रहा है | उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश महाराष्ट्र, पंजाब गुजरात, पश्चिम बंगाल आदि जैसे राज्य इस बीमारी से बुरी तरह प्रभावित हुए है | इसका सबसे बड़ा कारण है लोगों ने सतर्कता में ढिलाई कर दी थी| कोरोना से बचने के लिए निश्चित प्रोटोकॉल सरकार ने तय किये थे उसका उल्लंघन होता रहा और लोग कोरोना से तेज गति से ग्रसित होते गए | जो लोग शहरों से गांवों की तरफ पलायन किये उन्होंने भी वहां समय रहते हुए कोरोना के प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया | देश भर में सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन पहले की ही भांति होने लगा| बड़े बड़े सामाजिक और धार्मिक आयोजन शुरू हो गए | 

यदि हम गाँव की बात करते हैं तो वहां की स्वास्थ्य सुविधा भगवन भरोसे ही है | न हॉस्पिटल है, न डॉक्टर है और न ही किसी प्रकार की सुविधा उपलब्ध है | गावों में तो या तो झोलाछाप डॉक्टर से इलाज करवाना पड़ता है या जादू टोने का सहारा लेना होता है | आज तक ने हाल ही में जो खबर दिखाई उसमें बिहार और उत्तर प्रदेश के अस्पतालों के बारे में दिखाया गया किस प्रकार अस्पतालों के अन्दर भेंस के खाने वाला भूसा भरा हुआ है | सरकार एवं शासन प्रशासन न जाने कब आम गरीब जनता के हित के लिए जागरूक होगा | 

गावों में यदि किसी व्यक्ति को कोरोना हो जाये तो उसे वह पहले की तरह बुखार और खांसी समझ कर इजाज करवाता है | गावों में अभी भी भरोसा नहीं हो पा रहा है कि कोरोना नाम की कोई बीमारी है | क्योंकि कोरोना के लक्षण भी पहले की बीमारी की तरह ही है | जब बड़े बड़े शहरों में कोरोना की टेस्टिंग नहीं की जा रही है तो समझा जा सकता है कि गावों का क्या हाल होगा | गावों में कोरोना टेस्टिंग केवल खाना पूर्ति ही है | ऊपर से रूढ़िवादिता की हद्द तो गावों में है ही हम सभी ने देखा की उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में काजी साहब के जनाजे के जुलुस में किस प्रकार की भीड़ उमड़ी थी | इन भीड़ों ने कोरोना के नियमों की धज्जियाँ उड़ा के रख दी थी | 

प्रश्न उठता है कि सरकार केवल व्यवस्था कर सकता है लेकिन समाज को जनजागृत करने का काम कौन करेगा, कौन जनमानस को यह बात समझाएगा की मृत्यु से बचना है तो सरकार की बातों को मानना ही होगा | सभी प्रकार के आन्दोलन एवं आयोजन मनुष्य के जीवन से अधिक कीमती नहीं हो सकते हैं | राजनैतिक सामाजिक जिद्द कहीं हमारे ही समाज के लोगों को अकाल मृत्यु की राह पर न धकेल दे | समाज के स्थानीय लोगों को इसके लिए चेतना प्रवाह करना ही होगा | यही आज के समय का सबसे बड़ा सामाजिक कार्य है | सभी प्रकार के भ्रमों से दूर रहते हुए, सभी प्रकार के पूर्वाग्रहों से दूर रहते हुए समाज को बचाने का कार्य करना होगा |


डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha

9958806745



राजनैतिक पूर्वाग्रहों से मुक्त हों दल

यह संकट काल है, किसी भी राजनैतिक दल के लिए यह यह राजनीति करने का अवसर नहीं होना चाहिए | यदि समाज सुरक्षित रहेगा तो राजनीति होती रहेगी और राजनेता बनते रहेंगे | यह सच है कि कोरोना के कारण हम सब यह जान गए कि भारत की चिकित्सा व्यवस्था अभी उतनी तंदरुस्त नहीं हुई है जितनी समय की मांग है | रही सही कसर राजनैतिक तूतू मैंमैं ने पूरी कर दी है | पहले लॉकडाउन के कारण हम कोरोना की लहर से बचने में कामयाब हो गए लेकिन सरकार तथा जनता को इस बात का इल्म ही नहीं था कि दूसरी लहर इतनी भयावह होगी | संभवतः देश की सबसे बड़ी संस्था नीति आयोग भी इसका अनुमान नहीं कर पाया था कि कोरोना की दूसरी लहर से देश का इतना बड़ा नुकसान हो सकता है | नीति आयोग को समय रहते हुए सरकार को चेताना चाहिए था और आवश्यक कदम उठाने के लिए कहना चाहिए था | यदि नीति आयोग ने ऐसा किया होता तो आज की स्थिति कुछ भिन्न होती | 

आज जब हम इस भयावह त्रासदी को झेल रहे हैं तब भारत सरकार विश्व की अन्य कंपनियों के साथ करार करने की बात कर रही है | माडरेना, जॉनसन एंड जॉनसन तथा फाईजर कम्पनियाँ कोरोना की वैक्सीन को बनाने का काम करती है | भारत सरकार ने तो यहाँ तक कहा है कि वह भारत में अपने उत्पादन यूनिट भी लगा सकते हैं | देश के बच्चे को बचाने के लिए आज वैक्सीन की जरूरत है | आज दुनिया इस बात को समझ चुकी है कि यदि मानव जाती को बचाना है तो सभी लोगों का टीकाकरण आवश्यक है | 

प्रारंभ में वैक्सीन को लेकर हमारे देश के राजनेताओं का जिस तरह का वर्ताव रहा है वह बहुत ही निंदनीय रहा है | इनकी बातों से एक नकारात्मक माहौल भी बना | अब इन्हें सम्हल कर बोलना चाहिए | इस प्रकार के गैर जिम्मेदाराना बयान से आपको तात्कालिक राजनैतिक लाभ तो मिल जाता है लेकिन देश में बहुत विशाल संकट खड़ा हो जाता है | 

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha
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कोरोना काल में राजनैतिक दलों का उत्तरदायित्व

राजनीति और सामाजिक क्षेत्र आपस में जुड़ा हुआ है | हालाँकि दोनों क्षेत्रों में एक बारीक़ रेखा इसे एक दूसरे से अलग जरूर करती है | राजनैतिक दलों को सामाजिक विषयों पर चर्चा करनी होती है और सामाजिक विषय बिना राजनैतिक सहयोग के व्यापक स्तर पर संभव नहीं होता है | 

हमारा देश जब कोरोना की दूसरी लहर को झेल रहा है, ऐसे समय में राजनैतिक दलों तथा सामाजिक दलों का क्या उत्तरदायित्व है ? इन दोनों ही क्षेत्रों से जैसी अपेक्षा की जाती है क्या वह हो रहा है इस पर विचार करने की जरूरत है | जब से कोरोना संकट आया है केंद्र तथा राज्य की सरकारें व्यापक स्तर पर सुविधाओं को बढ़ाने का कार्य कर रही है | आज यदि हम कोरोना से पूर्व की स्थिति और आज की स्थिति पर विचार करेंगे तो हमें बदलाव स्पष्ट दिखेगा | हाँ यह जरूर है कि जितनी आवश्यकता बढ़ी है उतनी पूर्ति नहीं हो पाई है | अचानक इतनी पूर्ति करना किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं होता | 

राजनैतिक क्षेत्र में कार्य करने वालों के लिए एक बात होती है कि परिणाम क्या आयेंगे यह किसी को पता नहीं होता है | लेकिन परिणाम आने से पहले वह अपना सबसे बेहतर प्रदर्शन करने का प्रयास करते हैं | प्रश्न उठता है कि क्या कोरोना से निपटने के लिए भी राजनैतिक दलों द्वारा यह सब किया गया | यदि हम हाल की घटनाओं पर नज़र डाले तो सबसे पहले देश के पूर्वप्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पत्र लिखाकर सरकार को चेताया, फिर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने चिट्ठी लिखी और अब 12 राजनैतिक दलों ने एक और चिट्ठी प्रधानमंत्री को लिखी है | निश्चित रूप से विपक्ष को सरकार से प्रश्न पूछने का पूरा अधिकार है लेकिन इन अधिकारों का प्रयोग यदि राजनीति के लिए किया जाता है तो यह समय इन सबके लिए उपयुक्त नहीं है | देश की इन दोनों दलों के पास व्यापक संघठन विस्तार है | यही दोनों दल नहीं बल्कि देश में पंजीकृत 2 हजार से अधिक राजनैतिक दल भी अपना अस्तित्व रखते हैं | इन सभी राजनैतिक दलों को स्थानीय स्तर पर कोरोना मरीजों की मदद करनी चाहिए | संभवतः देश का ऐसा कोई ब्लाक, मंडल या जिला नहीं होगा जहाँ कोई न कोई राजनैतिक या सामाजिक संगठन नहीं होगा | इनकी संख्या करोड़ों में हैं | अभी देश में कोरोना मरीजों की संख्या केवल लगभग 2.5 करोड़ है | इन राजनैतिक तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं की संख्या 40 करोड़ है | समझिये समाज के इतने बड़े संगठन की उपयोगिता किस प्रकार हो सकती है | केवल राजनैतिक आरोप प्रत्यारोप किसी राजनैतिक दल को तात्कालिक फायदा या नुकसान तो दे सकता है लेकिन जिन लोगों की जाने जा रही उनका जीवन फिर से नहीं मिलने वाला है | 

अभी जब में इन सब बातों के बारे में सोच रहा हूँ तब अचानक खबर आई है कि वेस्ट बंगला की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के छोटे भाई का निधन कोरोना से हो गया है | समझिये यह बीमारी कितनी जानलेवा है | यह बीमारी जब बड़े बड़े सत्ताधीशों को नहीं छोड़ रही है तो आम जन का क्या होगा | 

गंगा नदी में अचानक बढ़ते लाश के ढेर यह बता रहें हैं कि आपसी राजनैतिक रंजिश की जगह सेवा समर्पण के कार्यों को किया जाये | कानून के दायरे में रहकर जो भी किया जा सकता है वह करना चाहिए | कुछ दिन पहले सरकार में कार्यरत एक महिला का मुझे मेसेज आया कि कोरोना के कारण जिनके माता पिता नहीं रहे और बच्चा अकेला हो गया है उसे वह पालना चाहती हैं | समाज की इस संवेदनशीलता को राजनैतिक दलों को समझना चाहिए | समाज बचेगा तभी आप भी स्थानीय राजनीति कर पाएंगे नहीं तो हवाहवाई राजनीति अधिक दिन तक नहीं चलती है | यह हमारे देश ने बार बार देखा है | 


डॉ. कन्हैया झा
Dr. Kanhaiya Jha
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नेशनल टास्क फ़ोर्स जीवन रक्षक टीम

कोरोना महामारी के कारण देश में जो मंजर बना उसने देश के नीति निर्माताओं की नींद उड़ा दी | साल भर के सफल लॉकडाउन के कारण भारत में कोरोना के कारन मृत्यु अन्य देशों की अपेक्षा कम रही थी | संभवतः हमने इसे कोरोना पर अपनी विजय के रूप में देखना शुरू कर दिया था | सभी प्रकार के सामाजिक, पारिवारिक, धार्मिक एवं राजनैतिक कार्यक्रमों का चलन एक बार फिर से आम हो चला था | इस कारण से हमने जीती हुई बाजी हारते चले गए | 

कोरोना के दूसरी लहर के कारण जो भयावह मंजर बना उसे देखकर सुप्रीम कोर्ट भी चुप नहीं रह सका | बीते पिछले कुछ दिनों में सुप्रीम कोर्ट तथा हाई कोर्ट की सख्ती या दर्शाती है कि स्थिति कितनी भयानक हो चुकी थी | अचानक लोग बीमार पड़ने लगे, मौतों का आंकड़ा बढ़ने लगा, अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड उपलब्ध नहीं थे और चारो हो हाहाकार मचा हुआ था | ऊपर से केंद्र तथा राज्यों के बीच होती तूतू मैं मैं ने समाज का वातावरण और ख़राब कर दिया था | 

इस समस्या से निपटने के लिए जस्टिस चंद्रचूर की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नेशनल टास्क फ़ोर्स का गठन किया गया | इसका प्रमुख कार्य राज्यों के लिए मेडिकल ओक्सीजन की जरूरत का मूल्यांकन करना है तथा उसे किस प्रकार से वितरण किया जाए इसके लिए रणनीति का निर्माण करना है | यह टास्क फ़ोर्स ऑक्सीजन की उपलब्धता तथा मांग पर नज़र रखेगी | इस 12 सदस्यीय टीम में प्रसिद्द डॉक्टर हैं, कैबिनेट सेक्रेटरी की तरफ से मनोनीत सदस्य रहेंगे एवं स्वास्थ्य सचिव भी रहेंगे | इस प्रकार यह टास्क फ़ोर्स ऐसे लोगों की टीम बनी है जो इसकी गंभीरता को समझते हैं तथा देश को इस संकट से निजात दिलाने का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं | 

