अमेरिका के राष्ट्रपति बाईडेन की यह घोषणा कि कोविड वैक्सीन को पेटेंट अर्थात बौधिक सम्पदा से बाहर होना चाहिए कि घोषणा ने दुनिया के पिछड़े देशों के लिए आशा की किरण दिखाई है | क्योंकि पिछड़े देशों के पास शोध के लिए संसाधन नहीं होते हैं | यदि उन्हें दवाई बनाने का फार्मूला तथा कच्चा माल उपलब्ध करा दिया जाता है तो जल्दी से जल्दी उत्पादन करके जनता को टिका लगाया जा सकेगा |
भारत ने शुरू से ही इस बात का पक्ष रखा है कि सम्पूर्ण विश्व को जल्द से जल्द कोरोना की दवाई मिलनी चाहिए | जब भारत में वैक्सीन का उत्पादन शुरू हुआ तो उस समय भी मैत्री के नाते भारत ने विश्व के अनेक देशों को वैक्सीन उपलब्ध करवाई थी |
दुनिया भर में कोरोना से बचने के लिए टीकाकरण किया जा रहा है | संपन्न देशों ने अपने नागरिकों को जल्द से जल्द टीके लगाकर उन्हें सुरक्षित रखने का प्रयास किया है | इस मामले में पिछड़े विकासशील देश कहीं न कहीं पीछे रह गए हैं | भारत दुनिया का सबसे ज्यादा टीका का निर्माण करने वाला देश है लेकिन यहाँ की अत्यधिक आबादी के कारण सभी को समय पर टिका लगाना संभव नहीं हो पा रहा है |
देश में कोरोना की दूसरी लहर चल रही है | हालाँकि सरकार ने 18 वर्ष से अधिक लोगों के लिए टीके लगवाने की शुरुआत कर दी है लेकिन यह कार्य संपन्न होने में अभी समय लगेगा |
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