मत गणना से मौत गणना तक

पांच राज्यों का चुनाव संपन्न हुआ | पांचों राज्यों में सभी राजनैतिक दलों द्वारा धुआंधार प्रचार किया गया | जैसे-जैसे प्रचार बढ़ता गया देश में मौत का आंकड़ा भी बढ़ता गया | देश का ऐसा कोई राज्य तथा जिला नहीं बचा जहाँ पांच राज्यों के चुनाव और राज्य में बढती हुई लाशों की चर्चा न हो | आम तौर पर जिन शमशान घाटों पर प्रतिदिन 20-30 लाशों का अंतिम संस्कार किया जाता था अब उन शमशान घाटों पर 150-200 शव लाइन लगा के खड़े रहते हैं | 

कोरोना के कारण देश में बढ़ते मौत के आंकड़े यह बताते हैं कि देश में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं उतनी दुरुस्त नहीं है जितनी होनी चाहिए |

सितम्बर से लेकर फरवरी तक देश में कोरोना की गति में कमी को हमने कोरोना पर अपनी विजय मानने का जो भ्रम पाला उसकी सजा आज पूरा देश भुगत रहा है |

पांच राज्यों के चुनाव विशेषकर पश्चिम बंगाल में जिस प्रकार का चुनाव प्रचार हुआ वह सबके लिए रोमांचकारी रहा | लाखो लाखों लोगों की रेलियाँ हुई | रेलियों में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया | यहाँ तक की सार्वजानिक मंचों से भी बड़े बड़े नेताओं ने भी प्रोटोकॉल नियमों का खुल्लम खुल्ला खेल खेला गया | 

भारत में चुनाव एक उत्सव है | लेकिन लाशों पर कभी भी उत्सव मनाने की परंपरा भारत में नहीं रही है | एक तरफ देश में कोरोना की स्थिति भयावह होती गई और राज्यों में चुनावी रेलियाँ जारी रहा | कोई भी राजनैतिक दल शवों के ऊपर किस प्रकार उत्सव का आयोजन कर सकता है | 

भारत का मतदाता समझदार है | उसे पता है कि राज्य के चुनाव और देश के चुनाव में क्या अंतर होता है | 

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha

तीसरी लहर कितनी भयानक

देश कोरोना संकट के दौर से गुजर रहा है | पहली लहर से पीछा छुटा ही था कि दूसरी लहर ने आम जनमानस के जीवन को तहस नहस कर दिया | सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी सुनवाई में केंद्र तथा राज्य सरकारों को तीसरी लहर के बारे में चेताया है | सुप्रीम कोर्ट ने तो यहाँ तक कहा है कि सरकारें यह बताएं कि तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए उसका क्या प्लान है | 

जब से कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दी है तब से सुप्रीम कोर्ट भी जनता की परेशानी के लिए परेशान दिख रहा है | सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आवश्यक दवाई तथा ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित करने के भी आदेश दिए हैं| ताकि जब तीसरी लहर आती है तो लोगों में इन सब चीजों के लिए आपाधापी का माहौल न बनें | 

बताया जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर पहली दो लहरों से भी भयानक होने वाली है | इसलिए अब और भी सावधानी बरतने की जरूरत है | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्यों के मुख्यमंत्रियों तथा विभिन्न विभागों के प्रमुखों से लगातार बैठक करके स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं | अपने संबोधन में उन्होंने कहा भी था कि देश में लॉकडाउन लगाना अंतिम विकल्प के तौर पर ही होगा | लेकिन जिस तरह अस्पतालों में मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है और ऑक्सीजन एवं आवश्यक दवाओं की मांग बढ़ रही है उससे यही लगता है कि जनता अभी भी कोरोना के प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रही है | 