सामान्यतः इस प्रकार से संकट से निजात दिलाने का काम चुनी हुई सरकार का होता है लेकिन जब संकट ज्यादा बड़ा हो तो कोर्ट का यह फैसला बिलकुल उपयुक्त है | यह समय आपसी राजनीती करने का न होकर एक दूसरे का साथ देने का है | 

यदि हम इस कार्यबल को ठीक से देखेंगे तो इस कार्यबल की अनेक सीमाएं हैं जिसमें सबसे बड़ी सीमा यह है कि यह फ़ोर्स केवल सरकार को सुझाव दे सकता है उसका क्रियान्वयन तो नोकरशाही को ही करना होगा | यदि इनके दिए हुए सुझाव को नहीं माना जाता है तो उसके बाद क्या होगा यह अभी स्पष्ट नहीं है | यह समय केवल चर्चा और निंदा करने का नहीं है | देश के संकट के इस दौर में तुरंत तुरंत निर्णय लेने की आवश्यकता है | यदि इस कार्यबल को निर्णय लेने की स्वतंत्रता भी मिल जाती हो शायद और अधिक प्रभावी रूप से देश को इस संकट से निजात मिल सकता है | क्योंकि पिछले अनुभव यही बताते हैं कि इस प्रकार की कमेटियां जो सुझाव देती हैं उसका पूरा पूरा क्रियान्वयन नहीं हो पाता है और देश भविष्य के अंधकार में पड़ता जाता है | 

कोरोना की दूसरी लहर में कुछ राज्य तो घुटने पर आ गए थे | जिन राज्यों के पास ऑक्सीजन की अधिकता थी उन्होंने अन्य राज्यों की मदद भी की | टास्क फ़ोर्स को ऑनलाइन नियमित बैठके करके पूरे देश का जायजा लेना चाहिए जिससे दिन प्रतिदिन की गतिविधियों पर नज़र रखी जा सके और स्थिति को बेहतर करने के लिए आवश्यक निर्देश दिए जा सके | 

जिस प्रकार से ऑक्सीजन संकट से निपटने के लिए टास्क फ़ोर्स का गठन किया गया है उसी प्रकार से वेक्सिन को सभी राज्यों में सही समय पर पर्याप्त मात्रा में मिले इसके लिए भी कार्यबल अभी से ही गठित हो जाना चाहिए | जिससे आने वाली तीसरी लहर को आसनी से रोका जा सके | 

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha
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बंगाल का सियासी दांव-पेच

राजनीति का क्षेत्र व्यापक संभावनाओं का क्षेत्र है | इस क्षेत्र की अपनी विशेषताएं है | रोटी, कपडा और मकान के बाद जिस चीज की सबसे बड़ी आवश्यकता होती है वह है, सम्मान | सम्मान के लिए व्यक्ति किसी भी स्तर तक चला जाता है तथा सम्मान पर ठेस पहुँचने से व्यक्ति बड़ी से बड़ी चीज को भी छोड़ देता है | 

अपने सम्मान की रक्षा के लिए सबसे बड़ी चीज है दृढ इक्षाशक्ति | यही दृढ इच्छा शक्ति राजनीति के लिए आवश्यक है | इतिहास गवाह जब कभी राजनेता या राजनैतिक दल की इच्छा शक्ति प्रबल होती है तो बड़े से बड़े कार्य को करना संभव होता है | कुछ दशक पूर्व तक भारतीय जनता पार्टी को उत्तर भारत की पार्टी कहा जाता था | दक्षिण एवं पूर्वोत्तर भारत में इसका अस्तित्व नाम मात्र का ही था | जब से भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा गृहमंत्री अमित शाह की राह पर कार्य करना प्रारंभ किया है तब से पार्टी का व्यापक विस्तार सम्पूर्ण देश में हो गया है | 

आने वाला सबसे बड़ा चुनाव बंगाल का विधान सभा चुनाव है | कभी तृणमूल कांग्रेस पार्टी द्वारा वर्षों से सत्तासीन वामपंथियों की सत्ता को उखाड़ने के लिए परिवर्तन का नारा दिया था, जिसको बंगला में कहा गया ‘चलो पलटाई’ | आज भारतीय जनता पार्टी भी उसी उसी राह पर बंगाल से तृणमूल कांग्रेस पार्टी को उखाड़ फेंकने के लिए परिवर्तन यात्रा निकाल रही है | 

आज मोदी-अमित शाह की जोड़ी के कारण देश ही नहीं दुनिया की नज़रे भी बंगाल की राजनीति  पर है | बंगाल का राजनैतिक शोर दिल्ली की मीडिया में जोर-शोर से उठाया जा रहा है | भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ट नेता श्री अटल बिहारी बाजपाई तथा श्री लालकृष्ण आडवानी की सदैव इच्छा रही की बंगाल में भाजपा का विस्तार किया जाये | काल मार्क्स की यह युक्ति कि “कुछ हासिल करने के लिए हमें उस काम के प्रति दृढ संकल्प प्रदर्शित करना होगा |” शाह-मोदी की  जोड़ी पर सटीक बैठती है | 

आज भाजपा केवल उत्तर भारत की पार्टी न होकर देश के चारो और सत्ताकेन्द्रित हो चुकी है | देश के अधिकतर बड़े और प्रभावी राज्यों पर भारतीय जनता पार्टी या गठबंधन की सरकारें हैं | अमित शाह का सपना पूर्ण हुआ जब देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए प्रचंड बहुमत की सरकार उन्होंने बनवाई | अब उन्हीं के मार्गदर्शन में बंगाल का रण भी जीतने की कवायद चल रही है | 

पश्चिम बंगाल शुरू से ही आर्थिक तथा सांस्कृतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण रहा है| बंगाल की लोक संस्कृति ने पूरे भारत में अपना प्रसार किया है | बंगाल की विशिष्ट संस्कृति प्राचीन भारत की झलक को दिखाती है | जब अंग्रेजों का भारत में आगमन हुआ, उस समय बंगाल ही आर्थिक गतिविधियों का केंद्र था क्योंकि यह शहर समुद्र के किनारे पर बसा था | विदेशों से आने वाले यहीं के बंदरगाहों पर अपना समान उतारते थे | बाद में दिल्ली तथा मुंबई आर्थिक तथा राजनैतिक राजनधानी बनी | किन्तु बंगाल ने अपना सांस्कृतिक अस्तित्व सदैव बचाकर रखा | 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि ममता बनर्जी का सफल राजनैतिक व्यक्तित्व है | किसी राजनीतिक दल से बाहर आकार अपना दल खड़ा करना तथा सत्ता की प्राप्ति करना यह आसान काम नहीं होता है | इसके लिए ममता बनर्जी ने दिन रात एक करके सफलता प्राप्त की थी | जब बंगाल में सिंगुर का आन्दोलन चल रहा था और नंदीग्राम में पुलिस की फायरिंग हुई, उस समय बंगाल की राजनीति उफान पर थी | यह समय ममता बनर्जी के लिए राजनीतिक पृष्ठभूमि तैयार करने के लिए उपयुक्त समय था | इसी घटनाक्रम ने ममता बनर्जी को राजनैतिक जमीन दी| 

अब भारतीय जनता पार्टी बंगाल में सत्ता पर काबिज होने के लिए दिन रात काम कर रही है | ममता बनर्जी के परिवार वालों पर लगने वाले भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण जनता में पार्टी की छवि ख़राब हो रही है | इस कारण से ममता बनर्जी की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह भी लग रहे हैं | वहीं भाजपा इस मुद्दे को राजनैतिक मुद्दा बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है |

आने वाले चुनाव में सबसे गंभीर विषय वहां का शांतिपूर्वक चुनाव कराना होगा| क्योंकि बंगाल की खूनी राजनीति के कारण अनेक लोग कालकलवित हो सकते हैं| चुनाव आयोग को बहुत ही हिम्मत तथा व्यवस्था के साथ इस गंभीर विषय पर अपना ध्यान देना चाहिए | 

डॉ. कन्हैया झा
Dr. Kanhaiya Jha

देश के संसाधनों का पुनर्प्रयोग आवश्यक

मनुष्य की आवश्यकताएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है | मानव की जीवनशैली में भी समय के अनुसार अनेक परिवर्तन आये हैं | जीवन का उद्देश्य केवल रोटी, कपड़ा, मकान और अध्यात्म की प्राप्ति मात्र नहीं है बल्कि आज गरिमामय जीवन जीने के लिए नई नई आवश्यकताएँ बढ़ रही है |

बढ़ती आबादी तथा आवश्यकता के कारण संसाधनों का उपभोग भी बढ़ा है | खपत जितना अधिक होगा प्राकृतिक संसाधनों का दोहन भी उसी अनुपात में बढ़ेगा तथा अधिक दोहन के कारण यह बहुत जल्दी ही विलुप्त भी हो सकते हैं | इसके वैश्विक समस्या का समाधान 2 तरीकों द्वारा किया जा सकता है | पहला वैकल्पिक संसाधनों की पहचान की जाये, दूसरा संसाधनों का पुनः उपयोग किया जाए जिसे चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy) भी कहा जाता है | 

जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक कारणों तथा प्रभाव से विश्व भलीभांति है | अभी हाल ही में उतराखंड में जलाशयों का टूटना तथा तबाही के लिए जलवायु परिवर्तन ही जिम्मेदार है | यह भयानक जलवायु परिवर्तन इसलिए आया क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था खपत आधारित हो रही है | इसका प्रतिकूल प्रभाव प्रकृति पर रहा है जो अंततः भयावह है | 

दुनिया भर में यह बहस जोरों पर है कि प्राकृतिक संसाधनों का किस सीमा तक दोहन किया जाये | यदि दोहन की गति इसी प्रकार की रही तो वह दिन दूर नहीं कि आने वाले पीढ़ी के लिए प्राकृतिक संसाधनों के नाम पर कुछ भी नहीं बचेगा | 

हमारी संस्कृति में पृथ्वी को ‘माँ’ कहकर पुकारा गया है “माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या” ये धरती हमारी माता है और हम इसके पुत्र है। धरती माता हमारे जीवन के अस्तित्व का एक प्रमुख आधार है,  हमारा पोषण करती है। इसलिए वेद आगे कहते है "उप सर्प मातरं भूमिम्" हे मनुष्यो मातृभूमि की सेवा करो । अपने राष्ट्र से प्रेम करो, राष्ट्र के साथ द्रोह करना धर्म के साथ द्रोह करना ही है । देश के प्रति इस तरह निष्ठा रखना, अपनी मातृभूमि के प्रति ऐसी श्रद्धा व प्रेमभाव रखना जैसे भाव केवल और केवल भारतीय संस्कृति में ही प्रकट होता है । जब तक हमारा व्यवहार इस पृथ्वी पर पुत्र वाला नहीं होगा तब तक पृथ्वी दिन प्रतिदिन अपने विनाश की तरफ ही जाती रहेगी | हमें यह सदैव याद रखना चाहिए कि हम इस धरती के मालिक नहीं है | इस धरती पर हम केवल 100 वर्षों के लिए ही आये हैं  और आने वाली संतति के जीवन को सुगम बनाने के लिए हमें कार्य करना है | हम अंत के माध्यम न बने हम सतत प्रवाह के धावक बनें | 

आज यह बहुत आवश्यक हो गया है कि हम समाज संरचना को और अधिक कुशल बनायें | जीवन जीने का ढंग इस प्रकार का हो जिससे कम से कम प्रदूषण निकले | निश्चित रूप से कहीं न कहीं से इसकी शुरुआत इस पृथ्वी को बचने के लिए करनी होगी | आज सही दिशा में चिंतन करने की कार्ययोजना बनाने की आवश्यकता है | 

इन समस्या के समाधान के लिए चक्रीय अर्थव्यवस्था को अपनाना बहुत जरूरी है | चक्रीय अर्थव्यवस्था की इसका समाधान है | विश्व की बहुत से चुनौतियों का सामना इसके माध्यम से किया जा सकता है | वस्तुओं का फिर से उपयोग हो, कचरा केवल कचरा न रहे | वह दूसरे कार्यों में उपयोग हो तथा संसाधनों का कुशल उपयोग मानव की जीवन शैली बने इसकी महती आवश्यकता है | इस दिशा में नए नए कदम उठाने की आवश्यकता है | 

आज युवा भारत की शक्ति के माध्यम से इस कार्य को करने की शुरुआत की जा सकती है | सरकार के सहयोग तथा युवा के मस्तिक के आधार पर निश्चित ही इस दिशा में बढ़ा जा सकता है | यह रचनात्मक कार्य निश्चित ही पूरी पृथ्वी के लिए कल्याणकारी सिद्ध होगा | इस क्षेत्र में होने वाले नए-नए स्टार्टअप से युवा पीढ़ी को रोज़गार भी प्राप्त होगा तथा पृथ्वी की रक्षा भी हो सकेगी | 

