ऐसे गाँव नहीं बचेंगें

कोरोना की पहली लहर के दौरान भारत सरकार द्वारा रेल सेवा को बंद कर दिया गया थी | लोगों की शहरों से गांवों तक आवाजाही सीमित रही | इस कारन से गावों तक कोरोना का प्रसार अपेक्षाकृत कम रहा | लेकिन दूसरी लहर में गाँव के गाँव कोरोना से पीड़ित है और त्राहिमाम त्राहिमाम बचा हुआ है | गावों देहातो में कोरोना के कारण होती मौत इस बात का प्रमाण है कि किस प्रकार से कोरोना ने इसे अपने चपेट में लिया है | 

जब हम गाँव की चर्चा करते हैं तो मन में कल्पना आती है शांत एवं शुद्ध वातावरण की | जहाँ पर सभी लोग आपसी सहस्तित्व के लिए प्रगतिशील रहते हों | लेकिन जिस प्रकार से दिन प्रतिदिन गावों की शहरों पर निर्भरता बढ़ रही है उससे तो यही लगता है कि गावों के लिए आना वाला समय और भी कष्टकारी होने वाला है | गावों में पर्याप्त रोज़गार न होने के कारण कामगार मजदूरों को शहरों का रुख करना पड़ता है और जब कोरोना जैसी महामारी घेर लेती है तो वापिस अपने गावों की तरफ लौटना पड़ता है | 

गावों में खेती का आधुनिकरण न होने से कृषि का व्यवसाय अब घाटे का सौदा ही रह गया है | 


डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha

9958806745



कोरोना की तीसरी लहर से कैसे बचा जाये

देश कोरोना की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित हुआ है | लोगों का शहरों से पलायन होता गया और अब यह बीमारी दूर दराज के गावों में फैलती जा रही है | पहले लॉकडाउन में ट्रेन बंद हो जाने के कारण लोगों की आवाजाही रुक गई थी | इसलिए गाँव के अधिकतर हिस्से को बचा लिया गया था | लेकिन दूसरी लहर में सरकार द्वारा ट्रेन को पूर्ण रूप से रोकने का निर्णय नहीं लिया गया | हालाँकि सवारी न मिलने के कारन अधिक दूरी की रेलों को बंद कर दिया गया है लेकिन अब सभी लोग अपने गावों तक पहुँच गए हैं | 

कोरोना की बीमारी कब तक रहेगी इस पर शोध चल रहा है | कोई भी दावा अंतिम नहीं है | ऐसे अनिश्चित माहौल में समाज समाज का संतुलन बिगड़ता जा रहा है | हालाँकि चिकित्सा विशेषज्ञ इस महामारी से सम्पूर्ण मानव को बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं | जब से यह खबर आई है कि कोरोना की तीसरी लहर और भी खतरनाक होगी और यह बच्चों और युवाओं को अधिक प्रभावित करेगी तब से लोगों के मन में दहशत का माहौल बन गया है | 

भारत सरकात के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन ने जब मीडिया में आकर लोगों को तीसरी लहर के बारे में बताया तो पूरा देश इस बात को सुन कर सन्न हो गया है | हालाँकि चिकित्सा विशेषज्ञ, राज्य एवं केंद्र की सरकारे इससे बचाने के लिए सतत कार्य कर रही हैं | विशेषज्ञों के अनुसार सितम्बर से लेकर दिसंबर तक के बीच यह लहर आ सकती है | हालाँकि अभी सरकारों के पास इस लहर से बचने का पर्याप्त समय है | देश आशा करता है कि केंद्र और राज्य की सरकारें समय रहते हुए इस लहर का सामना करने के लिए समुचित व्यवस्था जरूर करेंगे | 

कोरोना की लहर जब आती है तो बड़ी तेज गति से आती है | वह अचानक लोगों को अपने चंगुल में ले लेती है | जैसे पिछले 13 दिनों में अचानक 50 हजार लोगों की मौत ने देश को भयभीत कर दिया था | 