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha 

अपने बच्चों को कोरोना से बचाइए

जैसे जैसे समय बीत रहा है कोरोना अपने पाँव पसारता जा रहा है | कोरोना संकट वर्तमान समय का सबसे भयावह संकट बनकर मानव पर आया है | इस संकट में बच्चों को बचाने की बहुत आवश्यकता है |

हमारे देश की आबादी में 30 प्रतिशत बच्चे 0 से 18 वर्ष के हैं | ऐसे में लगभग 30 करोड़ आबादी की सुरक्षा के उपाय सरकार के साथ साथ परिवार को भी करना होगा | 

चारो तरफ फैले नकारात्मक माहौल से बच्चों को बचाने की जरूरत है | एक तरफ सभी स्कूल तथा कॉलेज बंद है, बच्चे बाहर जा नहीं सकते हैं, ऐसे में यह संकट बच्चो को भी बहुत कष्ट दे रहा है | 

बच्चों को सुरक्षित करना का एक ही तरीका है वह है इनकी इम्युनिटी को मजबूत किया जाये | इसके लिए अभिभावक बच्चों को फल, दूध, हरी सब्जी के अलावा बच्चों को हल्के योगा तथा प्राणायाम को जीवन चर्या में लाने का भी आग्रह करें | 

बच्चों को किसी न किसी सकारात्मक गतिविधियों में लगाये रखना जरूरी है | बच्चों को अधिक समय तक खली न बैठने दें | उनके किसी न किसी विषय पर बातचीत करते हैं | 

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha

पकड़ा गया ऑक्सीजन का काला ‘चोर’

देश इस सदी की सबसे भयावह त्रासदी को झेल रहा है| केंद्र तथा राज्य सरकारें जनता की मदद करने के लिए सभी उपाय कर रही है | लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन की कालाबाजारी जोरों पर है | लोग जरूरी दवाई तथा ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए तरस रहे हैं | 

दिल्ली में खान मार्किट के खान चाचा रेस्टोरेंट से 96  ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बरामद हुए हैं | पुलिस की छापेमारी में इसे पकड़ा गया है | दिल्ली के पोश इलाके में इस प्रकार की गतिविधियाँ यह दर्शाती है कि किस प्रकार नेताओं के संरक्षण में इस प्रकार के कार्यों को अंजाम दिया जाता है | इससे पहले भी लोधी कॉलोनी पुलिस द्वारा छतरपुर के एक फार्महाउस पर 419 कंसंट्रेटर बरामद हुए थे | 

इस सभी छापेमारी में जिस व्यक्ति का नाम सबसे अधिक आ रहा है वह है नवनीत कालरा | प्रश्न यह उठता है कि जब देश इस प्रकार के संकट से जूझ रहा है तो आखिर किस के शह में यह लोग इस प्रकार की घिनौनी हरकतें करते हैं | 

निश्चित ही ऐसे लोग देश और समाज के लिए दुश्मन है | जो मानव संकट के समय भी अपने बुरे कामों को करने से बाज़ नहीं आते हैं | 

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha

केंद्रीय कर्मचारियों को ऑफिस आने से मिली छुट

कोरोना के बढ़ते संकट को देखते हुए केंद्र सरकार ने आदेश पारित किया है कि ऐसे क्षेत्र जो कन्टेनमेंट जॉन घोषित हो चुके हैं वह उनमें रहने वाले कर्मचारियों को तब तक ऑफिस आने की जरूरत नहीं है जब तक वहां स्थिति सामान्य नहीं हो जाती है | हालाँकि ऐसे लोगों को घर से ही कार्य करना होगा | 

इसके अलावा गर्भवती महिला तथा दिव्यांगों को भी 31 मई तक घर से ही कार्य करने का आदेश दिया गया | देश में कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए केंद्र की तरफ से यह आदेश जारी किया गया है |

जो कर्मचारी ऑफिस आ रहे हैं उनसे कहा गया है की वह कोरोना के नियमों का नियमित पालन करें, साबुन से हाथ धोते रहें, मास्क पहन के ही ऑफिस आये और सेनीटाईजर का उपयोग करते रहें | 