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha


रायसीना संवाद

विश्व के देशों के सभी देशों के साथ बेहतर सम्बन्ध एवं संवाद की शुरुआत भारत द्वारा सन 2016 में रायसीना संवाद के माध्यम से शुरू किया गया | इस कार्यक्रम के माध्यम से भविष्य में देशों के मध्य बेहतर समन्वय एवं सहयोग के वातावरण का निर्माण करना है | इसका आयोजन भारत के विदेश मंत्रालय एवं Observer Research Foundation द्वारा किया प्रत्येक वर्ष किया जाता है |   आज से रायसीना संवाद का 6वां सम्मलेन शुरू होगा| रायसीना संवाद के लिए सरकार की तरफ से सभी प्रकार की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वीडियो कोंफ्रेस के माध्यम से  कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी | इस कार्यक्रम में मुख्यअतिथि के रूप में रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कगामे और डेनमार्क के प्रधानमंत्री मेट्टे फ्रेडेरिक्सषन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होंगे | ऑस्ट्रेंलिया के प्रधानमंत्री स्कॉनट मॉरीसन भी कार्यक्रम को संबोधित करेंगे | यह कार्यक्रम 4 दिनों तक चलेगा | सभी प्रतिभागी वर्चुअल माध्यम से इस कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे |

इस आयोजन की शुरुआत वर्ष 2016 में की गई थी | तब से लेकर इस वर्ष तक लगातार यह सम्मलेन चल रहा है | इस सम्मलेन का उद्देश्य भू-राजनीति तथा भू-अर्थशास्त्र पर केन्द्रित रहता है | भू-राजनीति भाग में बहुपक्षवाद, आपूर्ति श्रृंखला, जलवायु परिवर्तन, सूचना महामारी आदि विषयों पर प्रतिभागी चिंतन करने वाले हैं |   इस वर्ष कुल 50 सत्रों का आयोजन किया गया है | कार्यक्रम की विशालता इसी से समझी जा सकती है कि इस कार्यक्रम में 50 देशों से 150 वक्ताओं को संबोधन का अवसर प्राप्त होने वाला है | 80 देशों से 2 हजार प्रतिभागी कार्यक्रम का हिस्सा बनने वाले हैं | इसके अलावा सोशल मीडिया से जुड़ने वालों की संख्या अलग है | विभिन्न देशों जैसे पुर्तगाल, स्लोतवेनि‍या, रोमेनिया, सिंगापुर, नाइजीरिया, जापान, इटली, स्वीतडन, केनिया, चिली, मॉलदीिव, ईरान, कतर और भूटान के विदेश मंत्री कार्यक्रम में भाग लेने वाले हैं | 

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha

विकासशील भारत के 75 वर्ष

भारत अपनी आज़ादी के 75 वर्ष मना रहा है | एक तरफ वैश्विक समस्याएँ चरों तरफ से घेरी हुई हैं दूसरी तरफ युवा जोश तथा मेहनत के कारण हमने समस्या को अवसर में बदल रहा है | आज समय है कि हमें अपने अतीत और भविष्य के कार्यों तथा उपलब्धियों का मूल्यांकन करें | महान वीर सपूतों ने जिस भारत के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था, क्या हम उसकी पूर्ति कर पाए | आज़ादी के दीवानों ने जिस लक्ष्य तथा सपनों के लिए हँसते-हँसते फांसी का फंदा चूम लिया था, क्या हम उन्हें प्राप्त कर पाए| यह बिलकुल उपयुक्त समय है जब हम इन सब बातों पर विचार करें और आगे के मार्ग को तय करें | 

15 अगस्त 1947 देश के सामने एक नई आशा तथा उमंग के साथ आया था | लोग अपने सामने उन सपनों को साकार होते हुए देख रहे थे जिसकी प्रतीक्षा वर्षों-वर्षों से भारतीय जनमानस कर रहा था | सभी को विश्वास था कि अब भारत का बेहतर भविष्य निश्चित होगा | इन आशाओं तथा अपेक्षाओं के साथ-साथ कुछ जमीनी चुनौतियाँ भी हमारे सामने थी जैसे, अशिक्षा, गरीबी तथा कुपोषण | जब अंग्रेज भारत छोड़ कर गए तब भारत की आर्थिक हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी | अंग्रेजों ने भारत का खूब शोषण किया | इसलिए जिन लोगों के पास भारत की सत्ता आई उनके पास इनके कल्याण के लिए बजट की कमी थी | 

भारत इन चुनौतियाँ का वर्षों से सामना करता रहा तथा पहले से बेहतर स्थिति में आज दुनिया के सामने विश्वशक्ति बनकर खड़ा हो गया है | यदि हम भारत की वर्तमान स्थिति की बात करें तो आज भारत दुनिया में क्रय शक्ति के हिसाब से तीसरे स्थान पर आता है | हमने केवल 75 वर्षों में ही अपने इन लक्ष्यों को प्राप्त किया है| आने वाले कुछ वर्षों में भारत और तेज गति से दुनिया के सामने अपना लोहा मनवाने में सफल होगा | 

भारत का गौरवशाली अतीत महर्षि पतंजलि, आचार्य चाणक्य, जगदगुरु शंकराचार्य तथा स्वामी विवेकानंद, महात्मा गाँधी, वीरसावरकर, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, गुरुनानक देव आदि लोगों का रहा है | हमने दुनिया को अतीत में अनेक उपलब्धियां दी है | काल के कलरव में हमारा गौरव कहीं खो सा गया था किन्तु भारतवासियों की दिन रात मेहनत के कारण हम फिर से एक बार विश्व में अपना अहम् स्थान बनाने में सफल हुए हैं | ऐसे समय में वल्लभभाई पटेल का यह वाक्य पूर्णतः युक्तिसंगत प्रतीत होता है जब उन्होंने कहा था कि “यहाँ की मिटटी में ऐसा कुछ अनोखा है जो इतनी कठिनाइयों के बावजूद यह महान विभूतियों की धरती रही है |” 

एक प्रश्न उठता है भारत का भविष्य किस पथ पर अग्रसर होगा | हम सही राह पर है इसका प्रमाण क्या है ? तो हमारे यहाँ कहा गया है शास्त्र ही प्रमाण है | जब मन में किसी प्रकार की दुविधा हो, कहीं मार्ग न मिल रहा हो तो अपने शास्त्रों की तरफ चलों, अपनी परम्पराओं की तरफ निहारों, वहीँ से मार्ग मिलता है | भारत का जिन महान सपूतों ने सिर गौरव से ऊँचा कर दिया उनकी कही गई बातों को स्मरण करों स्वयं मार्ग प्रशस्त हो जाता है |  

हम दुनिया का सबसे युवा लोकतंत्र देश हैं | जहाँ दुनियां के देशों में बूढों की संख्या बढ़ रही है वहीँ भारत में युवाओं की संख्या अधिक है | युवा शक्ति पूरी उर्जा के साथ देश के सपनों को साकार करने के लिए तत्पर है | इन युवाओं को केवल मजदूर बनाने का लक्ष्य न होकर इनके अन्दर जो असीमित क्षमता विद्यमान है उसको निखारने की आवश्यकता है | आज पढ़ा लिखा युवा बेरोजगारी की मार झेल रहा है | ख़राब शिक्षा व्यवस्था में श्रम का पर्याप्त मानदेय न मिलना प्रतिष्ठित से प्रतिष्ठित संगठन की पहचान बन चुका है | यह हालात केवल उन संगठनों एवं युद्यमों के नहीं है जो केवल मुनाफे के लिए कार्य करते है बल्कि उन संगठनों का भी यही हाल है जो दिन रात ज्ञान की बाते सार्वजानिक मंचों पर करते हैं | आज उचित शिक्षा व्यवस्था विकसित करके ऐसे भारतवासी को बनाने की जरूरत है जिसे आयु के एक पड़ाव पर आकर रोज़गार के लिए भटकना न पड़े बल्कि उसका विकास कुछ प्रकार से हो, कि उसे पता ही न चले कि कब उसकी शिक्षा पूर्ण हुई और वह रोज़गार भी प्राप्त कर गया | रोज़गार के अभाव में जिस प्रकार की मानसिक पीड़ा युवाओं में होती है उसके उसके अन्दर की ज्ञानशक्ति क्षीण होती जाती है तथा  विद्यमान असीमित सम्भावना दम तोड़ने लगती है | ऐसे संकट काल में स्वामी विवेकानंद का वाक्य स्मरण करना चाहिए उन्होंने कहा था कि :- “वे कहते हैं इस पर विश्वास करो, उस पर विश्वास करो, लेकिन मैं कहता हूँ, सबसे पहले अपने आप पर विश्वास करो, दुनिया का इतिहास चंद ऐसे लोगों का इतिहास हैं जिन्होंने खुद पर विश्वास किया|”

युवाओं के रोजगारोन्मुखी विकास से ही भ्रष्टाचार, अनैतिकता, जातिवाद समेत अन्य कुरूतियों का समापन होगा | क्योंकि जैसे-जैसे व्यक्ति का रोज़गार बढ़ता है, वह अपने काम में लगा रहता है तो उसकी संवेदनशीलता जागृत होने लगती है | वह समाज के कल्याण के लिए अपना समय तथा साधन लगाता है | लेकिन भूखे युवा से किसी प्रकार की अपेक्षा करना केवल समाज को भ्रमित करने से अधिक और कुछ भी नहीं होता है | इसी से देश में आमूलचूल परिवर्तन होगा |

आज प्रति व्यक्ति जीवन स्तर में सुधार करने के लिए तेज गति से विकास करने की आवश्यकता है | भारत का विकास कैसा हो इस पर भी भारत समेत दुनिया में अलग अलग चर्चाएँ हैं, क्या कुछ पुंजीपतियों का विकास ही विकास है, या समाज के अंतिम में खड़े व्यक्ति का विकास है| या हम उन आंकड़ों को विकास मान लें जो सरकार जारी करती है| भारत का विकास तभी विकास माना जायेगा जब यह सर्वसमावेशी होगा, सर्वस्पर्शी होगा तथा सभी के कल्याण वाला होगा | नहीं तो सरकारी आंकड़े आयेंगे और जायेंगे और भारत की गरीब जनता ऐसे ही बद्दतर ज़िन्दगी को जीने के लिए मजबूर होगी | 

भारतीय संस्कृति सदैव मानवता तथा प्रकृति को बचाने वाली रही है | मानव समेत छोटे से छोटे जीव के भरण भोषण का कार्य प्रत्येक घरों की परंपरा में है | हम तुलसी तथा पीपल के पेड़ को जल चढाते हैं, उन्हें ईश्वर की तरह पूजते हैं, चीटियों को आटा देते हैं, गाय को माँ मानकर सेवा करते हैं, कुत्ते को भी भोजन कराते हैं| लेकिन इन सभी संस्कारों का संरक्षण तभी होगा जब हम मानव को गरिमापूर्वक जीने के साधन उपलब्ध करा पाने में सक्षम होंगे | इसीलिए हमारा विकास का मार्ग ऐसा होना है जो पर्यावरण से लेकर सभी प्रकार के जीवों के संरक्षण की चिंता करे | 

आज कुछ विसंगतियां जाने तथा अनजाने हमारे समाज को बाँट रही है | हमारा देश “एकता में अनेकता” के मंत्र को मानने वाला था किन्तु इतिहास के पन्नों में पढाया गया कि हम अनेकता में एकता वाले हैं | कहीं कहीं तो यह भी पढाया गया की हम कभी एक थे ही नहीं | यह सब बातें भारत को तोड़ने के लिए रची गई थी | इतिहास को भुलाते हुए हमें यह बात समझनी होगी कि हम सब एक हैं | हमारी पूजा पद्धति, विधियाँ तथा नित्यक्रम अलग होंगे लेकिन जिस उद्देश्य के लिए हम यह सब करते हैं उसका उद्देश्य एक ही है वह है परम आनंद की प्राप्ति | हमें गरीबी की रेखा, जाति की रेखा, अगड़े-पिछड़े की रेखा इन सब को समाप्त करना ही होगा| 

जब भी देश की चुनौतियों के सामना की बात आती हैं तो आम तौर  पर पूरी की पूरी जिम्मेदारी सरकार पर डाल दी जाती है | यह बात सच है समाज संरचना तथा संचालन का कार्य सरकार का होता है | लेकिन सरकार की अपनी सीमाएं हैं | सरकार भी कार्य कार्य करती है जो जनता चाहती है | सरकार सदैव संगठित जनता के दवाब का पालन करती है | लेकिन समाज में जब भी कोई  बड़ा परिवर्तन होता है तो वह सरकार के द्वारा न होकर वह समाज के द्वारा ही संभव होता है | हालाँकि परिवर्तन एक दीर्घकालिक कार्य है लेकिन इसकी शुरुआत कभी तो करनी ही होगी| इसीलिए सार्वजनिक निजी साझेदारी द्वारा ही बेहतर भारत का मार्ग प्रशस्त होगा | 

भारत सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन निश्चित ही जनभागीदारी कार्यों को करने के लिए प्रेरक सिद्ध हुआ है | सरकार के इस कार्यक्रम ने आम जनमानस को झकझोरा तथा सभी ने इस आन्दोलन को आत्मसात करके इसे अपनाया| आज छोटा से छोटा बच्चा भी सफाई को लेकर सतर्क रहता है | 

कोरोना ने पूरी दुनिया में अपना तांडव किया | विश्व की अर्थव्यवस्था में लगतार गिरावट दर्ज की गई | लोगों के उद्योग धंधें तबाह हो गए | इसके कारण वैश्विक समाज तनावग्रस्त जीवन जी रहा है | भारत ने इस विकट परिस्थिति में जिस प्रकार से कार्य किया यह दुनिया में अनूठा उदहारण है | जो कारीगर अपने गावों की तरफ चले गए थे उन्होंने वहां पर छोटे-छोटे उद्योग धंधे विकसित किये, जो कला तथा कौशल अभी तक केवल शहरों में थी उन्होंने दूर दराज के गांवों में उसको स्थापित किया तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान में सहयोग दिया| ऐसे हजारों उदहारण समाज के सामने हैं जिन्होंने इस आपदा को अवसर में बदलने का कार्य किया | हम आशा करते हैं जब 15 अगस्त 2021 को भारत अपनी आज़ादी के  75 वर्ष मना रहा होगा तब हम कोरोना से मुक्त होकर विकास के स्वर्णिम पथ पर अग्रसर होंगे |

नमस्कार!

