आज जब समाचार पत्र पढ़ा तो उसमें नमाज में इकठ्ठा हुए 500 लोगों की खबर पढ़ कर ऐसा लगा कि आखिर ये लोग कब समझेंगे कि यह मृत्यु काल है | कोई भी मजहब स्थल कैसे अपने यहाँ उन लोगों को इकठ्ठा होने की अनुमति दे सकता है जिसे वह अपना मानता है | यह घटना बल्लभगढ़ के चावला कॉलोनी की है | पुलिस ने मामला दर्ज किया है और इमाम पर कैस भी किया है | लेकिन पुलिस कब तक इन लोगों के पीछे पड़कर इन्हें ढूंढती रहेगी | आखिर कब इन लोगों को समझ आएगा कि इन सब घटनाओं से समाज में गलत सन्देश जाता है और इन सब से लोगों के जीवन पर संकट मंडराने लगता है |
कोरोना बीमारी ने देश के कितने ही दिग्गजों को सदा सर्वदा के लिए शांत कर दिया है | कोरोना के सामने न कोई खास है और न कोई आम बचा है | प्रत्येक संकट काल की भी एक उम्र होती है | यह संकट काल भी चला जायेगा | लेकिन यह संकट काल लम्बे समय तक न भुलाने वाली यादें भी देकर जायेगा |
दूसरी ओर कोरोना के भयावह संकट के दौरान भी राजनैतिक आरोप प्रत्यारोप रुक नहीं रहे हैं | विभिन्न राजनैतिक दलों के नेता एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं | आज के समय में ऐसा कोई विशिष्ट वर्ग नहीं है जिसके किसी न किसी परिचित ने कोरोना का दंश न झेला हो | इसकी भयावता इसी बात से लगाई जा सकती है कि बड़े से बड़ा व्यक्ति, संगठन, राजनेता तथा आम जनता अपने प्रियजनों को नहीं बचा पा रहा हैं | किन्तु राज्यों के नेता जिस प्रकार से काम के स्थान केवल राजनीति कर रहे हैं यह निसंदेह ही इस देश के लिए खतरनाक है | इतिहास गवाह है कि जनता मूक जरूर होती है लेकिन जब जनता त्रस्त हो जाती है तो बड़े से बड़े राजवंशों को भी उखाड़ फेंकती है |
आज जब अस्पतालों में दवाई, ऑक्सीजन तथा अन्य सामानों की कमी देखी जा रही है ऐसे समय में सभी लोगों की एक ही इच्छा है कि यह संकट समाप्त हो और आने वाले दिनों में फिर इस प्रकार का भयावह मंजर देखने को न मिले |
आज आवश्यकता है राजनैतिक विमर्श को बदलने की है| बिहार से लेकर पश्चिम बंगाल तक जो चुनाव हुए उन चुनावों में स्वास्थ्य का मुद्दा नदारद ही रहा | किसी भी राजनैतिक दल ने इन मुद्दों को उठाने की जहमत नहीं उठाई इसका कारण राजनैतिक दलों के साथ साथ आम जनता भी है | क्योंकि जनता को केवल लोक लुभावन बाते ही पसंद आते हैं | यदि जनता यह तक कर ले कि अब केवल धरातल वाले मुद्दों पर ही वोट किया जायेगा तो वह दिन दूर नहीं होगा जब सभी राजनैतिक दलों के नेता विकास के मुद्दे पर ही वोट मांगने आयेंगे | और यदि जनता का यह मानस नहीं बनता है तो इस प्रकार के संकटों से कोई भी शक्ति उन्हें नहीं बचा सकती है |
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