कोरोना महामारी के कारण देश में जो मंजर बना उसने देश के नीति निर्माताओं की नींद उड़ा दी | साल भर के सफल लॉकडाउन के कारण भारत में कोरोना के कारन मृत्यु अन्य देशों की अपेक्षा कम रही थी | संभवतः हमने इसे कोरोना पर अपनी विजय के रूप में देखना शुरू कर दिया था | सभी प्रकार के सामाजिक, पारिवारिक, धार्मिक एवं राजनैतिक कार्यक्रमों का चलन एक बार फिर से आम हो चला था | इस कारण से हमने जीती हुई बाजी हारते चले गए |
कोरोना के दूसरी लहर के कारण जो भयावह मंजर बना उसे देखकर सुप्रीम कोर्ट भी चुप नहीं रह सका | बीते पिछले कुछ दिनों में सुप्रीम कोर्ट तथा हाई कोर्ट की सख्ती या दर्शाती है कि स्थिति कितनी भयानक हो चुकी थी | अचानक लोग बीमार पड़ने लगे, मौतों का आंकड़ा बढ़ने लगा, अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड उपलब्ध नहीं थे और चारो हो हाहाकार मचा हुआ था | ऊपर से केंद्र तथा राज्यों के बीच होती तूतू मैं मैं ने समाज का वातावरण और ख़राब कर दिया था |
इस समस्या से निपटने के लिए जस्टिस चंद्रचूर की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नेशनल टास्क फ़ोर्स का गठन किया गया | इसका प्रमुख कार्य राज्यों के लिए मेडिकल ओक्सीजन की जरूरत का मूल्यांकन करना है तथा उसे किस प्रकार से वितरण किया जाए इसके लिए रणनीति का निर्माण करना है | यह टास्क फ़ोर्स ऑक्सीजन की उपलब्धता तथा मांग पर नज़र रखेगी | इस 12 सदस्यीय टीम में प्रसिद्द डॉक्टर हैं, कैबिनेट सेक्रेटरी की तरफ से मनोनीत सदस्य रहेंगे एवं स्वास्थ्य सचिव भी रहेंगे | इस प्रकार यह टास्क फ़ोर्स ऐसे लोगों की टीम बनी है जो इसकी गंभीरता को समझते हैं तथा देश को इस संकट से निजात दिलाने का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं |
सामान्यतः इस प्रकार से संकट से निजात दिलाने का काम चुनी हुई सरकार का होता है लेकिन जब संकट ज्यादा बड़ा हो तो कोर्ट का यह फैसला बिलकुल उपयुक्त है | यह समय आपसी राजनीती करने का न होकर एक दूसरे का साथ देने का है |
यदि हम इस कार्यबल को ठीक से देखेंगे तो इस कार्यबल की अनेक सीमाएं हैं जिसमें सबसे बड़ी सीमा यह है कि यह फ़ोर्स केवल सरकार को सुझाव दे सकता है उसका क्रियान्वयन तो नोकरशाही को ही करना होगा | यदि इनके दिए हुए सुझाव को नहीं माना जाता है तो उसके बाद क्या होगा यह अभी स्पष्ट नहीं है | यह समय केवल चर्चा और निंदा करने का नहीं है | देश के संकट के इस दौर में तुरंत तुरंत निर्णय लेने की आवश्यकता है | यदि इस कार्यबल को निर्णय लेने की स्वतंत्रता भी मिल जाती हो शायद और अधिक प्रभावी रूप से देश को इस संकट से निजात मिल सकता है | क्योंकि पिछले अनुभव यही बताते हैं कि इस प्रकार की कमेटियां जो सुझाव देती हैं उसका पूरा पूरा क्रियान्वयन नहीं हो पाता है और देश भविष्य के अंधकार में पड़ता जाता है |
कोरोना की दूसरी लहर में कुछ राज्य तो घुटने पर आ गए थे | जिन राज्यों के पास ऑक्सीजन की अधिकता थी उन्होंने अन्य राज्यों की मदद भी की | टास्क फ़ोर्स को ऑनलाइन नियमित बैठके करके पूरे देश का जायजा लेना चाहिए जिससे दिन प्रतिदिन की गतिविधियों पर नज़र रखी जा सके और स्थिति को बेहतर करने के लिए आवश्यक निर्देश दिए जा सके |
जिस प्रकार से ऑक्सीजन संकट से निपटने के लिए टास्क फ़ोर्स का गठन किया गया है उसी प्रकार से वेक्सिन को सभी राज्यों में सही समय पर पर्याप्त मात्रा में मिले इसके लिए भी कार्यबल अभी से ही गठित हो जाना चाहिए | जिससे आने वाली तीसरी लहर को आसनी से रोका जा सके |
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