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha



अर्थसंकट का काल

आज आम नागरिकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने रोजगार धंधों को बचाने की है | हालाँकि जनता की देखरेख की जिम्मेदारी चुनी हुई सरकार की होती है | लेकिन मौजूदा संकट के दौर में सरकारे भी निसहाय ही दिख रही है | केंद्र एवं राज्य सरकारों के सामने अपनी चुनौतियाँ है | आज के दौर में यदि केंद्र एवं राज्य सरकारे केवल नागरिकों को जिन्दा रखने में भी कामयाब हो जाती है तो वह उनकी बहूत बड़ी उपलब्धि होगी | 

देश में जैसे ही मेडिकल आपातकाल ख़त्म होगा तो केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारों की पहली प्राथमिकता आम जन के रोज़गार को पटरी पर लाने की होनी चाहिए | सरकार को अपने सीमित संसाधनों का कुशलतम उपयोग करते हुए लोगों के आजीविका को सुरक्षित करना होगा | 

आज देश के लगभग सभी राज्यों में लॉकडाउन की स्थिति बनी हुई है | होली और रमजान दोनों निकल गए | इन दोनों ही त्योहारों में बड़े स्तर पर खरीदारी होती है | कपडे उद्योग से जुड़े लोगों ने गर्मी के कपड़ों का आर्डर दिया था | इन बड़ी मात्रा में दिए गए आर्डर अब खराब हो रहे है, इससे आपसी व्यवसायिक संबंधों पर भी फर्क पड़ने वाला है| सबसे बड़ी समस्या माल ख़राब होने के साथ साथ दुकान और गोदाम के किराये की है | दूसरी तरफ जिन मजदूरों से काम लेना है उनके पगार की समस्या भी सामने है | इस तरफ व्यापर बिलकुल ही ठप्प हो चूका है | 

अब समय आ गया है कि कुछ ऐसे कदम उठाये जाए जिससे लघु उद्योगों को राहत मिले और उनका जीवन पटरी पर आये | आम तोर पर जो घोषणाएं होती है उससे निचला तबका सदैव अछूत ही रहता है | उसे किसी प्रकार की सीधी राहत नहीं मिल पाती है| इसलिए सरकार की तरफ से इस बार जो घोषणा हो उसमें निचले तबके के लिए राहत का प्रावधान होना चाहिए | छोटी से छोटी दुकान, रेहरी पटरी तथा छोटे छोटे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में कार्य करने वाले कर्मचरियों के लिए यह प्रावधान होने चाहिए | 

केंद्र सरकार को GST कौंसिल की बैठक तुरंत बुलाकर जिन जिन क्षेत्रों में कोरोना के कारण नुकसान हुआ है उन क्षेत्रों में छुट देनी चाहिए | यह सब करते हुए यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि राज्यों पर इसका अतिरिक्त बोझ न पड़े नहीं तो राज्यों की सरकारे चलाने में बहुत ही दिक्कत और परेशानी का सामना करना पड़ सकता है | 

हो सकता है कि GST के आंकड़ों से सरकारे खुश हो जाये कि उसकी उगाही का स्तर बहुत अच्छा हो लेकिन वास्तविकता यह है कि इससे गरीबी अपने उच्चतर स्तर को छू रही है| किसी भी देश में गरीबी का स्तर बढ़ने से देश में अनैतिक कार्यों में बढ़ोत्तरी होती है | इसीलिए देश को अनैतिक कार्यों से बचाने के लिए भी इसपर लगाम लगाना जरूरी है | यह चुनी हुई सरकारों की जिम्मेदारी है कि आज के इस संकट के दौर में कोई भी व्यक्ति, संस्था, उद्योग या सरकार अपने आप को असहाय न महसूस करे | 

डॉ. कन्हैया झा
Dr. Kanhaiya Jha

दृष्टि चक्र डॉ. कन्हैया झा के साथ

देश में कोरोना की दूसरी लहर के कारण जो तबाही मची थी उसमें धीरे धीरे सुधार हो रहा है | सरकारी आंकड़ों के अनुसार कोरोना के केस में अब कमी दर्ज की जा रही है | किन्तु कुछ राज्य अभी भी ऐसे हैं जहाँ अभी और कड़ाई की जरूरत है, इन राज्यों में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं | सरकार ने जो आंकड़े देश के सामने रखे हैं उसके अनुसार अभी 37 लाख 45 हजार से अधिक रोगियों का इलाज चल चल रहा है | देश के लिए एक और राहत की खबर है कि अब देश में स्वास्थ्य होने की दर 82 प्रतिशत हो गई है | यदि हम कुल ठीक होने वाले रोगियों की बात करें तो उनकी संख्या 1 करोड़ 86 लाख से अधिक है | 

कोरोना महामारी से बचने के लिए देश भर में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है | भारत दुनिया में सबसे अधिक कोरोना के टिका लगाने वाला देश बन चूका है | भारत में अभी तक 17 करोड़ लोगों को टीके लग चुके हैं | 

आपको और हमको सोशल मीडिया पर आने वाले भ्रामक ख़बरों से बचने की जरूरत है | सोशल मीडिया पर लगातार कोई न कोई भ्रामक खबर चलती रहती है | आजकल आपने भी देखा होगा कि सोशल मीडिया पर लगातार बताया जा रहा है कि 5G टेक्नोलॉजी के कारण कोरोना की दूसरी लहर आई है | भारत सरकार ने स्पष्ट किया है यह बुल्कुल ही बेबुनियाद है | इस बात का कोई भी वैज्ञानिक आधार नहीं है | साथ में भारत में अभी तो 5G टेक्नोलॉजी शुरू भी नहीं हुई है | 

कोरोना की जब दूसरी लहर आई तो तेजी से ऑक्सीजन सिलेंडर, दवाई तथा स्वास्थ्य से जुड़े उपकरणों एवं अन्य चीजों की मांग बढ़ने लगी थी | अचानक देश में इतने व्यापक स्तर पर इनका उत्पादन नहीं किया जा सकता था | ऐसे में भारत की कुशल कूटनीति काम आई और पूरी दुनिया ने भारत की इस संकट के समय मदद भी की | सरकारी आंकड़ो के अनुसार अभी तक 8 हजार 9 सौ ऑक्सीजन कंसट्रेटर, 5 हजार 43 ऑक्सीजन सिलेंडर, 18 ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र, 5 हजार 698 वेंटिलेटर और लगभग 3 लाख 40 हजार रेमडेसीवीर वायल्स की आपूर्ति विभिन्न राज्यों को की गई है | इतनी बड़ी मात्र में भारत को यह सब इसलिए मिल पाया क्योंकि समय रहते हुए भारत ने भी विदेशों की सहायता की थी | भारत की कुशल कुटनीतिक रिश्ते ऐसे संकट के समय में काम आये हैं | 

संकट के इस समय में रेल मंत्रालय ने लोगों के जीवन बचाने के लिए अहम भूमिका निभाई है | जिस तेज गति से रेल द्वारा ऑक्सीजन की आपूर्ति राज्यों को की गई वह बेहद ही प्रशंसनीय है | रेलवे द्वारा अब तक विभिन्न राज्यों को 295 से अधिक टेंकरों के माध्यम से लगभग 4 हजार 7 सौ मीट्रिक टन तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई है | इस आपूर्ति से देश में बढ़ रही ऑक्सीजन की मांग में कमी आई है और राज्यों में बढ़ते मौत के आंकड़ों पर लगाम लगी है | पिछले दिनों देश ने देखा था कि किस प्रकार से देश के लगभग सभी अस्पतालों के अन्दर अचानक ऑक्सीजन संकट पैदा हो गया था और लोगों की जान खतरे में पड़ गई थी | 

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha

कोरोना आई-गरीबी लाई

भारत में प्रतिदिन 4 लाख कोविड के मरीजों का आंकड़ा छू लिया है | हम पहली लहर में जैसे तैसे बचे थे कि दूसरी लहर ने अपनी दस्तक दे दी | पहली लहर आम लोगो के जीवन में समस्या लेकर आया था वहीँ दूसरी लहर की भयावह इतनी है कि अपने साथ छोड़कर जाने लगे हैं | आगे काम धंधों का क्या होगा अभी कह नहीं सकते हैं | अभी के लिए तो इतना ही पर्याप्त है जान है तो जहाँ हैं | जिन जिन का जीवन सुरक्षित रहेगा यह माना जायेगा कि उन्होंने इस त्रासदी की सबसे बड़ी जंग को जीत लिया है | 

जैसे जैसे टीकाकरण बढेगा वैसे वैसे समाज फिर से पटड़ी पर लौटेगा इसकी आस लगाई जा रही है | इस महामारी ने सभी लोगो के व्यवसाय को बर्बाद कर दिया है, आम लोगों के जीवन में संकट आ रहा है| इसका प्रभाव इतना दीर्घकालिक होने वाला है कि आने वाले समय की कल्पना भी नही की जा सकती है | अनेक सर्वेक्षण बताते हैं कि इस नुकसान की भरपाई करना भारत के लिए इतना आसान नहीं होगा | 

कोई भी व्यवसायिक अपनी जेब से कर्मचारियों को तनखाह नहीं देता है | दूसरी ओर मंहगाई सुरसा की तरह अपना मुंह बड़ा करती जा रही है | ऐसे में निचले स्तर का कर्मचारी पर दोहरी मार पड़ रही है | यह खाई आने वाले समय में भारतीय जनमानस के जीवन की बहुत बड़ी त्रासदी लेकर आने वाली है | 

यह सच है कि इस बीमारी ने अमीर और गरीब सभी लोगों को समान रूप से अपने आवेग में लिया है | यह बीमारी अमीर और गरीब के मध्य भेद नहीं करती है | जहाँ बड़े बड़े प्रतिष्ठानों के मालिकों के घर के सदस्यों को इस महामारी के कारण जाना पड़ा, वहीँ अनेक राजनेता और प्रमुख हस्तियों को भी देह त्यागने के लिए मजबूर होना पड़ा है | अनेक परिवारों में केवल एक व्यक्ति कमाने वाला था उसे कोरोना ने मार दिया | यह भयावह त्रासदी हम सबके सामने है | जिन गरीब परिवारों में से उनका एकलौता कमाने वाला चला गया उन परिवारों के लिए आने वाले कुछ वर्ष निश्चित ही बहुत रुदन के बीतने वाले हैं | अचानक पड़ने वाला यह बोझ झेलने की इनमें शक्ति नहीं है | 

इसी प्रकार ग्रामीण भारत की तस्वीर में भी बदलाव आ रहा है | लगातार गिरती अर्थव्यवस्था के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में भी रहना बहुत मुश्किल हो रहा है | गांवों में गरीबी का घनत्व ज्यादा है | ऐसे में इन गरीब परिवारों की कोई सुध लेना वाला नहीं है | वैसे भी गांवों में छोटी से छोटी सरकारी सुविधा को लेने के लिए बहुत ही पापड़ बेलने पड़ते हैं | 

जैसे ही कोरोना का पहला चरण समाप्त हुआ था उस समय चर्चा हुई कि भारत की अर्थव्यवस्था फिर से पटड़ी पर आ रही है | लेकिन अर्थव्यवस्था के यह आंकड़े आम जनमानस को प्रभावित नहीं कर पाते हैं | यानी जो विकास हम अर्थव्यवस्था के आंकड़ों में देखते हैं आम जनता का उससे कोई सरोकार नहीं होता है | 

पिछले एक वर्ष से अधिक से बच्चों की पढाई लगातार ख़राब हो रही है | लगभग सभी स्कूलों ने ऑनलाइन पढाई शुरू करवा दी है | ऑनलाइन पढाई के लिए लैपटॉप या स्मार्टमोबाइल की आवश्यकता होती है इसके साथ साथ हाई स्पीड इन्टरनेट भी होना चाहिए | ऐसे में गरीब माँ बाप जिनके कामधंधे चोपट हो चुके हैं, घर में खाने के लिए पैसे नहीं वह कहाँ से बच्चों की पढाई के लिए इन संसाधनों की व्यवस्था करेंगे | इन सब कारणों से बच्चों की पढाई ख़राब हो रही है और उनका भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है |

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha

सामाजिक संगठनों का उत्तरदायित्व

जब जब देश किसी भी भयावह त्रासदी में फसा है सामाजिक संगठनों ने आगे आकर कार्य किया है और भारत को संकट के समय में राह दिखाई है | जब चरों और ऑक्सीजन की कमी, दवाई की कमी, विस्तरों की कमी दिखाई दे रही थी ऐसे समय में भारत में कार्य करने वाले सामाजिक संगठनों ने अपने दायित्वों को समझा और भारत के आम नागरिकों को बचाने के लिए हर सम्भव प्रयास किये |

