Kanhaiya with Kulhari |
Akshat |
Akshat in Jammu |
Akshat in Jammu |
कोई भी कठिनाई क्यों न हो, अगर हम सचमुच शान्त रहें तो समाधान मिल जाएगा। |
मनोविकार भले ही छोटे हों या बड़े, यह शत्रु के समान हैं और प्रताड़ना के ही योग्य हैं। |
जैसे
कोरे कागज पर ही पत्र लिखे जा सकते हैं, लिखे हुए पर नहीं, उसी प्रकार निर्मल
अंत:करण पर ही
योग की शिक्षा और साधना अंकित हो सकती है।
|
0 टिप्पणियाँ:
Post a Comment