जब से केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार आई है तबसे कांग्रेस की मुसीबत बढती ही जा रही है | मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद ऐसा लगता है कि कांग्रेस का सूरज दिन प्रतिदिन ढलता ही जा रहा है | हाँ कभी कभी कुछ आशा की किरण भी जगती है | इसी आशा के सहारे कांग्रेस खुद को जिन्दा रखने का प्रयास कर रही है |
5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल ममता बनर्जी के पास गया, असम में भाजपा ने बाजी मारी, केरल में वामपंथियों ने अपना गढ़ बचा लिया और पुद्दुचेरी में NDA सत्ता पर काबिज हो गई | कांग्रेस को इन चार राज्यों में सत्ता की कुर्सी हांसिल नहीं हुई है | लेकिन दक्षिण के राज्य तमिलनाडू में कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा थी इसलिए वह सत्ता के गलियारों में उठ बैठ सकती है | हालाँकि यहं भी कांग्रेस को केवल 3 प्रतिशत वोट ही मिले | लेकिन कहा गया हैं न डूबते को तिनके का सहारा| यही बात चरितार्थ हो रही है |
तमिलनाडु में कांग्रेस ने खुद को द्रमुक गठबंधन का हिस्सा बना लिया था | हो सकता है जब ,मंत्री पद की घोषणा हो तो कांग्रेस के भी कुछ लोगों को यहाँ सरकार का हिस्सा बनने का मौका दिया जाये | हालाँकि कांग्रेस के रणनीतिकार तमिलनाडु में जिस प्रकार के परिणाम की अपेक्षा कर रहे थे परिणाम उनके अपेक्षा के अनुरूप नहीं आये फिर भी कहीं तो सत्ता के गलियारों में कांग्रेस को भी जगह मिली |
0 टिप्पणियाँ:
Post a Comment