भारतीय संस्कृति सामाजिक संस्कृति है | भारतीय समाज की जो संरचना है उसके मूल में सर्वे भवन्तु सुखिनः है | देश में अनेक धार्मिक एवं सामाजिक संगठन कार्य कर रहे हैं | आज उनके सेवा कार्यों के कारण ही भारत इतनी बड़ी त्रासदी में लोगों को राहत देने में सक्षम हुआ है |

आज देश के गुरुद्वारों द्वारा किये गए सभी के लिए प्रेरणा का कार्य कर रहे हैं | आखिर धार्मिक संगठनों का यही सामाजिक उत्तरदायित्व है कि वह संकट के समय समाज के लिए अपने खजाने को खोले और आमजन की सेवा करें | गुरूद्वारे द्वारा की गई सेवा सभी पंथों के लिए प्रेरणा का कार्य करनी चाहिए | 

इसी प्रकार सेवा भारती, भारत विकास परिषद् द्वारा जो कार्य किये गए हैं वह निश्चित ही लोगों को इस त्रासदी से बचाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं | आखिर इस प्रकार के संगठनों का मूल उद्देश्य समाज कल्याण ही होता है | ऐसे पूरे देश भर में फैले अनेकानेक संगठन अपने अपने स्तर पर इन कार्यों को कर रहे हैं | इनके द्वारा किये गए कार्य आने वाले समय में उन देशों के लिए विशेषकर प्रेरणा का कार्य कार्य कर सकते हैं जो विकासशील देश हैं |

विकासशील देश संसाधन की दृष्टि से पिछड़े होते हैं, | संसाधन के आभाव में वहां की सरकारे सभी कार्य नहीं कर सकती है | इसीलिए इन सभी देशों में भारत मॉडल के अनुसार की कार्य करना पड़ेगा | भारत में लम्बे समय से सामाजिक एकता तथा समन्वय के आधार पर कार्य किये जाते रहे हैं | हमने देखा होगा कि भारतीय गावों में छोटे से बड़ा कार्य भी आपसी सहयोग के आधार पर ही होता था | यह हमारे देश का मूल स्वाभाव रहा है | इसी स्वाभाव को सम्पूर्ण विश्व में फ़ैलाने की आवश्यकता है | 

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha

आखिर ये वेक्सिन क्यों जरूरी है

कोरोना की वेक्सिन आने के साथ ही कुछ लोगों ने इसको लेकर भ्रम फैलाना शुरू का दिया था | जब दुनिया समेत भारत  स्वयं इस महत्रसदी को झेल रहा है ऐसे समय में इस प्रकार के भ्रम को फ़ैलाने वालों को सोचना चाहिए कि वह किस प्रकार के कृत्य कर रहे हैं |

आज के समय में यदि इस महामारी से बचना है तो केवल वेक्सिन ही अंतिम उपाय है | भारत उन देशों में शामिल है जिन्होंने समय रहते रात दिन करके स्वदेशी वेक्सिन विकसित की | वर्तमान में भारत में को-वेक्सिन तथा कोविडशील्ड 2 वेक्सिन उपलब्ध है | 

भारत में हुए शोध बताते हैं कि जिन लोगों ने यह वेक्सिन लगवाई है उनमें संक्रमित होने तथा कोरोना के कारण मृत्यु दर में कमी दर्ज की गई है | यदि हम दिल्ली के सफदरजं अस्पताल के डॉ जुगल किशोर की बात पर विश्वास करे तो वह कहते हैं “ये रोग रोधी टीके हैं और टीकाकरण शुरू होने के बाद अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में 85 प्रतिशत की कमी आई है | ये टीके अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मापदंडों के आधार पर बनाये गए हैं | कोविड-19 टीके गंभीर संक्रमण और बीमारी के कारण होने वाले मौत के खतरे को कम करता है“ | जब स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर इस प्रकार की बातें करते हैं तो स्वाभाविक है जनता को इनकी ही बात सुननी चाहिए और जल्दी से जल्दी कोरोना के टीके को लगवाना चाहिए |

हाल ही में ICMR ने एक शोध किया उस शोध में पाया गया कि कोवेक्सिन टीका लगाने वालों में 10 हजार में से केवल 4 लोग ही संक्रमित पाए गए जबकि सीरम इंस्टिट्यूट के कोविडशील्ड लगाने वाले 10 हजार में से केवल 3 लोग ही संक्रमित पाए गए हैं | इन सब बातों से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत के चिकित्सा विशेषज्ञों ने दिनरात मेहनत करके जो वेक्सिन तैयार की है वह एकदम सुरक्षित और आवश्यक है | जल्दी से जल्दी सभी लोगों को इसको लगवाना चाहिए और देश को कोरोना से मुक्ति दिलाने में सहायता दिलानी चाहिए | 

डॉ. कन्हैया झा
Dr. Kanhaiya Jha

सियासत को अब बदलना होगा

आज जब समाचार पत्र पढ़ा तो उसमें नमाज में इकठ्ठा हुए 500 लोगों की खबर पढ़ कर ऐसा लगा कि आखिर ये लोग कब समझेंगे कि यह मृत्यु काल है | कोई भी मजहब स्थल कैसे अपने यहाँ उन लोगों को इकठ्ठा होने की अनुमति दे सकता है जिसे वह अपना मानता है | यह घटना बल्लभगढ़ के चावला कॉलोनी की है | पुलिस ने मामला दर्ज किया है और इमाम पर कैस भी किया है | लेकिन पुलिस कब तक इन लोगों के पीछे पड़कर इन्हें ढूंढती रहेगी | आखिर कब इन लोगों को समझ आएगा कि इन सब घटनाओं से समाज में गलत सन्देश जाता है  और इन सब से लोगों के जीवन पर संकट मंडराने लगता है | 

कोरोना बीमारी ने देश के कितने ही दिग्गजों को सदा सर्वदा के लिए शांत कर दिया है | कोरोना के सामने न कोई खास है और न कोई आम बचा है | प्रत्येक संकट काल की भी एक उम्र होती है | यह संकट काल भी चला जायेगा | लेकिन यह संकट काल लम्बे समय तक न भुलाने वाली यादें भी देकर जायेगा | 

दूसरी ओर कोरोना के भयावह संकट के दौरान भी राजनैतिक आरोप प्रत्यारोप रुक नहीं रहे हैं | विभिन्न राजनैतिक दलों के नेता एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं | आज के समय में ऐसा कोई विशिष्ट वर्ग नहीं है जिसके किसी न किसी परिचित ने कोरोना का दंश न झेला हो | इसकी भयावता इसी बात से लगाई जा सकती है कि बड़े से बड़ा व्यक्ति, संगठन, राजनेता तथा आम जनता अपने प्रियजनों को नहीं बचा पा रहा हैं | किन्तु राज्यों के नेता जिस प्रकार से काम के स्थान केवल राजनीति कर रहे हैं यह निसंदेह ही इस देश के लिए खतरनाक है | इतिहास गवाह है कि जनता मूक जरूर होती है लेकिन जब जनता त्रस्त हो जाती है तो बड़े से बड़े राजवंशों को भी उखाड़ फेंकती है |

आज जब अस्पतालों में दवाई, ऑक्सीजन तथा अन्य सामानों की कमी देखी जा रही है ऐसे समय में सभी लोगों की एक ही इच्छा है कि यह संकट समाप्त हो और आने वाले दिनों में फिर इस प्रकार का भयावह मंजर देखने को न मिले | 

आज आवश्यकता है राजनैतिक विमर्श को बदलने की है| बिहार से लेकर पश्चिम बंगाल तक जो चुनाव हुए उन चुनावों में स्वास्थ्य का मुद्दा नदारद ही रहा | किसी भी राजनैतिक दल ने इन मुद्दों को उठाने की जहमत नहीं उठाई इसका कारण राजनैतिक दलों के साथ साथ आम जनता भी है | क्योंकि जनता को केवल लोक लुभावन बाते ही पसंद आते हैं | यदि जनता यह तक कर ले कि अब केवल धरातल वाले मुद्दों पर ही वोट किया जायेगा तो वह दिन दूर नहीं होगा जब सभी राजनैतिक दलों के नेता विकास के मुद्दे पर ही वोट मांगने आयेंगे | और यदि जनता का यह मानस नहीं बनता है तो इस प्रकार के संकटों से कोई भी शक्ति उन्हें नहीं बचा सकती है | 

डॉ कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha

मत गणना से मौत गणना तक

पांच राज्यों का चुनाव संपन्न हुआ | पांचों राज्यों में सभी राजनैतिक दलों द्वारा धुआंधार प्रचार किया गया | जैसे-जैसे प्रचार बढ़ता गया देश में मौत का आंकड़ा भी बढ़ता गया | देश का ऐसा कोई राज्य तथा जिला नहीं बचा जहाँ पांच राज्यों के चुनाव और राज्य में बढती हुई लाशों की चर्चा न हो | आम तौर पर जिन शमशान घाटों पर प्रतिदिन 20-30 लाशों का अंतिम संस्कार किया जाता था अब उन शमशान घाटों पर 150-200 शव लाइन लगा के खड़े रहते हैं | 

कोरोना के कारण देश में बढ़ते मौत के आंकड़े यह बताते हैं कि देश में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं उतनी दुरुस्त नहीं है जितनी होनी चाहिए |

सितम्बर से लेकर फरवरी तक देश में कोरोना की गति में कमी को हमने कोरोना पर अपनी विजय मानने का जो भ्रम पाला उसकी सजा आज पूरा देश भुगत रहा है |

पांच राज्यों के चुनाव विशेषकर पश्चिम बंगाल में जिस प्रकार का चुनाव प्रचार हुआ वह सबके लिए रोमांचकारी रहा | लाखो लाखों लोगों की रेलियाँ हुई | रेलियों में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया | यहाँ तक की सार्वजानिक मंचों से भी बड़े बड़े नेताओं ने भी प्रोटोकॉल नियमों का खुल्लम खुल्ला खेल खेला गया | 

भारत में चुनाव एक उत्सव है | लेकिन लाशों पर कभी भी उत्सव मनाने की परंपरा भारत में नहीं रही है | एक तरफ देश में कोरोना की स्थिति भयावह होती गई और राज्यों में चुनावी रेलियाँ जारी रहा | कोई भी राजनैतिक दल शवों के ऊपर किस प्रकार उत्सव का आयोजन कर सकता है | 

भारत का मतदाता समझदार है | उसे पता है कि राज्य के चुनाव और देश के चुनाव में क्या अंतर होता है | 

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha

तीसरी लहर कितनी भयानक

देश कोरोना संकट के दौर से गुजर रहा है | पहली लहर से पीछा छुटा ही था कि दूसरी लहर ने आम जनमानस के जीवन को तहस नहस कर दिया | सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी सुनवाई में केंद्र तथा राज्य सरकारों को तीसरी लहर के बारे में चेताया है | सुप्रीम कोर्ट ने तो यहाँ तक कहा है कि सरकारें यह बताएं कि तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए उसका क्या प्लान है | 

जब से कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दी है तब से सुप्रीम कोर्ट भी जनता की परेशानी के लिए परेशान दिख रहा है | सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आवश्यक दवाई तथा ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित करने के भी आदेश दिए हैं| ताकि जब तीसरी लहर आती है तो लोगों में इन सब चीजों के लिए आपाधापी का माहौल न बनें | 

बताया जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर पहली दो लहरों से भी भयानक होने वाली है | इसलिए अब और भी सावधानी बरतने की जरूरत है | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्यों के मुख्यमंत्रियों तथा विभिन्न विभागों के प्रमुखों से लगातार बैठक करके स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं | अपने संबोधन में उन्होंने कहा भी था कि देश में लॉकडाउन लगाना अंतिम विकल्प के तौर पर ही होगा | लेकिन जिस तरह अस्पतालों में मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है और ऑक्सीजन एवं आवश्यक दवाओं की मांग बढ़ रही है उससे यही लगता है कि जनता अभी भी कोरोना के प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रही है | 

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha 

अपने बच्चों को कोरोना से बचाइए

जैसे जैसे समय बीत रहा है कोरोना अपने पाँव पसारता जा रहा है | कोरोना संकट वर्तमान समय का सबसे भयावह संकट बनकर मानव पर आया है | इस संकट में बच्चों को बचाने की बहुत आवश्यकता है |

हमारे देश की आबादी में 30 प्रतिशत बच्चे 0 से 18 वर्ष के हैं | ऐसे में लगभग 30 करोड़ आबादी की सुरक्षा के उपाय सरकार के साथ साथ परिवार को भी करना होगा | 

चारो तरफ फैले नकारात्मक माहौल से बच्चों को बचाने की जरूरत है | एक तरफ सभी स्कूल तथा कॉलेज बंद है, बच्चे बाहर जा नहीं सकते हैं, ऐसे में यह संकट बच्चो को भी बहुत कष्ट दे रहा है | 

