मत गणना से मौत गणना तक

पांच राज्यों का चुनाव संपन्न हुआ | पांचों राज्यों में सभी राजनैतिक दलों द्वारा धुआंधार प्रचार किया गया | जैसे-जैसे प्रचार बढ़ता गया देश में मौत का आंकड़ा भी बढ़ता गया | देश का ऐसा कोई राज्य तथा जिला नहीं बचा जहाँ पांच राज्यों के चुनाव और राज्य में बढती हुई लाशों की चर्चा न हो | आम तौर पर जिन शमशान घाटों पर प्रतिदिन 20-30 लाशों का अंतिम संस्कार किया जाता था अब उन शमशान घाटों पर 150-200 शव लाइन लगा के खड़े रहते हैं | 

कोरोना के कारण देश में बढ़ते मौत के आंकड़े यह बताते हैं कि देश में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं उतनी दुरुस्त नहीं है जितनी होनी चाहिए |

सितम्बर से लेकर फरवरी तक देश में कोरोना की गति में कमी को हमने कोरोना पर अपनी विजय मानने का जो भ्रम पाला उसकी सजा आज पूरा देश भुगत रहा है |

पांच राज्यों के चुनाव विशेषकर पश्चिम बंगाल में जिस प्रकार का चुनाव प्रचार हुआ वह सबके लिए रोमांचकारी रहा | लाखो लाखों लोगों की रेलियाँ हुई | रेलियों में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया | यहाँ तक की सार्वजानिक मंचों से भी बड़े बड़े नेताओं ने भी प्रोटोकॉल नियमों का खुल्लम खुल्ला खेल खेला गया | 

भारत में चुनाव एक उत्सव है | लेकिन लाशों पर कभी भी उत्सव मनाने की परंपरा भारत में नहीं रही है | एक तरफ देश में कोरोना की स्थिति भयावह होती गई और राज्यों में चुनावी रेलियाँ जारी रहा | कोई भी राजनैतिक दल शवों के ऊपर किस प्रकार उत्सव का आयोजन कर सकता है | 

भारत का मतदाता समझदार है | उसे पता है कि राज्य के चुनाव और देश के चुनाव में क्या अंतर होता है | 

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha

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