भारत में मार्च अप्रैल में अचानक कोरोना के मामले में वृद्धि दर्ज की गई थी | आज 100 में से एक व्यक्ति मृत्यु की तरफ बढ़ रहा है | उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश महाराष्ट्र, पंजाब गुजरात, पश्चिम बंगाल आदि जैसे राज्य इस बीमारी से बुरी तरह प्रभावित हुए है | इसका सबसे बड़ा कारण है लोगों ने सतर्कता में ढिलाई कर दी थी| कोरोना से बचने के लिए निश्चित प्रोटोकॉल सरकार ने तय किये थे उसका उल्लंघन होता रहा और लोग कोरोना से तेज गति से ग्रसित होते गए | जो लोग शहरों से गांवों की तरफ पलायन किये उन्होंने भी वहां समय रहते हुए कोरोना के प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया | देश भर में सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन पहले की ही भांति होने लगा| बड़े बड़े सामाजिक और धार्मिक आयोजन शुरू हो गए | 

यदि हम गाँव की बात करते हैं तो वहां की स्वास्थ्य सुविधा भगवन भरोसे ही है | न हॉस्पिटल है, न डॉक्टर है और न ही किसी प्रकार की सुविधा उपलब्ध है | गावों में तो या तो झोलाछाप डॉक्टर से इलाज करवाना पड़ता है या जादू टोने का सहारा लेना होता है | आज तक ने हाल ही में जो खबर दिखाई उसमें बिहार और उत्तर प्रदेश के अस्पतालों के बारे में दिखाया गया किस प्रकार अस्पतालों के अन्दर भेंस के खाने वाला भूसा भरा हुआ है | सरकार एवं शासन प्रशासन न जाने कब आम गरीब जनता के हित के लिए जागरूक होगा | 

गावों में यदि किसी व्यक्ति को कोरोना हो जाये तो उसे वह पहले की तरह बुखार और खांसी समझ कर इजाज करवाता है | गावों में अभी भी भरोसा नहीं हो पा रहा है कि कोरोना नाम की कोई बीमारी है | क्योंकि कोरोना के लक्षण भी पहले की बीमारी की तरह ही है | जब बड़े बड़े शहरों में कोरोना की टेस्टिंग नहीं की जा रही है तो समझा जा सकता है कि गावों का क्या हाल होगा | गावों में कोरोना टेस्टिंग केवल खाना पूर्ति ही है | ऊपर से रूढ़िवादिता की हद्द तो गावों में है ही हम सभी ने देखा की उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में काजी साहब के जनाजे के जुलुस में किस प्रकार की भीड़ उमड़ी थी | इन भीड़ों ने कोरोना के नियमों की धज्जियाँ उड़ा के रख दी थी | 

प्रश्न उठता है कि सरकार केवल व्यवस्था कर सकता है लेकिन समाज को जनजागृत करने का काम कौन करेगा, कौन जनमानस को यह बात समझाएगा की मृत्यु से बचना है तो सरकार की बातों को मानना ही होगा | सभी प्रकार के आन्दोलन एवं आयोजन मनुष्य के जीवन से अधिक कीमती नहीं हो सकते हैं | राजनैतिक सामाजिक जिद्द कहीं हमारे ही समाज के लोगों को अकाल मृत्यु की राह पर न धकेल दे | समाज के स्थानीय लोगों को इसके लिए चेतना प्रवाह करना ही होगा | यही आज के समय का सबसे बड़ा सामाजिक कार्य है | सभी प्रकार के भ्रमों से दूर रहते हुए, सभी प्रकार के पूर्वाग्रहों से दूर रहते हुए समाज को बचाने का कार्य करना होगा |


डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha

9958806745



राजनैतिक पूर्वाग्रहों से मुक्त हों दल

यह संकट काल है, किसी भी राजनैतिक दल के लिए यह यह राजनीति करने का अवसर नहीं होना चाहिए | यदि समाज सुरक्षित रहेगा तो राजनीति होती रहेगी और राजनेता बनते रहेंगे | यह सच है कि कोरोना के कारण हम सब यह जान गए कि भारत की चिकित्सा व्यवस्था अभी उतनी तंदरुस्त नहीं हुई है जितनी समय की मांग है | रही सही कसर राजनैतिक तूतू मैंमैं ने पूरी कर दी है | पहले लॉकडाउन के कारण हम कोरोना की लहर से बचने में कामयाब हो गए लेकिन सरकार तथा जनता को इस बात का इल्म ही नहीं था कि दूसरी लहर इतनी भयावह होगी | संभवतः देश की सबसे बड़ी संस्था नीति आयोग भी इसका अनुमान नहीं कर पाया था कि कोरोना की दूसरी लहर से देश का इतना बड़ा नुकसान हो सकता है | नीति आयोग को समय रहते हुए सरकार को चेताना चाहिए था और आवश्यक कदम उठाने के लिए कहना चाहिए था | यदि नीति आयोग ने ऐसा किया होता तो आज की स्थिति कुछ भिन्न होती | 

आज जब हम इस भयावह त्रासदी को झेल रहे हैं तब भारत सरकार विश्व की अन्य कंपनियों के साथ करार करने की बात कर रही है | माडरेना, जॉनसन एंड जॉनसन तथा फाईजर कम्पनियाँ कोरोना की वैक्सीन को बनाने का काम करती है | भारत सरकार ने तो यहाँ तक कहा है कि वह भारत में अपने उत्पादन यूनिट भी लगा सकते हैं | देश के बच्चे को बचाने के लिए आज वैक्सीन की जरूरत है | आज दुनिया इस बात को समझ चुकी है कि यदि मानव जाती को बचाना है तो सभी लोगों का टीकाकरण आवश्यक है | 

प्रारंभ में वैक्सीन को लेकर हमारे देश के राजनेताओं का जिस तरह का वर्ताव रहा है वह बहुत ही निंदनीय रहा है | इनकी बातों से एक नकारात्मक माहौल भी बना | अब इन्हें सम्हल कर बोलना चाहिए | इस प्रकार के गैर जिम्मेदाराना बयान से आपको तात्कालिक राजनैतिक लाभ तो मिल जाता है लेकिन देश में बहुत विशाल संकट खड़ा हो जाता है | 

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha
9958806745


कोरोना काल में राजनैतिक दलों का उत्तरदायित्व

राजनीति और सामाजिक क्षेत्र आपस में जुड़ा हुआ है | हालाँकि दोनों क्षेत्रों में एक बारीक़ रेखा इसे एक दूसरे से अलग जरूर करती है | राजनैतिक दलों को सामाजिक विषयों पर चर्चा करनी होती है और सामाजिक विषय बिना राजनैतिक सहयोग के व्यापक स्तर पर संभव नहीं होता है | 

हमारा देश जब कोरोना की दूसरी लहर को झेल रहा है, ऐसे समय में राजनैतिक दलों तथा सामाजिक दलों का क्या उत्तरदायित्व है ? इन दोनों ही क्षेत्रों से जैसी अपेक्षा की जाती है क्या वह हो रहा है इस पर विचार करने की जरूरत है | जब से कोरोना संकट आया है केंद्र तथा राज्य की सरकारें व्यापक स्तर पर सुविधाओं को बढ़ाने का कार्य कर रही है | आज यदि हम कोरोना से पूर्व की स्थिति और आज की स्थिति पर विचार करेंगे तो हमें बदलाव स्पष्ट दिखेगा | हाँ यह जरूर है कि जितनी आवश्यकता बढ़ी है उतनी पूर्ति नहीं हो पाई है | अचानक इतनी पूर्ति करना किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं होता | 

