जब जब देश किसी भी भयावह त्रासदी में फसा है सामाजिक संगठनों ने आगे आकर कार्य किया है और भारत को संकट के समय में राह दिखाई है | जब चरों और ऑक्सीजन की कमी, दवाई की कमी, विस्तरों की कमी दिखाई दे रही थी ऐसे समय में भारत में कार्य करने वाले सामाजिक संगठनों ने अपने दायित्वों को समझा और भारत के आम नागरिकों को बचाने के लिए हर सम्भव प्रयास किये |
भारतीय संस्कृति सामाजिक संस्कृति है | भारतीय समाज की जो संरचना है उसके मूल में सर्वे भवन्तु सुखिनः है | देश में अनेक धार्मिक एवं सामाजिक संगठन कार्य कर रहे हैं | आज उनके सेवा कार्यों के कारण ही भारत इतनी बड़ी त्रासदी में लोगों को राहत देने में सक्षम हुआ है |
आज देश के गुरुद्वारों द्वारा किये गए सभी के लिए प्रेरणा का कार्य कर रहे हैं | आखिर धार्मिक संगठनों का यही सामाजिक उत्तरदायित्व है कि वह संकट के समय समाज के लिए अपने खजाने को खोले और आमजन की सेवा करें | गुरूद्वारे द्वारा की गई सेवा सभी पंथों के लिए प्रेरणा का कार्य करनी चाहिए |
इसी प्रकार सेवा भारती, भारत विकास परिषद् द्वारा जो कार्य किये गए हैं वह निश्चित ही लोगों को इस त्रासदी से बचाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं | आखिर इस प्रकार के संगठनों का मूल उद्देश्य समाज कल्याण ही होता है | ऐसे पूरे देश भर में फैले अनेकानेक संगठन अपने अपने स्तर पर इन कार्यों को कर रहे हैं | इनके द्वारा किये गए कार्य आने वाले समय में उन देशों के लिए विशेषकर प्रेरणा का कार्य कार्य कर सकते हैं जो विकासशील देश हैं |
विकासशील देश संसाधन की दृष्टि से पिछड़े होते हैं, | संसाधन के आभाव में वहां की सरकारे सभी कार्य नहीं कर सकती है | इसीलिए इन सभी देशों में भारत मॉडल के अनुसार की कार्य करना पड़ेगा | भारत में लम्बे समय से सामाजिक एकता तथा समन्वय के आधार पर कार्य किये जाते रहे हैं | हमने देखा होगा कि भारतीय गावों में छोटे से बड़ा कार्य भी आपसी सहयोग के आधार पर ही होता था | यह हमारे देश का मूल स्वाभाव रहा है | इसी स्वाभाव को सम्पूर्ण विश्व में फ़ैलाने की आवश्यकता है |
डॉ. कन्हैया झा
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