संकट के इस क्षण में महिलाओं का ऑफिस आना खतरे से खाली नहीं है | सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला निश्चित ही इन्हें राहत देगा | 

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha

मानव का रक्षक केवल कोरोना का टीका है

अमेरिका के राष्ट्रपति बाईडेन की यह घोषणा कि कोविड वैक्सीन को पेटेंट अर्थात बौधिक सम्पदा से बाहर होना चाहिए कि घोषणा ने दुनिया के पिछड़े देशों के लिए आशा की किरण दिखाई है | क्योंकि पिछड़े देशों के पास शोध के लिए संसाधन नहीं होते हैं | यदि उन्हें दवाई बनाने का फार्मूला तथा कच्चा माल उपलब्ध करा दिया जाता है तो जल्दी से जल्दी उत्पादन करके जनता को टिका लगाया जा सकेगा | 

भारत ने शुरू से ही इस बात का पक्ष रखा है कि सम्पूर्ण विश्व को जल्द से जल्द कोरोना की दवाई मिलनी चाहिए | जब भारत में वैक्सीन का उत्पादन शुरू हुआ तो उस समय भी मैत्री के नाते भारत ने विश्व के अनेक देशों को वैक्सीन उपलब्ध करवाई थी | 

दुनिया भर में कोरोना से बचने के लिए टीकाकरण किया जा रहा है | संपन्न देशों ने अपने नागरिकों को जल्द से जल्द टीके लगाकर उन्हें सुरक्षित रखने का प्रयास किया है | इस मामले में पिछड़े विकासशील देश कहीं न कहीं पीछे रह गए हैं | भारत दुनिया का सबसे ज्यादा टीका का निर्माण करने वाला देश है लेकिन यहाँ की अत्यधिक आबादी के कारण सभी को समय पर टिका लगाना संभव नहीं हो पा रहा है |

देश में कोरोना की दूसरी लहर चल रही है | हालाँकि सरकार ने 18 वर्ष से अधिक लोगों के लिए टीके लगवाने की शुरुआत कर दी है लेकिन यह कार्य संपन्न होने में अभी समय लगेगा | 

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha

दीदी का राज्य से राष्ट्र की तरफ ‘कूच’

पांच राज्यों के चुनाव केवल राज्यों की राजनीती को प्रभावित नहीं कर रहे हैं बल्कि देश की राजनीती में भी बड़े बदलाव आने की सम्भावना है | आने वाले भविष्य में देश की राजनीती में इन राज्यों के परिणाम लोगों को बहुत कुछ सोचने के लिए मजबूर कर सकते हैं | 

पांच राज्यों के चुनाव में सबसे रोमंचाकरी चुनाव पश्चिम बंगाल का रहा | इस चुनाव पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई थी | देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री से लेकर भाजपा के सभी बड़े नेता राज्य को फतह करने के लिए निकले थे लेकिन ममता बनर्जी की टक्कर के कारण भाजपा सत्ता के द्वार तक नहीं पहुँच सकी | 

अभी तक दिल्ली में मोदी के सामने विपक्ष का कोई भी मजबूत चेहरा नहीं है | जिस अंदाज़ में ममता बनर्जी ने भाजपा से अपनी कुर्सी बचाने में सफलता प्राप्त की है उससे लगता है कि आने वाले दिनों में राष्ट्रीय राजनीती में दीदी अपना जलवा दिखाने का प्रयास कर सकती हैं | 

यह चुनाव हाईप्रोफाइल चुनाव था जहाँ एक ओर TMC पिछले 10 सालों से सत्ता पर काबिज थी, इसी को मुद्दा बनाने के लिए बंगाल के वोटरों को सत्ता में खोट निकालने का प्रयास भाजपा द्वारा किया गया |