राजनैतिक क्षेत्र में कार्य करने वालों के लिए एक बात होती है कि परिणाम क्या आयेंगे यह किसी को पता नहीं होता है | लेकिन परिणाम आने से पहले वह अपना सबसे बेहतर प्रदर्शन करने का प्रयास करते हैं | प्रश्न उठता है कि क्या कोरोना से निपटने के लिए भी राजनैतिक दलों द्वारा यह सब किया गया | यदि हम हाल की घटनाओं पर नज़र डाले तो सबसे पहले देश के पूर्वप्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पत्र लिखाकर सरकार को चेताया, फिर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने चिट्ठी लिखी और अब 12 राजनैतिक दलों ने एक और चिट्ठी प्रधानमंत्री को लिखी है | निश्चित रूप से विपक्ष को सरकार से प्रश्न पूछने का पूरा अधिकार है लेकिन इन अधिकारों का प्रयोग यदि राजनीति के लिए किया जाता है तो यह समय इन सबके लिए उपयुक्त नहीं है | देश की इन दोनों दलों के पास व्यापक संघठन विस्तार है | यही दोनों दल नहीं बल्कि देश में पंजीकृत 2 हजार से अधिक राजनैतिक दल भी अपना अस्तित्व रखते हैं | इन सभी राजनैतिक दलों को स्थानीय स्तर पर कोरोना मरीजों की मदद करनी चाहिए | संभवतः देश का ऐसा कोई ब्लाक, मंडल या जिला नहीं होगा जहाँ कोई न कोई राजनैतिक या सामाजिक संगठन नहीं होगा | इनकी संख्या करोड़ों में हैं | अभी देश में कोरोना मरीजों की संख्या केवल लगभग 2.5 करोड़ है | इन राजनैतिक तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं की संख्या 40 करोड़ है | समझिये समाज के इतने बड़े संगठन की उपयोगिता किस प्रकार हो सकती है | केवल राजनैतिक आरोप प्रत्यारोप किसी राजनैतिक दल को तात्कालिक फायदा या नुकसान तो दे सकता है लेकिन जिन लोगों की जाने जा रही उनका जीवन फिर से नहीं मिलने वाला है | 

अभी जब में इन सब बातों के बारे में सोच रहा हूँ तब अचानक खबर आई है कि वेस्ट बंगला की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के छोटे भाई का निधन कोरोना से हो गया है | समझिये यह बीमारी कितनी जानलेवा है | यह बीमारी जब बड़े बड़े सत्ताधीशों को नहीं छोड़ रही है तो आम जन का क्या होगा | 

गंगा नदी में अचानक बढ़ते लाश के ढेर यह बता रहें हैं कि आपसी राजनैतिक रंजिश की जगह सेवा समर्पण के कार्यों को किया जाये | कानून के दायरे में रहकर जो भी किया जा सकता है वह करना चाहिए | कुछ दिन पहले सरकार में कार्यरत एक महिला का मुझे मेसेज आया कि कोरोना के कारण जिनके माता पिता नहीं रहे और बच्चा अकेला हो गया है उसे वह पालना चाहती हैं | समाज की इस संवेदनशीलता को राजनैतिक दलों को समझना चाहिए | समाज बचेगा तभी आप भी स्थानीय राजनीति कर पाएंगे नहीं तो हवाहवाई राजनीति अधिक दिन तक नहीं चलती है | यह हमारे देश ने बार बार देखा है | 


डॉ. कन्हैया झा
Dr. Kanhaiya Jha
9958806745

नेशनल टास्क फ़ोर्स जीवन रक्षक टीम

कोरोना महामारी के कारण देश में जो मंजर बना उसने देश के नीति निर्माताओं की नींद उड़ा दी | साल भर के सफल लॉकडाउन के कारण भारत में कोरोना के कारन मृत्यु अन्य देशों की अपेक्षा कम रही थी | संभवतः हमने इसे कोरोना पर अपनी विजय के रूप में देखना शुरू कर दिया था | सभी प्रकार के सामाजिक, पारिवारिक, धार्मिक एवं राजनैतिक कार्यक्रमों का चलन एक बार फिर से आम हो चला था | इस कारण से हमने जीती हुई बाजी हारते चले गए | 