बच्चों को सुरक्षित करना का एक ही तरीका है वह है इनकी इम्युनिटी को मजबूत किया जाये | इसके लिए अभिभावक बच्चों को फल, दूध, हरी सब्जी के अलावा बच्चों को हल्के योगा तथा प्राणायाम को जीवन चर्या में लाने का भी आग्रह करें | 

बच्चों को किसी न किसी सकारात्मक गतिविधियों में लगाये रखना जरूरी है | बच्चों को अधिक समय तक खली न बैठने दें | उनके किसी न किसी विषय पर बातचीत करते हैं | 

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha

पकड़ा गया ऑक्सीजन का काला ‘चोर’

देश इस सदी की सबसे भयावह त्रासदी को झेल रहा है| केंद्र तथा राज्य सरकारें जनता की मदद करने के लिए सभी उपाय कर रही है | लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन की कालाबाजारी जोरों पर है | लोग जरूरी दवाई तथा ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए तरस रहे हैं | 

दिल्ली में खान मार्किट के खान चाचा रेस्टोरेंट से 96  ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बरामद हुए हैं | पुलिस की छापेमारी में इसे पकड़ा गया है | दिल्ली के पोश इलाके में इस प्रकार की गतिविधियाँ यह दर्शाती है कि किस प्रकार नेताओं के संरक्षण में इस प्रकार के कार्यों को अंजाम दिया जाता है | इससे पहले भी लोधी कॉलोनी पुलिस द्वारा छतरपुर के एक फार्महाउस पर 419 कंसंट्रेटर बरामद हुए थे | 

इस सभी छापेमारी में जिस व्यक्ति का नाम सबसे अधिक आ रहा है वह है नवनीत कालरा | प्रश्न यह उठता है कि जब देश इस प्रकार के संकट से जूझ रहा है तो आखिर किस के शह में यह लोग इस प्रकार की घिनौनी हरकतें करते हैं | 

निश्चित ही ऐसे लोग देश और समाज के लिए दुश्मन है | जो मानव संकट के समय भी अपने बुरे कामों को करने से बाज़ नहीं आते हैं | 

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha

केंद्रीय कर्मचारियों को ऑफिस आने से मिली छुट

कोरोना के बढ़ते संकट को देखते हुए केंद्र सरकार ने आदेश पारित किया है कि ऐसे क्षेत्र जो कन्टेनमेंट जॉन घोषित हो चुके हैं वह उनमें रहने वाले कर्मचारियों को तब तक ऑफिस आने की जरूरत नहीं है जब तक वहां स्थिति सामान्य नहीं हो जाती है | हालाँकि ऐसे लोगों को घर से ही कार्य करना होगा | 

इसके अलावा गर्भवती महिला तथा दिव्यांगों को भी 31 मई तक घर से ही कार्य करने का आदेश दिया गया | देश में कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए केंद्र की तरफ से यह आदेश जारी किया गया है |

जो कर्मचारी ऑफिस आ रहे हैं उनसे कहा गया है की वह कोरोना के नियमों का नियमित पालन करें, साबुन से हाथ धोते रहें, मास्क पहन के ही ऑफिस आये और सेनीटाईजर का उपयोग करते रहें | 

संकट के इस क्षण में महिलाओं का ऑफिस आना खतरे से खाली नहीं है | सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला निश्चित ही इन्हें राहत देगा | 

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha

मानव का रक्षक केवल कोरोना का टीका है

अमेरिका के राष्ट्रपति बाईडेन की यह घोषणा कि कोविड वैक्सीन को पेटेंट अर्थात बौधिक सम्पदा से बाहर होना चाहिए कि घोषणा ने दुनिया के पिछड़े देशों के लिए आशा की किरण दिखाई है | क्योंकि पिछड़े देशों के पास शोध के लिए संसाधन नहीं होते हैं | यदि उन्हें दवाई बनाने का फार्मूला तथा कच्चा माल उपलब्ध करा दिया जाता है तो जल्दी से जल्दी उत्पादन करके जनता को टिका लगाया जा सकेगा | 

भारत ने शुरू से ही इस बात का पक्ष रखा है कि सम्पूर्ण विश्व को जल्द से जल्द कोरोना की दवाई मिलनी चाहिए | जब भारत में वैक्सीन का उत्पादन शुरू हुआ तो उस समय भी मैत्री के नाते भारत ने विश्व के अनेक देशों को वैक्सीन उपलब्ध करवाई थी | 

दुनिया भर में कोरोना से बचने के लिए टीकाकरण किया जा रहा है | संपन्न देशों ने अपने नागरिकों को जल्द से जल्द टीके लगाकर उन्हें सुरक्षित रखने का प्रयास किया है | इस मामले में पिछड़े विकासशील देश कहीं न कहीं पीछे रह गए हैं | भारत दुनिया का सबसे ज्यादा टीका का निर्माण करने वाला देश है लेकिन यहाँ की अत्यधिक आबादी के कारण सभी को समय पर टिका लगाना संभव नहीं हो पा रहा है |

देश में कोरोना की दूसरी लहर चल रही है | हालाँकि सरकार ने 18 वर्ष से अधिक लोगों के लिए टीके लगवाने की शुरुआत कर दी है लेकिन यह कार्य संपन्न होने में अभी समय लगेगा | 

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha

दीदी का राज्य से राष्ट्र की तरफ ‘कूच’

पांच राज्यों के चुनाव केवल राज्यों की राजनीती को प्रभावित नहीं कर रहे हैं बल्कि देश की राजनीती में भी बड़े बदलाव आने की सम्भावना है | आने वाले भविष्य में देश की राजनीती में इन राज्यों के परिणाम लोगों को बहुत कुछ सोचने के लिए मजबूर कर सकते हैं | 

पांच राज्यों के चुनाव में सबसे रोमंचाकरी चुनाव पश्चिम बंगाल का रहा | इस चुनाव पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई थी | देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री से लेकर भाजपा के सभी बड़े नेता राज्य को फतह करने के लिए निकले थे लेकिन ममता बनर्जी की टक्कर के कारण भाजपा सत्ता के द्वार तक नहीं पहुँच सकी | 

अभी तक दिल्ली में मोदी के सामने विपक्ष का कोई भी मजबूत चेहरा नहीं है | जिस अंदाज़ में ममता बनर्जी ने भाजपा से अपनी कुर्सी बचाने में सफलता प्राप्त की है उससे लगता है कि आने वाले दिनों में राष्ट्रीय राजनीती में दीदी अपना जलवा दिखाने का प्रयास कर सकती हैं | 

यह चुनाव हाईप्रोफाइल चुनाव था जहाँ एक ओर TMC पिछले 10 सालों से सत्ता पर काबिज थी, इसी को मुद्दा बनाने के लिए बंगाल के वोटरों को सत्ता में खोट निकालने का प्रयास भाजपा द्वारा किया गया |

देश के प्रधामंत्री, गृहमंत्री, सभी मंत्री, पूरा भाजपा संगठन भाजपा के मीडिया और सोशल मीडिया प्रबंधक सभी मिलकर भी ममता बनर्जी को परास्त नहीं कर पाए | ममता बनर्जी ने जमकर चुनाव लड़ा और जनता का आशीर्वाद भी पाया | 

दिल्ली की संसद में भी TMC के संसद भाजपा सरकार की जिस तरीके की आलोचना करती है वैसी आलोचना संभवतः आज के समय में कांग्रेस के सांसद भी नहीं करते हैं | ममता की इस जीत ने दीदी को केन्द्रीय राजनीती का केंद्र बिंदु बना दिया है | 

यह चुनाव केवल ममता बनर्जी के लिए ही नहीं बल्कि भाजपा के लिए महत्वपूर्ण होगा | भाजपा को अब यह समझना होगा कि प्रत्येक राज्य की राजनीतिक मानस एक जैसा नहीं होता है | दूसरे दल से आये नेता एक सीमा तक तो सहयोग कर सकते हैं लेकिन राजनैतिक दल की असली शक्ति उसका अपना संगठन तथा कार्यकर्ता ही होता है | राजनीती के तात्कालिक मुद्दे आपके एक या दो बार चुनाव जिताने में सहयोग कर सकते हैं लेकिन यदि सभी राज्यों में भाजपा की सरकार का गठन करना है तो पार्टी को संगठन की मूल इकाई को मजबूत करके उन्हें ही आगे बढाने का कार्य करना होगा क्योंकि चुनाव की असली लड़ाई बूथ पर लड़ी जाती है | 

केरल और तमिलनाडू के परिणाम यही बताते हैं कि देश में अभी भी क्षेत्रीय दलों की स्वीकार्यता बरक़रार है | राष्ट्रीय दलों को यदि इन राज्यों में अपनी पहुँच बनानी है तो उनको क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर ही कार्य करना होगा | विशेषकर कांग्रेस को इस चुनाव से फिर से चिंतन करने की जरूरत है कि वह आगे की राह कैसे तय करती है |  

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha


G-23 फिर होंगे सक्रिय

हाल ही में हुए 5 राज्यों के चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में निराशा का भाव पैदा कर दिया है | पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की स्थिति नगण्य रही वहीँ केरल में वह सत्ता में वापिसी नहीं कर पाई जबकि केरल का इतिहास एक बार कांग्रेस दूसरी बार वाम सरकार था | कांग्रेस को केरल में आस इसलिए भी थी क्योंकि कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष केरल के वायनाड से सांसद है और उन्होंने यहाँ मेहनत भी की थी |

यही हाल पोंडिचेरी में भी देखने को मिला | चुनाव से पहले पोंडिचेरी में कांग्रेस सत्ता में थी लेकिन चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने उससे कुर्सी छीन ली और अब अगले 5 सालों के लिए उसे वनवास पर भेज दिया है | 

असम में भी कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा है | वहां भी भाजपा ने मजबूती के साथ वापिसी की है | केवल तमिलनाडु में कांग्रेस गठबंधन के कारण सत्ता के इर्दगिर्द घूम सकती है |

अब कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीती क्षेत्रीय दलों की बैसाखी पर चलती दिख रही है |

कांग्रेस में असंतोष नेताओं की भी कमी नहीं है | वह लम्बे समय से कांग्रेस में परिवर्तन की मांग करते आये हैं | इन सब स्थिति को देखते हुए लगता है कि कांग्रेस के G-23 नेता फिर से सक्रीय हो सकते हैं | इससे कांग्रेसी के पुराने दिग्गजों को फिर से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है | 

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha


कांग्रेस की नींव पर भाजपा की पुद्दुचेरी में फतह

पोंडीचेरी में NDA ने सत्ता पर अपना वर्चस्व बना लिया है | चुनाव से पहले कांग्रेस के बहुत से विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल गये गए थे | जिसका फायदा NDA को मिला | जो विधायक कांग्रेस छोड़कर आये तो उन्होंने जीत भी दर्ज की | 

पोंडिचेरी में भाजपा का गठबंधन AINRC के साथ था जबकि कोंग्रेस का गठबंधन DMK के साथ था | 

अब माना जा रहा है कि NDA के मुख्यमंत्री के लिए AINRC के अध्यक्ष रंगसामी ही सबसे मजबूत दाबेदार हैं | 

पोंडिचेरी छोटा सा केंद्रशासित राज्य है लेकिन राजनैतिक रूप से यह बहुत ही महत्वपूर्ण राज्य है | भाजपा के प्रवेश के बाद भाजपा दक्षिण के राज्यों में काम करने के लिए इसका उपयोग कर सकेगी |

अभी भारतीय जनता पार्टी की कर्णाटक के अलावा किसी भी राज्य में बड़ी पकड़ नहीं बनी है | पोंडिचेरी से भाजपा दक्षिण के राज्यों की तरफ बढ़ सकने में सफलता प्राप्त कर सकती है | 

हालंकि कांग्रेस यहाँ पर पिछले 5 वर्षों से गठबंधन में साथ में थे लेकिन उनका गठबंधन लोगों को यह समझाने में नाकामयाब रहा कि राज्य में किये गए कार्यों पर उन्हें वोट मिलना चाहिए | 

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha

असम में फिर से गैर-कांग्रेसी सरकार

असम चुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि राज्य में फिर से भाजपा की अगुवाई में NDA सत्ता में वापसी कर चुका है | इस जीत के साथ ही भाजपा ने इतिहास भी रचा है | ऐसा पहली बार हो रहा है कि कोई गैर-कांग्रेसी सरकार असम में दूसरी बार सत्ता की बागडोर को सम्हाल रही हो | 

हालाँकि की इससे पहले भी असम में सत्ता परिवर्तन हुए हैं लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि कांग्रेस को लगातार 2 बार सत्ता से बाहर होना पड़ा हो|  

इस चुनाव में NDA को 76 सीटों पर बढ़त मिली हुई है जबकि कांग्रेस पार्टी ने 46 सीटों पर अपनी बढ़त बरक़रार रखी है | कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान CAA का विरोध करने से हुआ | कांग्रेस ने AIUDF के साथ गठबंधन किया था जो जनता को पसंद नहीं आया और जनता ने कांग्रेस को सत्ता नहीं सौंपी| 

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha  


कांग्रेस को मिली राहत

जब से केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार आई है तबसे कांग्रेस की मुसीबत बढती ही जा रही है | मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद ऐसा लगता है कि कांग्रेस का सूरज दिन प्रतिदिन ढलता ही जा रहा है | हाँ कभी कभी कुछ आशा की किरण भी जगती है | इसी आशा के सहारे कांग्रेस खुद को जिन्दा रखने का प्रयास कर रही है |