देश के प्रधामंत्री, गृहमंत्री, सभी मंत्री, पूरा भाजपा संगठन भाजपा के मीडिया और सोशल मीडिया प्रबंधक सभी मिलकर भी ममता बनर्जी को परास्त नहीं कर पाए | ममता बनर्जी ने जमकर चुनाव लड़ा और जनता का आशीर्वाद भी पाया | 

दिल्ली की संसद में भी TMC के संसद भाजपा सरकार की जिस तरीके की आलोचना करती है वैसी आलोचना संभवतः आज के समय में कांग्रेस के सांसद भी नहीं करते हैं | ममता की इस जीत ने दीदी को केन्द्रीय राजनीती का केंद्र बिंदु बना दिया है | 

यह चुनाव केवल ममता बनर्जी के लिए ही नहीं बल्कि भाजपा के लिए महत्वपूर्ण होगा | भाजपा को अब यह समझना होगा कि प्रत्येक राज्य की राजनीतिक मानस एक जैसा नहीं होता है | दूसरे दल से आये नेता एक सीमा तक तो सहयोग कर सकते हैं लेकिन राजनैतिक दल की असली शक्ति उसका अपना संगठन तथा कार्यकर्ता ही होता है | राजनीती के तात्कालिक मुद्दे आपके एक या दो बार चुनाव जिताने में सहयोग कर सकते हैं लेकिन यदि सभी राज्यों में भाजपा की सरकार का गठन करना है तो पार्टी को संगठन की मूल इकाई को मजबूत करके उन्हें ही आगे बढाने का कार्य करना होगा क्योंकि चुनाव की असली लड़ाई बूथ पर लड़ी जाती है | 

केरल और तमिलनाडू के परिणाम यही बताते हैं कि देश में अभी भी क्षेत्रीय दलों की स्वीकार्यता बरक़रार है | राष्ट्रीय दलों को यदि इन राज्यों में अपनी पहुँच बनानी है तो उनको क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर ही कार्य करना होगा | विशेषकर कांग्रेस को इस चुनाव से फिर से चिंतन करने की जरूरत है कि वह आगे की राह कैसे तय करती है |  

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha


G-23 फिर होंगे सक्रिय

हाल ही में हुए 5 राज्यों के चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में निराशा का भाव पैदा कर दिया है | पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की स्थिति नगण्य रही वहीँ केरल में वह सत्ता में वापिसी नहीं कर पाई जबकि केरल का इतिहास एक बार कांग्रेस दूसरी बार वाम सरकार था | कांग्रेस को केरल में आस इसलिए भी थी क्योंकि कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष केरल के वायनाड से सांसद है और उन्होंने यहाँ मेहनत भी की थी |

यही हाल पोंडिचेरी में भी देखने को मिला | चुनाव से पहले पोंडिचेरी में कांग्रेस सत्ता में थी लेकिन चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने उससे कुर्सी छीन ली और अब अगले 5 सालों के लिए उसे वनवास पर भेज दिया है | 

असम में भी कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा है | वहां भी भाजपा ने मजबूती के साथ वापिसी की है | केवल तमिलनाडु में कांग्रेस गठबंधन के कारण सत्ता के इर्दगिर्द घूम सकती है |

अब कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीती क्षेत्रीय दलों की बैसाखी पर चलती दिख रही है |

कांग्रेस में असंतोष नेताओं की भी कमी नहीं है | वह लम्बे समय से कांग्रेस में परिवर्तन की मांग करते आये हैं | इन सब स्थिति को देखते हुए लगता है कि कांग्रेस के G-23 नेता फिर से सक्रीय हो सकते हैं | इससे कांग्रेसी के पुराने दिग्गजों को फिर से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है | 

