केरल में कांग्रेस की हार का कारण ‘कलह’

केरल में वामपंथियों ने अपनी सरकार बचाने में फिर से एक बार सफलता प्राप्त कर ली | केरल का रोटेशन ख़त्म हुआ | एक बार कांग्रेस तथा एक बार वाम दलों की सरकार बनने का इतिहास रहा है | लेकिन अभी हुआ विधानसभा चुनानों में केरल में कांग्रेस को जनता ने नकार दिया है | इस तरफ पांच राज्यों में हुए चुनाव में कांग्रेस कहीं भी सरकार में नहीं आ सकती | हालाँकि तमिलनाडु में वह गठबंधन में थी वहां कांग्रेस को केवल 3 प्रतिशत मत ही प्राप्त हुए |

आखिर कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ होने की क्या वजह रही | जबकि कम से कम केरल का तो इतिहास रोटेशन सरकार का रहा है | सबसे पहले कोरोना संकट के दौरान केरल में जिस प्रकार का प्रबंधन हुआ उसकी चर्चा पूरे देश में है | इतनी बड़ी भारी तबाही से राज्य की जनता को बचाने का इनाम जनता ने वाम दलों को दिया है | दूसरा केरल में कांग्रेस पार्टी कई धड़ों में बंट चुकी हैं | केरल कांग्रेस के नेताओं का आपसी कलह समाप्त ही नहीं हो रहा है| जब आपस में एकता नहीं होगी तो चुनाव कैसे जीते जायेंगे | दूसरी और कांग्रेस ने अपने किसी भी उम्मीदवार को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया | इससे राज्य के अन्दर पहले के मुख्यमंत्री पर ही लोगों ने अपना विश्वास जताया | यहाँ तक के कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ओमान चांडी को भी पार्टी ने कोई तबज्जो नहीं दी | हालाँकि राहुल गाँधी केरल के वायनाड से सांसद है और उन्होंने वहां कुछ समय लगाया भी | लेकिन उनका लगाया हुआ समय पार्टी को विजय रथ पर नहीं बैठा सका | 

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha


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