5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल ममता बनर्जी के पास गया, असम में भाजपा ने बाजी मारी, केरल में वामपंथियों ने अपना गढ़ बचा लिया और पुद्दुचेरी में NDA सत्ता पर काबिज हो गई | कांग्रेस को इन चार राज्यों में सत्ता की कुर्सी हांसिल नहीं हुई है | लेकिन दक्षिण के राज्य तमिलनाडू में कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा थी इसलिए वह सत्ता के गलियारों में उठ बैठ सकती है | हालाँकि यहं भी कांग्रेस को केवल 3 प्रतिशत वोट ही मिले | लेकिन कहा गया हैं न डूबते को तिनके का सहारा| यही बात चरितार्थ हो रही है | 

तमिलनाडु में कांग्रेस ने खुद को द्रमुक गठबंधन का हिस्सा बना लिया था | हो सकता है जब ,मंत्री पद की घोषणा हो तो कांग्रेस के भी कुछ लोगों को यहाँ सरकार का हिस्सा बनने का मौका दिया जाये | हालाँकि कांग्रेस के रणनीतिकार तमिलनाडु में जिस प्रकार के परिणाम की अपेक्षा कर रहे थे परिणाम उनके अपेक्षा के अनुरूप नहीं आये फिर भी कहीं तो सत्ता के गलियारों में कांग्रेस को भी जगह मिली | 

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha

केरल में कांग्रेस की हार का कारण ‘कलह’

केरल में वामपंथियों ने अपनी सरकार बचाने में फिर से एक बार सफलता प्राप्त कर ली | केरल का रोटेशन ख़त्म हुआ | एक बार कांग्रेस तथा एक बार वाम दलों की सरकार बनने का इतिहास रहा है | लेकिन अभी हुआ विधानसभा चुनानों में केरल में कांग्रेस को जनता ने नकार दिया है | इस तरफ पांच राज्यों में हुए चुनाव में कांग्रेस कहीं भी सरकार में नहीं आ सकती | हालाँकि तमिलनाडु में वह गठबंधन में थी वहां कांग्रेस को केवल 3 प्रतिशत मत ही प्राप्त हुए |

आखिर कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ होने की क्या वजह रही | जबकि कम से कम केरल का तो इतिहास रोटेशन सरकार का रहा है | सबसे पहले कोरोना संकट के दौरान केरल में जिस प्रकार का प्रबंधन हुआ उसकी चर्चा पूरे देश में है | इतनी बड़ी भारी तबाही से राज्य की जनता को बचाने का इनाम जनता ने वाम दलों को दिया है | दूसरा केरल में कांग्रेस पार्टी कई धड़ों में बंट चुकी हैं | केरल कांग्रेस के नेताओं का आपसी कलह समाप्त ही नहीं हो रहा है| जब आपस में एकता नहीं होगी तो चुनाव कैसे जीते जायेंगे | दूसरी और कांग्रेस ने अपने किसी भी उम्मीदवार को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया | इससे राज्य के अन्दर पहले के मुख्यमंत्री पर ही लोगों ने अपना विश्वास जताया | यहाँ तक के कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ओमान चांडी को भी पार्टी ने कोई तबज्जो नहीं दी | हालाँकि राहुल गाँधी केरल के वायनाड से सांसद है और उन्होंने वहां कुछ समय लगाया भी | लेकिन उनका लगाया हुआ समय पार्टी को विजय रथ पर नहीं बैठा सका | 

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha


मोदी और ममता को किसने जिताया

पश्चिम बंगाल का चुनावी रण समाप्त हो गया | जनता ने ऐलान कर दिया कि ममता बनर्जी ही फिर से सूबे की मुख्यमंत्री होंगी | राज्य को चलाने के लिए उन्हें और कोई स्वीकार नहीं है | भाजपा ने भी यह चुनाव पूरी ताकत से लड़ा था| इसलिए जनता ने उन्हें भी खाली हाथ नहीं जाने दिया | इसलिए बंगाल के चुनाव में भाजपा के लिए जनता का आदेश है कि मजबूत विपक्ष के रूप में हमारी सेवा करो | अगले 5 सालों के बाद फिर से आपकी वापसी पर विचार होगा | 

2019 के चुनाव में पश्चिम बंगाल की जनता ने मोदी को वोट किया था | 2019 के परिणामों से खुश होकर ही भाजपा फिर से मैदान में कूदी थी | आखिर वह कौन सी आबादी थी जिसने मोदी को जिताया था और भाजपा को न कह दिया | आखिर वोटरों का वह कौन सा वर्ग है जो कभी मोदी को जिताता है और कभी ममता को राज गद्दी पर बिठा देता है |

चलो ज्यादा क्या इंतजार करवाना | मोदी को वोट देने वाला वर्ग था महिला वर्ग | 2019 के चुनाव का विश्लेषण करने वाले मानते हैं कि मोदी की जीत में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है | बस इसी वर्ग को ममता ने भी रिझाने का काम किया | जिन महिलाओं ने पिछले चुनाव में मोदी को वोट दिया था उन्हीं महिलाओं ने इस चुनाव में ममता बनर्जी को वोट देकर फिर से मुख्यमंत्री बनाया है | 

एक तरफ बंगाली अस्मिता का सवाल और दूसरी और ममता बनर्जी की तरफ से शुरू की गई योजना रुपश्री, कन्याश्री, सरकार आपके द्वार जैसी योजनाओं ने महिलाओं को अपनी और आकर्षित करने में सफलता प्राप्त की | अब 2021 का चुनाव और उसके परिणाम तो आ गए हैं | आने वाले 2024 के चुनाव में यह महिलाएं किस ओर का रुख करेंगी यह देखने की बात होगी | 

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha

बंगाल में कांग्रेस का क्या हुआ

बंगाल का हाईप्रोफाइल चुनाव समाप्त हो गया | ममता बनर्जी को 200 से ज्यादा सीटें मिली | इस जीत के साथ ही ममता बनर्जी तीसरी बार सूबे की मुख्यमंत्री बनने जा रही है | वहीँ भारतीय जनता पार्टी ने भी अपना जनाधार बढाते हुए 3 से बढ़कर 77 का आंकड़ा हुआ | हालाँकि की भाजपा के रणनीतिकार शुरू से दावा कर रहे थे की बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की 200 से अधिक सीटें आने वाली है | लेकिन जनता ने उन्हें अभी विपक्ष में बैठने का ही जनादेश दिया है |

बंगाल कभी वामपंथियों का गढ़ रहा है | 10 साल पहले ममता बनर्जी की अगुवाई में वामपंथियों को हटाने का अभियान ममता बनर्जी ने चलाया था | उसी तर्ज पर भाजपा ने भी ममता को हटाने के लिए अभियान चलाया | लेकिन भाजपा को उतना जनसमर्थन प्राप्त नहीं हुआ जिससे सरकार बन सके |

बंगाल के रिजल्ट के शोर शराबे में कांग्रेस का क्या हाल हुआ इसकी चर्चा बहुत ही कम हुई है | कांग्रेस भारत की सबसे पुरानी और सबसे लम्बे समय तक राज करने वाली पार्टी रही है | इस राष्ट्रीय पार्टी का आख़िरकार बंगाल में क्या हाल हुआ | 

डॉ. कन्हैया झा 

(Dr. Kanhaiya Jha)


अब आया देश में इलेक्ट्रिक ट्रेक्टर

भारत आत्मनिर्भर हो रहा है | किसानों के खेतों में बिजली से चलने वाले ट्रेक्टर का इंतजार अब ख़त्म होने वाला है | जी हाँ, मध्य प्रदेश के बुदनी में इलेक्ट्रिक ट्रेक्टर का सफल परिक्षण किया गया है | अब ट्रेक्टर को चलाने के लिए डीजल की जरूरत नहीं होगी | किसान अपने घर की बिजली से ट्रेक्टर को चला सकेंगे | 

पास हुआ ट्रेक्टर पर्यावरण के अनुकूल है तथा किसी प्रकार का प्रदुषण भी नहीं छोड़ेगा | इससे वातावरण का संरक्षण होगा | इसका व्यावसायिक उपयोग ठीक से हो, इसकी क्षमता उतनी हो जितनी ट्रेक्टर में होनी चाहिए इन सब का परिक्षण केंद्र पर किया गया तथा इसे फिट होने का प्रमाणपत्र भी प्राप्त हुआ है | 

पिछले कुछ वर्षों में भारत में व्यापर को लेकर उदारीकरण की नीति चल रही है | सरकार द्वारा नए नए उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए अनेक कदम उठाये जा रहे हैं | घरेलु वस्तुओं में गुणवत्ता हो तथा विश्व के बाज़ार में वह प्रतिस्पर्धा दे पायें इसके लिए सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिया जा रहा है | इसीलिए सरकार द्वारा स्थापित केंद्र पर इस प्रकार के प्रयोगों का मापन किया जाता है तथा उन्हें प्रमाणपत्र दिया जाता है कि वह कार्य करने के लायक हैं | 

(डॉ. कन्हैया झा)

Dr. Kahaiya Jha


भारत से अच्छी खबर पहली भारत की दवाई हुई कोरोना से लड़ने में कारगर

पूरे देश में कोरोना ने अपने पांव पसार रखे हैं | शहर शहर लाशों के ढेर लगे हैं | लोग इस बीमारी से परेशान है | लोगों के कामधंधे चोपट हो गए हैं | इस महामारी से बचाने के लिए उपयोग में लाइ जा रही आयुष-64 पर अध्ययन हुआ | अध्ययन में पाया गया है कि आयुष-64 हल्के तथा और माध्यम कोविड-19 के मरीजों को ठीक करने में उपयोगी रहा है | इस दवाई को भारत की केंद्रीय आयुर्वेदिक अनुसन्धान परिषद् द्वारा विकसित किया गया है | इसका निर्माण 1980 के दौरान मलेरिया के उपचार के लिए किया गया था | लेकिन जब इस दवाई को कोरोना के मरीजों को दिया गया तो यह लाभकारी सिद्ध हुई है | 

इसके प्रभाव को समझने के लिए आयुष मंत्रालय द्वारा हाल ही में एक व्यापक क्लिनिकल रिसर्च की गई है | 

डॉ कन्हैया झा 

(Dr. Kanhaiya Jha)


कोरोना से लड़ने के लिए सेना तैयार

देश पर जब जब संकट आता है तो हमारे देश की सेना लोहा लेती है | संकेत के समय में लोगों को बचाना हमारे देश की सेना की पहचान है | संकट चाहे देश के बाहर से हो या देश के अन्दर सभी मोर्चों पर सेना ने सदैव अपना लोहा मनवाया है |

चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ जनरल एमएम नरवणे आज प्रधामंत्री से मिले तथा उन्हें सेना की तैयारी के बारे में बताया | सेना ने अपने मेडिकल अधिकारीयों को राज्यों में कार्य करने के लिए भेजे हैं | राज्य जब भी जिस प्रकार की मांग करते हैं सेना द्वारा उसे पहुँचाया जा रहा है | 

आज देश में ऑक्सीजन की कमी तथा अस्पतालों में बिस्तरों की कमीं से पूरा देश जूझ रहा है | सभी लोगों के पास सहायता मांगने वालों के फोन आ रहे हैं | क्या नेता, क्या पत्रकार और क्या आम आदमी सबकी हालत लचर होती जा रही है | लोग चाहकर भी एक दूसरे की सहायता करने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं | 

सेना के द्वारा विभिन्न राज्यों में अस्थायी अस्पतालों का निर्माण सेना के द्वारा किया जा रहा है | इन अस्पतालों में राज्य की सहायता से मरीजों का इलाज किया जायेगा | इससे पहले रक्षा मंत्री के आह्वान पर सेवानिवृत मेडिकल अधिकारीयों को भी कहा गया है कि वह इस संकट की घडी में देश की जनता का साथ दें | 

देश में ऑक्सीजन गैस के टेंकरों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में जहाँ भी आवश्यकता हो रही है सेना कंधे से कन्धा मिलाकर कार्य कर रही है | इस मुश्किल समय में देश में सेना का यह योगदान निश्चित ही सभी के लिए प्रेरणा देने वाला है | 

Dr. Kanhaiya Jha
(डॉ कन्हैया झा )

राजधानी दिल्ली में कोरोना से हाहाकार

राजधानी दिल्ली में कोरोना कहर के बीच मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल आज 12 बजे प्रेस कांफ्रेस करने जा रहे हैं | दिल्ली के लगभग सभी अस्पतालों में मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही हिया | अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के कारण लोगों की हालत नाज़ुक हो रही है | वहीँ दूसरी तरफ दिल्ली हाई कोर्ट में फिर से ऑक्सीजन संकट के लिए सुनवाई है | कल कोर्ट ने कहा थी कि यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह मरीजों को ऑक्सीजन मुहैया कराये | आज दोपहर 3 बजे हाई कोर्ट में फिर से मैक्स हॉस्पिटल की याचिक पर सुनवाई होने जा रही है | 

