दृष्टि चक्र डॉ. कन्हैया झा के साथ (बजट में क्या है खास)

भारत सरकार किसानों की आय को दोगुना करने के लिए 3 नए कानूनों को लेकर आई है | प्रस्तावित बजट में भी आम किसान तथा गरीबों को लाभ मिले इसके लिए अनेक प्रकार की घोषणाएं की गई है | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किया गया बजट आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा |
आज देश को कोरोना के कारण जो नुकसान हुआ है उससे बाहर निकालने की आवश्यकता है | सरकार और समाज दोनों अपने-अपने स्तर पर नई दिशा की तलाश में प्रयत्नशील हैं | इस महामारी से जनता जल्दी से जल्दी बाहर आये इसके लिए सभी ओर से प्रयास हो रहे हैं |
भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गया बजट न केवल वर्तमान समय में अर्थव्यवस्था को बल देगा अपितु दीर्घ कालखंड में भारत की ढांचागत निर्माण में भी वृद्धि करेगा |
कोरोना महामारी के दौरान सरकार ने जो निर्णय लिए उससे समाज को बहुत लाभ प्राप्त हुआ | जब पूरा देश अपने-अपने घरों में बंद था तब सभी को भोजन सुनिश्चित कराने के लिए सरकार द्वारा लगभग 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में अनाज दिया गया | गरीब परिवारों को धुंएँ से मुक्ति दिलाने के लिए उज्जवला योजना के तहत 8 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त में गैस कनेक्शन उपलब्ध कराये गए | देश के सबसे गरीब तबके पास नकद राशि पहुंचे इसके लिए सरकार द्वारा गरीब कल्याण योजना के तहत 76 हजार करोड़ रुपये की धनराशी वितरित की गई | यह सब बातें दिखाती है कि सरकार जब संवेदनशील होती है तो आने वाले बड़े से बड़े संकट को किस प्रकार से मुकाबला कर सकती है |
जिन गरीबों के पास अपना पक्का घर नहीं था उनके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें घर बनाने के लिए धनराशी उपलब्ध कराई गई | गाँव का किसान अपनी छोटी-छोटी आवश्यकताओं के लिए शहर तक नहीं जा पाता था, अपने खेत में हुए फसल को तथा आवश्यकताओं की पूर्ति में उसको बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता था | सरकार ने घर घर बिजली पहुंचाकर लोगों के जीवन शैली में बदलाव किये | नए-नए उद्योगों का विकास हुआ | गांवों में छोटे-छोटे उद्योग जन्म ले रहे हैं | बिजली तथा इन्टरनेट के पहुँचने से ऑनलाइन व्यवसाय में भी वृद्धि दर्ज की गई है | अब दूरदराज का व्यक्ति भी अपने उत्पाद को ऑनलाइन बेच सकता है | प्रधानमंत्री फसल बीमा के माध्यम से 9 करोड़ लोगों को लाभ पहुंचा है जबकि प्रधानमंत्री किसान योजना के माध्यम से 11 करोड़ किसानों को लाभ प्राप्त हुआ है |
इस बार के बजट की सबसे बड़ी खासियत रही कि सरकार द्वारा पूंजीगत खर्चे में साढ़े चौतीस प्रतिशत की वृद्धि की गई | देश की सुरक्षा सरकार की पहली प्राथमिकता है, इसके लिए सरकार आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा को लेकर बहुत ही संजीदगी के साथ कार्य कर रही है | रक्षा के क्षेत्र में सरकार द्वारा खर्चे में भी वृद्धि की गई है | इस बार के बजट में रक्षा खर्च में 18.8 प्रतिशत की वृद्धि की गई है | गाँवों में मजदूरों के लिए सरकार की बड़ी योजना मनरेगा में सरकार द्वारा 1 लाख 11 हजार 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है | अर्थात गरीब से गरीब जनता का ख्याल रखा गया है |
कोरोना महामारी से देश को बचाने के लिए पहला टीकाकरण अभियान की दूसरी खुराक आज से लगाई जाएगी | अभी तक 75 लाख से अधिक लोगों को कोरोना का टीका लगाया जा चुका है | भारत ने तेज गति से विश्व में सबसे अधिक 75 लाख लोगों को कोरोना का टीका लगाया है | यह अपने आपन में वैश्विक रिकॉर्ड है |
आज विश्व दलहन दिवस है | भारत दुनिया में सबसे अधिक दलहन का उत्पादक तथा उपभोक्ता है | पिछले कुछ वर्षों में भारत ने दलहन उत्पादन को 140 टन से बढाकर 240 लाख टन तक बढ़ाया है | 2019-20 में भारत का 23.15 मिलियन टन दलहन का उत्पादन हुआ था, यह विश्व का 23.62% प्रतिशत है | भारत एक शाकाहारी देश है, यहाँ दलहन का उत्पादन प्रोटीन की पूर्ति का मुख्य स्रोत है | दलहन शाकाहारी लोगों का मुख्य भोजन है | दलहन में पानी की कम खपत होती है | सूखे क्षेत्रों में आसानी से इसका उत्पादन किया जा सकता है |