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha


कांग्रेस की नींव पर भाजपा की पुद्दुचेरी में फतह

पोंडीचेरी में NDA ने सत्ता पर अपना वर्चस्व बना लिया है | चुनाव से पहले कांग्रेस के बहुत से विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल गये गए थे | जिसका फायदा NDA को मिला | जो विधायक कांग्रेस छोड़कर आये तो उन्होंने जीत भी दर्ज की | 

पोंडिचेरी में भाजपा का गठबंधन AINRC के साथ था जबकि कोंग्रेस का गठबंधन DMK के साथ था | 

अब माना जा रहा है कि NDA के मुख्यमंत्री के लिए AINRC के अध्यक्ष रंगसामी ही सबसे मजबूत दाबेदार हैं | 

पोंडिचेरी छोटा सा केंद्रशासित राज्य है लेकिन राजनैतिक रूप से यह बहुत ही महत्वपूर्ण राज्य है | भाजपा के प्रवेश के बाद भाजपा दक्षिण के राज्यों में काम करने के लिए इसका उपयोग कर सकेगी |

अभी भारतीय जनता पार्टी की कर्णाटक के अलावा किसी भी राज्य में बड़ी पकड़ नहीं बनी है | पोंडिचेरी से भाजपा दक्षिण के राज्यों की तरफ बढ़ सकने में सफलता प्राप्त कर सकती है | 

हालंकि कांग्रेस यहाँ पर पिछले 5 वर्षों से गठबंधन में साथ में थे लेकिन उनका गठबंधन लोगों को यह समझाने में नाकामयाब रहा कि राज्य में किये गए कार्यों पर उन्हें वोट मिलना चाहिए | 

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha

असम में फिर से गैर-कांग्रेसी सरकार

असम चुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि राज्य में फिर से भाजपा की अगुवाई में NDA सत्ता में वापसी कर चुका है | इस जीत के साथ ही भाजपा ने इतिहास भी रचा है | ऐसा पहली बार हो रहा है कि कोई गैर-कांग्रेसी सरकार असम में दूसरी बार सत्ता की बागडोर को सम्हाल रही हो | 

हालाँकि की इससे पहले भी असम में सत्ता परिवर्तन हुए हैं लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि कांग्रेस को लगातार 2 बार सत्ता से बाहर होना पड़ा हो|  

इस चुनाव में NDA को 76 सीटों पर बढ़त मिली हुई है जबकि कांग्रेस पार्टी ने 46 सीटों पर अपनी बढ़त बरक़रार रखी है | कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान CAA का विरोध करने से हुआ | कांग्रेस ने AIUDF के साथ गठबंधन किया था जो जनता को पसंद नहीं आया और जनता ने कांग्रेस को सत्ता नहीं सौंपी| 

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha  


कांग्रेस को मिली राहत

जब से केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार आई है तबसे कांग्रेस की मुसीबत बढती ही जा रही है | मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद ऐसा लगता है कि कांग्रेस का सूरज दिन प्रतिदिन ढलता ही जा रहा है | हाँ कभी कभी कुछ आशा की किरण भी जगती है | इसी आशा के सहारे कांग्रेस खुद को जिन्दा रखने का प्रयास कर रही है |

5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल ममता बनर्जी के पास गया, असम में भाजपा ने बाजी मारी, केरल में वामपंथियों ने अपना गढ़ बचा लिया और पुद्दुचेरी में NDA सत्ता पर काबिज हो गई | कांग्रेस को इन चार राज्यों में सत्ता की कुर्सी हांसिल नहीं हुई है | लेकिन दक्षिण के राज्य तमिलनाडू में कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा थी इसलिए वह सत्ता के गलियारों में उठ बैठ सकती है | हालाँकि यहं भी कांग्रेस को केवल 3 प्रतिशत वोट ही मिले | लेकिन कहा गया हैं न डूबते को तिनके का सहारा| यही बात चरितार्थ हो रही है | 

