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| Kanhaiya with Kulhari |
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| Akshat |
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| Akshat in Jammu |
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| Akshat in Jammu |
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| कोई भी कठिनाई क्यों न हो, अगर हम सचमुच शान्त रहें तो समाधान मिल जाएगा। |
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| मनोविकार भले ही छोटे हों या बड़े, यह शत्रु के समान हैं और प्रताड़ना के ही योग्य हैं। |
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जैसे
कोरे कागज पर ही पत्र लिखे जा सकते हैं, लिखे हुए पर नहीं, उसी प्रकार निर्मल
अंत:करण पर ही
योग की शिक्षा और साधना अंकित हो सकती है।
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