भारत में छोटे तथा सीमांत किसान की संख्या 86 प्रतिशत है | FPO के द्वारा इन किसानों के कल्याण के लिए सरकार की योजना काम कर रही है | सरकार छोटे उत्पादक किसानों को संगठित करके उन्हें कंपनी एक्ट में लाने की योजना कर रही है | इस कंपनी एक्ट में आने के लिए कम से कम 11 सदस्यों का होना आवश्यक है | भारत सरकार द्वारा 10 हजार नए FPO गठित करने का फैसला लिया है | FPO की शुरुआत कृषि स्थिति को सुधारने के लिए किया गया है |
भारत सरकार की राष्ट्रीय पोषण अभियान के तहत दलहन आंगनबाड़ी के माध्यम से वितरित किये जा रहा है | गर्भवती एवं नवप्रसूता के लिए सरकार द्वारा सवा करोड़ केन्द्रों की स्थापना की गई है | कोविड महामारी के दौरान सरकार द्वारा 80 करोड़ लोगों को साबुत दालों की आपूर्ति की गई है | कोविड के होने के बावजूद भारत ने रिकॉर्ड स्तर पर दलहन का निर्यात किया | पिछले वर्ष अप्रैल से दिसंबर 2020 के दौरान दलहनों में 26% की वृद्धि दर्ज की गई है |
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तृणमूल (TMC) में घुटन के मायने

16 वर्ष पूर्व तृणमूल पार्टी की स्थापना हुई थी | पार्टी के संस्थापक सदस्य एवं राज्य सभा सांसद दिनेश त्रिवेदी ने बहुत ही नाटकीय ढंग से राज्य सभा से अपना स्तीफा दे दिया | भरी संसद में उन्होंने कहा कि उन्हें पार्टी में घुटन महसूस हो रही है | वह पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा से बहुत ही आहत दिखे | उन्होंने कहा जो कुछ भी पश्चिम बंगाल में हो रहा है, उसे अब नहीं देख सकता हूँ |
तृणमूल के किसी वरिष्ठ नेता का पार्टी से त्याग पत्र देना तथा पार्टी छोड़ने का यह पहला मामला नहीं है | इससे पहले भी पार्टी के नेताओं ने ममता बनर्जी का साथ छोड़ा है और बंगाल में तेज गति से अपने पैर ज़माने वाली पार्टी भाजपा का दामन थामा है |
जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है , ममता के साथी उन्हें छोड़कर जा रहे हैं | लेकिन सामान्यतः सौम्य, मृदुभाषी एवं दिल्ली की राजनीती में तृणमूल का पक्ष रखने वाले इतने वरिष्ठ नेता का पार्टी छोड़ना सभी के लिए आश्चर्य करने वाला ही था |
बंगाल की राजनीती में हिंसा कोई नई बात नहीं है| पहले भी पश्चिम बंगाल में खूनी राजनीती होती रही है | लेकिन पार्टी का वरिष्ठ संस्थापक साथी यदि यह बात कह रहा है तो इसके गहरे मायने होने चाहिए | क्योंकि राजनीती में कोई भी स्थापित व्यक्ति तब तक अपनी पार्टी नहीं छोड़ता है जब तक उसके सभी रास्ते पार्टी की नई टीम द्वारा नहीं बंद किये जाते हैं |
जिन लोगों ने पार्टी का गठन किया यदि वह लोग पार्टी में हाशिये पर चले जाते हैं तो तात्कालिक तौर पर पार्टी के कुछ लोगों को लाभ मिल सकता है लेकिन लम्बे समय के लिए पार्टी को नुकसान ही होता है |
दिनेश त्रिवेदी के इस्तीफे को राजनैतिक तौर पर भी देखा जाना चाहिए| जब से स्तीफे की पेशकश की है यह आशंका लगाया जा रहा है कि वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं | भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के बयान तो इसी तरफ इशारा करते हैं | भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री एवं पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा “दिनेश त्रिवेदी अच्छे नेता है जो तृणमूल पार्टी में घुटन महसूस कर रहे थे | प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने तो उनका स्वागत भी किया है| दिलीप घोष ने कहा “ तृणमूल के अंत की शुरुआत पहले ही हो चुकी है | तृणमूल से त्रिवेदी का दूर होना केवल समय का मामला है | अगर दिनेश त्रिवेदी भाजपा से जुड़ना चाहते हैं तो हम उनका स्वागत करेंगे |” एक और तो यह भाजपा की राजनीतिक जीत है | भाजपा पहले ही यह घोषणा कर चुकी है कि चुनाव आते आते ममता दीदी अकेली पड़ जाएँगी | इसका मतलब है कि भाजपा पहले से तैयारी कर चुकी है ममता को अलग थलग करने की |
जो-जो नेता ममता बनर्जी का साथ छोड़कर जा रहे हैं उन सब को ममता ने ‘सड़े फल’ की संज्ञा दी है | लेकिन क्या अपने इतने वरिष्ठ नेता के प्रति भी पार्टी का यही रुख रहता है | यह राजनैतिक रूप से सभी के लिए देखने लायक होगा |