तमिलनाडु में कांग्रेस ने खुद को द्रमुक गठबंधन का हिस्सा बना लिया था | हो सकता है जब ,मंत्री पद की घोषणा हो तो कांग्रेस के भी कुछ लोगों को यहाँ सरकार का हिस्सा बनने का मौका दिया जाये | हालाँकि कांग्रेस के रणनीतिकार तमिलनाडु में जिस प्रकार के परिणाम की अपेक्षा कर रहे थे परिणाम उनके अपेक्षा के अनुरूप नहीं आये फिर भी कहीं तो सत्ता के गलियारों में कांग्रेस को भी जगह मिली | 

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha

केरल में कांग्रेस की हार का कारण ‘कलह’

केरल में वामपंथियों ने अपनी सरकार बचाने में फिर से एक बार सफलता प्राप्त कर ली | केरल का रोटेशन ख़त्म हुआ | एक बार कांग्रेस तथा एक बार वाम दलों की सरकार बनने का इतिहास रहा है | लेकिन अभी हुआ विधानसभा चुनानों में केरल में कांग्रेस को जनता ने नकार दिया है | इस तरफ पांच राज्यों में हुए चुनाव में कांग्रेस कहीं भी सरकार में नहीं आ सकती | हालाँकि तमिलनाडु में वह गठबंधन में थी वहां कांग्रेस को केवल 3 प्रतिशत मत ही प्राप्त हुए |

आखिर कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ होने की क्या वजह रही | जबकि कम से कम केरल का तो इतिहास रोटेशन सरकार का रहा है | सबसे पहले कोरोना संकट के दौरान केरल में जिस प्रकार का प्रबंधन हुआ उसकी चर्चा पूरे देश में है | इतनी बड़ी भारी तबाही से राज्य की जनता को बचाने का इनाम जनता ने वाम दलों को दिया है | दूसरा केरल में कांग्रेस पार्टी कई धड़ों में बंट चुकी हैं | केरल कांग्रेस के नेताओं का आपसी कलह समाप्त ही नहीं हो रहा है| जब आपस में एकता नहीं होगी तो चुनाव कैसे जीते जायेंगे | दूसरी और कांग्रेस ने अपने किसी भी उम्मीदवार को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया | इससे राज्य के अन्दर पहले के मुख्यमंत्री पर ही लोगों ने अपना विश्वास जताया | यहाँ तक के कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ओमान चांडी को भी पार्टी ने कोई तबज्जो नहीं दी | हालाँकि राहुल गाँधी केरल के वायनाड से सांसद है और उन्होंने वहां कुछ समय लगाया भी | लेकिन उनका लगाया हुआ समय पार्टी को विजय रथ पर नहीं बैठा सका | 

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha


मोदी और ममता को किसने जिताया

पश्चिम बंगाल का चुनावी रण समाप्त हो गया | जनता ने ऐलान कर दिया कि ममता बनर्जी ही फिर से सूबे की मुख्यमंत्री होंगी | राज्य को चलाने के लिए उन्हें और कोई स्वीकार नहीं है | भाजपा ने भी यह चुनाव पूरी ताकत से लड़ा था| इसलिए जनता ने उन्हें भी खाली हाथ नहीं जाने दिया | इसलिए बंगाल के चुनाव में भाजपा के लिए जनता का आदेश है कि मजबूत विपक्ष के रूप में हमारी सेवा करो | अगले 5 सालों के बाद फिर से आपकी वापसी पर विचार होगा | 

2019 के चुनाव में पश्चिम बंगाल की जनता ने मोदी को वोट किया था | 2019 के परिणामों से खुश होकर ही भाजपा फिर से मैदान में कूदी थी | आखिर वह कौन सी आबादी थी जिसने मोदी को जिताया था और भाजपा को न कह दिया | आखिर वोटरों का वह कौन सा वर्ग है जो कभी मोदी को जिताता है और कभी ममता को राज गद्दी पर बिठा देता है |