कोरोना के दूसरी लहर के कारण जो भयावह मंजर बना उसे देखकर सुप्रीम कोर्ट भी चुप नहीं रह सका | बीते पिछले कुछ दिनों में सुप्रीम कोर्ट तथा हाई कोर्ट की सख्ती या दर्शाती है कि स्थिति कितनी भयानक हो चुकी थी | अचानक लोग बीमार पड़ने लगे, मौतों का आंकड़ा बढ़ने लगा, अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड उपलब्ध नहीं थे और चारो हो हाहाकार मचा हुआ था | ऊपर से केंद्र तथा राज्यों के बीच होती तूतू मैं मैं ने समाज का वातावरण और ख़राब कर दिया था | 

इस समस्या से निपटने के लिए जस्टिस चंद्रचूर की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नेशनल टास्क फ़ोर्स का गठन किया गया | इसका प्रमुख कार्य राज्यों के लिए मेडिकल ओक्सीजन की जरूरत का मूल्यांकन करना है तथा उसे किस प्रकार से वितरण किया जाए इसके लिए रणनीति का निर्माण करना है | यह टास्क फ़ोर्स ऑक्सीजन की उपलब्धता तथा मांग पर नज़र रखेगी | इस 12 सदस्यीय टीम में प्रसिद्द डॉक्टर हैं, कैबिनेट सेक्रेटरी की तरफ से मनोनीत सदस्य रहेंगे एवं स्वास्थ्य सचिव भी रहेंगे | इस प्रकार यह टास्क फ़ोर्स ऐसे लोगों की टीम बनी है जो इसकी गंभीरता को समझते हैं तथा देश को इस संकट से निजात दिलाने का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं | 

सामान्यतः इस प्रकार से संकट से निजात दिलाने का काम चुनी हुई सरकार का होता है लेकिन जब संकट ज्यादा बड़ा हो तो कोर्ट का यह फैसला बिलकुल उपयुक्त है | यह समय आपसी राजनीती करने का न होकर एक दूसरे का साथ देने का है | 

यदि हम इस कार्यबल को ठीक से देखेंगे तो इस कार्यबल की अनेक सीमाएं हैं जिसमें सबसे बड़ी सीमा यह है कि यह फ़ोर्स केवल सरकार को सुझाव दे सकता है उसका क्रियान्वयन तो नोकरशाही को ही करना होगा | यदि इनके दिए हुए सुझाव को नहीं माना जाता है तो उसके बाद क्या होगा यह अभी स्पष्ट नहीं है | यह समय केवल चर्चा और निंदा करने का नहीं है | देश के संकट के इस दौर में तुरंत तुरंत निर्णय लेने की आवश्यकता है | यदि इस कार्यबल को निर्णय लेने की स्वतंत्रता भी मिल जाती हो शायद और अधिक प्रभावी रूप से देश को इस संकट से निजात मिल सकता है | क्योंकि पिछले अनुभव यही बताते हैं कि इस प्रकार की कमेटियां जो सुझाव देती हैं उसका पूरा पूरा क्रियान्वयन नहीं हो पाता है और देश भविष्य के अंधकार में पड़ता जाता है | 

कोरोना की दूसरी लहर में कुछ राज्य तो घुटने पर आ गए थे | जिन राज्यों के पास ऑक्सीजन की अधिकता थी उन्होंने अन्य राज्यों की मदद भी की | टास्क फ़ोर्स को ऑनलाइन नियमित बैठके करके पूरे देश का जायजा लेना चाहिए जिससे दिन प्रतिदिन की गतिविधियों पर नज़र रखी जा सके और स्थिति को बेहतर करने के लिए आवश्यक निर्देश दिए जा सके | 

जिस प्रकार से ऑक्सीजन संकट से निपटने के लिए टास्क फ़ोर्स का गठन किया गया है उसी प्रकार से वेक्सिन को सभी राज्यों में सही समय पर पर्याप्त मात्रा में मिले इसके लिए भी कार्यबल अभी से ही गठित हो जाना चाहिए | जिससे आने वाली तीसरी लहर को आसनी से रोका जा सके | 

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha
9958806745