दिल्ली का ऐसा कोई हॉस्पिटल नहीं है जहाँ लोग बेड के लिए परेशान नहीं हो रहे हों | इस बीच यह भी खबर है कि दिल्ली के माता चन्नन देवी हॉस्पिटल में अब केवल 8 घंटें का ऑक्सीजन ही बचा है | वहीँ कल इसी प्रकार की खबरे सर गंगा राम हॉस्पिटल से भी आई थी | 

कराहती दिल्ली को बचाने के लिए सरकारों को अब कुछ कड़े कदम उठाने चाहिए जिससे परेशान जनता का बोझ कुछ दूर हो |

एक तरफ जहाँ लोगों के काम धंधें चोपट हो रहे हैं वहीँ दूसरी और परिवार के सदस्यों का यों अचानक चले जाना सभी को डरा रहा है |

आज ही की बात है जब दिल्ली के पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के बड़े नेता डॉ ए के वालिया का कोरोना से निधन हो गया | वहीँ कम्युनिस्ट नेता सीताराम येचुरी के बड़े बेटे का भी निधन कोरोना से हो गया है | सरकार को जल्द से जल्द समस्या के समाधान का रास्ता निकलना चाहिए|

Dr. Kanhaiya Jha
(डॉ. कन्हैया झा )

नासिक में आक्सीजन का हाहाकार

महाराष्ट्र के नासिक में हॉस्पिटल के अन्दर आक्सीजन के रुकने से 22 लोगों की जान चली गई | सभी मरीज जाकिर हुसैन अस्पताल में भर्ती थे | जब अस्पताल में यह सप्लाई रोकी गई तब सभी मरीज वेंटिलेटर पर थे | इन 22 लोगों का गुनाह केवल इतना था कि उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर विश्वास किया और सोचा कि यहाँ उन्हें जीवन मिलेगा | सूबे के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मामले की जाँच के आदेश तो दे दिए लेकिन जिन परिवारों ने अपने परिजनों को खोया है उनकी जान को वापस कौन देगा |
केवल महाराष्ट्र ही नहीं देश के सभी राज्यों में आक्सीजन की किल्लत चल रही है | जनता चारो तरफ कराह रही है | कोई उनकी सुध लेने वाला नहीं है |
आखिर किसके निकम्मेपन के कारण इन 22 लोगों को जान गवानी पड़ी है, इसका हिसाब कौन देगा?
बताया जाता है की पूरे 30 मिनट तक आक्सीजन की सप्लाई रोक दी गई | अभी भी 35 लोगों की हालत नाज़ुक बताई जा रही है |

Dr. Kanhaiya Jha

(डॉ. कन्हैया झा) 

दृष्टि चक्र डॉ. कन्हैया झा के साथ, फिर भारत को दुनिया में मिला पहला स्थान

 मैं हूँ कन्हैया झा, आप देख रहें हैं दृष्टि चक्र

देश में कोरोना के मरीजों की संख्या में एक बार फिर से बढ़ोतरी दर्ज की गई है | केंद्र एवं राज्य की सरकारे इसको लेकर फिर से सतर्क हो रही हैं | 

समाज सुधारक ज्योतिबा फुले के जन्मदिवस के अवसर पर आज से 4 दिनों तक कोरोना का टीका उत्सव शुरू हो गया है | इसका समापन 14 अप्रैल को अम्बेडकर जयंती पर होगा | देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सभी राज्यों से जब वीडियो कांफ्रेसिंग के दौरान चर्चा की थी तो इसका आह्वान किया था कि सभी मुख्यमंत्री अपने-अपने राज्यों में इस उत्सव को मनाये तथा यह सुनिश्चित करें की 45 वर्ष से अधिक सभी लोगों को समय से टीका लग जाये जिससे समाज कोरोना से मुक्ति की ओर अग्रसर हो |  इस उत्सव का सबसे बड़ा उद्देश्य है अधिक से अधिक लोगों का टीकाकारण करना तथा यह सुनिश्चित करना कि टीके की बर्बादी न हो पाए | इसलिए यदि आप भी 45 साल से अधिक के हैं तो जल्दी से जल्दी कोरोना के टीके को लगवाएं तथा अपने आपको तथा परिवार को सुरक्षित करें | 

कोरोना से लड़ने की दिशा में भारत ने विश्व में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है | भारत दुनिया में कोरोना के टीकाकरण के कार्य में सबसे आगे निकल गया है | भारत में अब तक कुल 10 करोड़ लोगों को कोरोना के टिके लग चुके हैं | टीकाकरण अभियान की शुरुआत इसीवर्ष 16 जनवरी को की गई थी | यह उपलब्धि केवल 85 दिनों में प्राप्त की गई है | अन्य देशों की बात करें तो अमेरिका में पिछले 85 दिनों में 9 करोड़ 20 लाख लोगों को कोरोना के टीके लगाये गए हैं, जबकि चीन अभी तक केवल 6 करोड़ 10 लाख लोगों तक ही कोरोना की खुराक पहुंचा पाया है | 

दिल्ली में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण सरकार ने सख्ती करनी शुरू कर दी है | दिल्ली की सरकारी बसों में अब केवल 17 सवारी को ही बैठने की इजाजत होगी | सरकार ने राज्य में होने वाले सभी प्रकार के सामाजिक, राजनीतिक, खेल-कूद, मनोरंजन, शैक्षिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और त्योहारों के सार्वजानिक आयोजनों पर रोक लगा दी है | दिल्ली सरकार के आदेश के अनुसार किसी व्यक्ति के अंत्येष्टि में अब केवल अधिकतम 20 लोग ही शामिल हो सकेंगे तथा शादी विवाह समारोह में अधिकतम 50 लोग ही शामिल हो सकते हैं| 

अब राजनीतिक चर्चा करते हैं | वेस्ट बंगाल में होने वाला चुनाव हिंसाग्रस्त होता जा रहा है | कुच बिहार में हुई हिंसा के सन्दर्भ में चुनाव आयोग ने अपनी कमर कस ली है | चुनाव आयोग की तरफ से कुच विहार में अगले 72 घंटो तक के लिए राजनैतिक नेताओं की एंट्री पर बैन लगा दिया है | आयोग चाहता है कि पश्चिम बंगाल में निष्पक्ष, हिंसारहित चुनाव संपन्न कराये जाएँ | 

पश्चिम बंगाल में 5वें चरण के लिए चुनाव प्रचार बड़ी तेज गति से चल रहा है | सभी राजनैतिक दल अपने प्रचार को बड़ी जोर शोर से कर रहे हैं | 5वें दौर के चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनता को संबोधित किया तथा कहा कि भाजपा श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सिद्धांतों पर कम करती है  तथा राज्य में इसी के आधार पर शांतिपूर्ण माहौल का निर्माण किया जायेगा तथा भ्रष्टाचार और घुसपैठ पर रोक लगाई जाएगी | 

दूसरी तरफ TMC की नेता ममता बनर्जी ने नागरिकता संशोधन बिल का विरोध किया| दोनों ही तरफ से आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है | 



दृष्टि चक्र डॉ. कन्हैया झा के साथ (बजट में क्या है खास)

भारत सरकार किसानों की आय को दोगुना करने के लिए 3 नए कानूनों को लेकर आई है | प्रस्तावित बजट में भी आम किसान तथा गरीबों को लाभ मिले इसके लिए अनेक प्रकार की घोषणाएं की गई है | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किया गया बजट आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा |
आज देश को कोरोना के कारण जो नुकसान हुआ है उससे बाहर निकालने की आवश्यकता है | सरकार और समाज दोनों अपने-अपने स्तर पर नई दिशा की तलाश में प्रयत्नशील हैं | इस महामारी से जनता जल्दी से जल्दी बाहर आये इसके लिए सभी ओर से प्रयास हो रहे हैं |
भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गया बजट न केवल वर्तमान समय में अर्थव्यवस्था को बल देगा अपितु दीर्घ कालखंड में भारत की ढांचागत निर्माण में भी वृद्धि करेगा |
कोरोना महामारी के दौरान सरकार ने जो निर्णय लिए उससे समाज को बहुत लाभ प्राप्त हुआ | जब पूरा देश अपने-अपने घरों में बंद था तब सभी को भोजन सुनिश्चित कराने के लिए सरकार द्वारा लगभग 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में अनाज दिया गया | गरीब परिवारों को धुंएँ से मुक्ति दिलाने के लिए उज्जवला योजना के तहत 8 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त में गैस कनेक्शन उपलब्ध कराये गए | देश के सबसे गरीब तबके पास नकद राशि पहुंचे इसके लिए सरकार द्वारा गरीब कल्याण योजना के तहत 76 हजार करोड़ रुपये की धनराशी वितरित की गई | यह सब बातें दिखाती है कि सरकार जब संवेदनशील होती है तो आने वाले बड़े से बड़े संकट को किस प्रकार से मुकाबला कर सकती है |
जिन गरीबों के पास अपना पक्का घर नहीं था उनके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें घर बनाने के लिए धनराशी उपलब्ध कराई गई | गाँव का किसान अपनी छोटी-छोटी आवश्यकताओं के लिए शहर तक नहीं जा पाता था, अपने खेत में हुए फसल को तथा आवश्यकताओं की पूर्ति में उसको बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता था | सरकार ने घर घर बिजली पहुंचाकर लोगों के जीवन शैली में बदलाव किये | नए-नए उद्योगों का विकास हुआ | गांवों में छोटे-छोटे उद्योग जन्म ले रहे हैं | बिजली तथा इन्टरनेट के पहुँचने से ऑनलाइन व्यवसाय में भी वृद्धि दर्ज की गई है | अब दूरदराज का व्यक्ति भी अपने उत्पाद को ऑनलाइन बेच सकता है | प्रधानमंत्री फसल बीमा के माध्यम से 9 करोड़ लोगों को लाभ पहुंचा है जबकि प्रधानमंत्री किसान योजना के माध्यम से 11 करोड़ किसानों को लाभ प्राप्त हुआ है |
इस बार के बजट की सबसे बड़ी खासियत रही कि सरकार द्वारा पूंजीगत खर्चे में साढ़े चौतीस प्रतिशत की वृद्धि की गई | देश की सुरक्षा सरकार की पहली प्राथमिकता है, इसके लिए सरकार आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा को लेकर बहुत ही संजीदगी के साथ कार्य कर रही है | रक्षा के क्षेत्र में सरकार द्वारा खर्चे में भी वृद्धि की गई है | इस बार के बजट में रक्षा खर्च में 18.8 प्रतिशत की वृद्धि की गई है | गाँवों में मजदूरों के लिए सरकार की बड़ी योजना मनरेगा में सरकार द्वारा 1 लाख 11 हजार 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है | अर्थात गरीब से गरीब जनता का ख्याल रखा गया है |
कोरोना महामारी से देश को बचाने के लिए पहला टीकाकरण अभियान की दूसरी खुराक आज से लगाई जाएगी | अभी तक 75 लाख से अधिक लोगों को कोरोना का टीका लगाया जा चुका है | भारत ने तेज गति से विश्व में सबसे अधिक 75 लाख लोगों को कोरोना का टीका लगाया है | यह अपने आपन में वैश्विक रिकॉर्ड है |
आज विश्व दलहन दिवस है | भारत दुनिया में सबसे अधिक दलहन का उत्पादक तथा उपभोक्ता है | पिछले कुछ वर्षों में भारत ने दलहन उत्पादन को 140 टन से बढाकर 240 लाख टन तक बढ़ाया है | 2019-20 में भारत का 23.15 मिलियन टन दलहन का उत्पादन हुआ था, यह विश्व का 23.62% प्रतिशत है | भारत एक शाकाहारी देश है, यहाँ दलहन का उत्पादन प्रोटीन की पूर्ति का मुख्य स्रोत है | दलहन शाकाहारी लोगों का मुख्य भोजन है | दलहन में पानी की कम खपत होती है | सूखे क्षेत्रों में आसानी से इसका उत्पादन किया जा सकता है |
भारत में छोटे तथा सीमांत किसान की संख्या 86 प्रतिशत है | FPO के द्वारा इन किसानों के कल्याण के लिए सरकार की योजना काम कर रही है | सरकार छोटे उत्पादक किसानों को संगठित करके उन्हें कंपनी एक्ट में लाने की योजना कर रही है | इस कंपनी एक्ट में आने के लिए कम से कम 11 सदस्यों का होना आवश्यक है | भारत सरकार द्वारा 10 हजार नए FPO गठित करने का फैसला लिया है | FPO की शुरुआत कृषि स्थिति को सुधारने के लिए किया गया है |
भारत सरकार की राष्ट्रीय पोषण अभियान के तहत दलहन आंगनबाड़ी के माध्यम से वितरित किये जा रहा है | गर्भवती एवं नवप्रसूता के लिए सरकार द्वारा सवा करोड़ केन्द्रों की स्थापना की गई है | कोविड महामारी के दौरान सरकार द्वारा 80 करोड़ लोगों को साबुत दालों की आपूर्ति की गई है | कोविड के होने के बावजूद भारत ने रिकॉर्ड स्तर पर दलहन का निर्यात किया | पिछले वर्ष अप्रैल से दिसंबर 2020 के दौरान दलहनों में 26% की वृद्धि दर्ज की गई है |
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