चलो ज्यादा क्या इंतजार करवाना | मोदी को वोट देने वाला वर्ग था महिला वर्ग | 2019 के चुनाव का विश्लेषण करने वाले मानते हैं कि मोदी की जीत में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है | बस इसी वर्ग को ममता ने भी रिझाने का काम किया | जिन महिलाओं ने पिछले चुनाव में मोदी को वोट दिया था उन्हीं महिलाओं ने इस चुनाव में ममता बनर्जी को वोट देकर फिर से मुख्यमंत्री बनाया है | 

एक तरफ बंगाली अस्मिता का सवाल और दूसरी और ममता बनर्जी की तरफ से शुरू की गई योजना रुपश्री, कन्याश्री, सरकार आपके द्वार जैसी योजनाओं ने महिलाओं को अपनी और आकर्षित करने में सफलता प्राप्त की | अब 2021 का चुनाव और उसके परिणाम तो आ गए हैं | आने वाले 2024 के चुनाव में यह महिलाएं किस ओर का रुख करेंगी यह देखने की बात होगी | 

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha

बंगाल में कांग्रेस का क्या हुआ

बंगाल का हाईप्रोफाइल चुनाव समाप्त हो गया | ममता बनर्जी को 200 से ज्यादा सीटें मिली | इस जीत के साथ ही ममता बनर्जी तीसरी बार सूबे की मुख्यमंत्री बनने जा रही है | वहीँ भारतीय जनता पार्टी ने भी अपना जनाधार बढाते हुए 3 से बढ़कर 77 का आंकड़ा हुआ | हालाँकि की भाजपा के रणनीतिकार शुरू से दावा कर रहे थे की बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की 200 से अधिक सीटें आने वाली है | लेकिन जनता ने उन्हें अभी विपक्ष में बैठने का ही जनादेश दिया है |

बंगाल कभी वामपंथियों का गढ़ रहा है | 10 साल पहले ममता बनर्जी की अगुवाई में वामपंथियों को हटाने का अभियान ममता बनर्जी ने चलाया था | उसी तर्ज पर भाजपा ने भी ममता को हटाने के लिए अभियान चलाया | लेकिन भाजपा को उतना जनसमर्थन प्राप्त नहीं हुआ जिससे सरकार बन सके |

बंगाल के रिजल्ट के शोर शराबे में कांग्रेस का क्या हाल हुआ इसकी चर्चा बहुत ही कम हुई है | कांग्रेस भारत की सबसे पुरानी और सबसे लम्बे समय तक राज करने वाली पार्टी रही है | इस राष्ट्रीय पार्टी का आख़िरकार बंगाल में क्या हाल हुआ | 

डॉ. कन्हैया झा 

(Dr. Kanhaiya Jha)


अब आया देश में इलेक्ट्रिक ट्रेक्टर

भारत आत्मनिर्भर हो रहा है | किसानों के खेतों में बिजली से चलने वाले ट्रेक्टर का इंतजार अब ख़त्म होने वाला है | जी हाँ, मध्य प्रदेश के बुदनी में इलेक्ट्रिक ट्रेक्टर का सफल परिक्षण किया गया है | अब ट्रेक्टर को चलाने के लिए डीजल की जरूरत नहीं होगी | किसान अपने घर की बिजली से ट्रेक्टर को चला सकेंगे | 

पास हुआ ट्रेक्टर पर्यावरण के अनुकूल है तथा किसी प्रकार का प्रदुषण भी नहीं छोड़ेगा | इससे वातावरण का संरक्षण होगा | इसका व्यावसायिक उपयोग ठीक से हो, इसकी क्षमता उतनी हो जितनी ट्रेक्टर में होनी चाहिए इन सब का परिक्षण केंद्र पर किया गया तथा इसे फिट होने का प्रमाणपत्र भी प्राप्त हुआ है | 

पिछले कुछ वर्षों में भारत में व्यापर को लेकर उदारीकरण की नीति चल रही है | सरकार द्वारा नए नए उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए अनेक कदम उठाये जा रहे हैं | घरेलु वस्तुओं में गुणवत्ता हो तथा विश्व के बाज़ार में वह प्रतिस्पर्धा दे पायें इसके लिए सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिया जा रहा है | इसीलिए सरकार द्वारा स्थापित केंद्र पर इस प्रकार के प्रयोगों का मापन किया जाता है तथा उन्हें प्रमाणपत्र दिया जाता है कि वह कार्य करने के लायक हैं | 

(डॉ. कन्हैया झा)

Dr. Kahaiya Jha


भारत से अच्छी खबर पहली भारत की दवाई हुई कोरोना से लड़ने में कारगर

पूरे देश में कोरोना ने अपने पांव पसार रखे हैं | शहर शहर लाशों के ढेर लगे हैं | लोग इस बीमारी से परेशान है | लोगों के कामधंधे चोपट हो गए हैं | इस महामारी से बचाने के लिए उपयोग में लाइ जा रही आयुष-64 पर अध्ययन हुआ | अध्ययन में पाया गया है कि आयुष-64 हल्के तथा और माध्यम कोविड-19 के मरीजों को ठीक करने में उपयोगी रहा है | इस दवाई को भारत की केंद्रीय आयुर्वेदिक अनुसन्धान परिषद् द्वारा विकसित किया गया है | इसका निर्माण 1980 के दौरान मलेरिया के उपचार के लिए किया गया था | लेकिन जब इस दवाई को कोरोना के मरीजों को दिया गया तो यह लाभकारी सिद्ध हुई है | 

इसके प्रभाव को समझने के लिए आयुष मंत्रालय द्वारा हाल ही में एक व्यापक क्लिनिकल रिसर्च की गई है | 

डॉ कन्हैया झा 

(Dr. Kanhaiya Jha)


कोरोना से लड़ने के लिए सेना तैयार

देश पर जब जब संकट आता है तो हमारे देश की सेना लोहा लेती है | संकेत के समय में लोगों को बचाना हमारे देश की सेना की पहचान है | संकट चाहे देश के बाहर से हो या देश के अन्दर सभी मोर्चों पर सेना ने सदैव अपना लोहा मनवाया है |

चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ जनरल एमएम नरवणे आज प्रधामंत्री से मिले तथा उन्हें सेना की तैयारी के बारे में बताया | सेना ने अपने मेडिकल अधिकारीयों को राज्यों में कार्य करने के लिए भेजे हैं | राज्य जब भी जिस प्रकार की मांग करते हैं सेना द्वारा उसे पहुँचाया जा रहा है | 

आज देश में ऑक्सीजन की कमी तथा अस्पतालों में बिस्तरों की कमीं से पूरा देश जूझ रहा है | सभी लोगों के पास सहायता मांगने वालों के फोन आ रहे हैं | क्या नेता, क्या पत्रकार और क्या आम आदमी सबकी हालत लचर होती जा रही है | लोग चाहकर भी एक दूसरे की सहायता करने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं | 

सेना के द्वारा विभिन्न राज्यों में अस्थायी अस्पतालों का निर्माण सेना के द्वारा किया जा रहा है | इन अस्पतालों में राज्य की सहायता से मरीजों का इलाज किया जायेगा | इससे पहले रक्षा मंत्री के आह्वान पर सेवानिवृत मेडिकल अधिकारीयों को भी कहा गया है कि वह इस संकट की घडी में देश की जनता का साथ दें | 

देश में ऑक्सीजन गैस के टेंकरों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में जहाँ भी आवश्यकता हो रही है सेना कंधे से कन्धा मिलाकर कार्य कर रही है | इस मुश्किल समय में देश में सेना का यह योगदान निश्चित ही सभी के लिए प्रेरणा देने वाला है | 

Dr. Kanhaiya Jha
(डॉ कन्हैया झा )