अर्थसंकट का काल

आज आम नागरिकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने रोजगार धंधों को बचाने की है | हालाँकि जनता की देखरेख की जिम्मेदारी चुनी हुई सरकार की होती है | लेकिन मौजूदा संकट के दौर में सरकारे भी निसहाय ही दिख रही है | केंद्र एवं राज्य सरकारों के सामने अपनी चुनौतियाँ है | आज के दौर में यदि केंद्र एवं राज्य सरकारे केवल नागरिकों को जिन्दा रखने में भी कामयाब हो जाती है तो वह उनकी बहूत बड़ी उपलब्धि होगी | 

देश में जैसे ही मेडिकल आपातकाल ख़त्म होगा तो केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारों की पहली प्राथमिकता आम जन के रोज़गार को पटरी पर लाने की होनी चाहिए | सरकार को अपने सीमित संसाधनों का कुशलतम उपयोग करते हुए लोगों के आजीविका को सुरक्षित करना होगा | 

आज देश के लगभग सभी राज्यों में लॉकडाउन की स्थिति बनी हुई है | होली और रमजान दोनों निकल गए | इन दोनों ही त्योहारों में बड़े स्तर पर खरीदारी होती है | कपडे उद्योग से जुड़े लोगों ने गर्मी के कपड़ों का आर्डर दिया था | इन बड़ी मात्रा में दिए गए आर्डर अब खराब हो रहे है, इससे आपसी व्यवसायिक संबंधों पर भी फर्क पड़ने वाला है| सबसे बड़ी समस्या माल ख़राब होने के साथ साथ दुकान और गोदाम के किराये की है | दूसरी तरफ जिन मजदूरों से काम लेना है उनके पगार की समस्या भी सामने है | इस तरफ व्यापर बिलकुल ही ठप्प हो चूका है | 

अब समय आ गया है कि कुछ ऐसे कदम उठाये जाए जिससे लघु उद्योगों को राहत मिले और उनका जीवन पटरी पर आये | आम तोर पर जो घोषणाएं होती है उससे निचला तबका सदैव अछूत ही रहता है | उसे किसी प्रकार की सीधी राहत नहीं मिल पाती है| इसलिए सरकार की तरफ से इस बार जो घोषणा हो उसमें निचले तबके के लिए राहत का प्रावधान होना चाहिए | छोटी से छोटी दुकान, रेहरी पटरी तथा छोटे छोटे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में कार्य करने वाले कर्मचरियों के लिए यह प्रावधान होने चाहिए | 

केंद्र सरकार को GST कौंसिल की बैठक तुरंत बुलाकर जिन जिन क्षेत्रों में कोरोना के कारण नुकसान हुआ है उन क्षेत्रों में छुट देनी चाहिए | यह सब करते हुए यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि राज्यों पर इसका अतिरिक्त बोझ न पड़े नहीं तो राज्यों की सरकारे चलाने में बहुत ही दिक्कत और परेशानी का सामना करना पड़ सकता है | 

हो सकता है कि GST के आंकड़ों से सरकारे खुश हो जाये कि उसकी उगाही का स्तर बहुत अच्छा हो लेकिन वास्तविकता यह है कि इससे गरीबी अपने उच्चतर स्तर को छू रही है| किसी भी देश में गरीबी का स्तर बढ़ने से देश में अनैतिक कार्यों में बढ़ोत्तरी होती है | इसीलिए देश को अनैतिक कार्यों से बचाने के लिए भी इसपर लगाम लगाना जरूरी है | यह चुनी हुई सरकारों की जिम्मेदारी है कि आज के इस संकट के दौर में कोई भी व्यक्ति, संस्था, उद्योग या सरकार अपने आप को असहाय न महसूस करे | 

डॉ. कन्हैया झा
Dr. Kanhaiya Jha

दृष्टि चक्र डॉ. कन्हैया झा के साथ

देश में कोरोना की दूसरी लहर के कारण जो तबाही मची थी उसमें धीरे धीरे सुधार हो रहा है | सरकारी आंकड़ों के अनुसार कोरोना के केस में अब कमी दर्ज की जा रही है | किन्तु कुछ राज्य अभी भी ऐसे हैं जहाँ अभी और कड़ाई की जरूरत है, इन राज्यों में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं | सरकार ने जो आंकड़े देश के सामने रखे हैं उसके अनुसार अभी 37 लाख 45 हजार से अधिक रोगियों का इलाज चल चल रहा है | देश के लिए एक और राहत की खबर है कि अब देश में स्वास्थ्य होने की दर 82 प्रतिशत हो गई है | यदि हम कुल ठीक होने वाले रोगियों की बात करें तो उनकी संख्या 1 करोड़ 86 लाख से अधिक है | 

कोरोना महामारी से बचने के लिए देश भर में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है | भारत दुनिया में सबसे अधिक कोरोना के टिका लगाने वाला देश बन चूका है | भारत में अभी तक 17 करोड़ लोगों को टीके लग चुके हैं | 

आपको और हमको सोशल मीडिया पर आने वाले भ्रामक ख़बरों से बचने की जरूरत है | सोशल मीडिया पर लगातार कोई न कोई भ्रामक खबर चलती रहती है | आजकल आपने भी देखा होगा कि सोशल मीडिया पर लगातार बताया जा रहा है कि 5G टेक्नोलॉजी के कारण कोरोना की दूसरी लहर आई है | भारत सरकार ने स्पष्ट किया है यह बुल्कुल ही बेबुनियाद है | इस बात का कोई भी वैज्ञानिक आधार नहीं है | साथ में भारत में अभी तो 5G टेक्नोलॉजी शुरू भी नहीं हुई है | 

कोरोना की जब दूसरी लहर आई तो तेजी से ऑक्सीजन सिलेंडर, दवाई तथा स्वास्थ्य से जुड़े उपकरणों एवं अन्य चीजों की मांग बढ़ने लगी थी | अचानक देश में इतने व्यापक स्तर पर इनका उत्पादन नहीं किया जा सकता था | ऐसे में भारत की कुशल कूटनीति काम आई और पूरी दुनिया ने भारत की इस संकट के समय मदद भी की | सरकारी आंकड़ो के अनुसार अभी तक 8 हजार 9 सौ ऑक्सीजन कंसट्रेटर, 5 हजार 43 ऑक्सीजन सिलेंडर, 18 ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र, 5 हजार 698 वेंटिलेटर और लगभग 3 लाख 40 हजार रेमडेसीवीर वायल्स की आपूर्ति विभिन्न राज्यों को की गई है | इतनी बड़ी मात्र में भारत को यह सब इसलिए मिल पाया क्योंकि समय रहते हुए भारत ने भी विदेशों की सहायता की थी | भारत की कुशल कुटनीतिक रिश्ते ऐसे संकट के समय में काम आये हैं | 

संकट के इस समय में रेल मंत्रालय ने लोगों के जीवन बचाने के लिए अहम भूमिका निभाई है | जिस तेज गति से रेल द्वारा ऑक्सीजन की आपूर्ति राज्यों को की गई वह बेहद ही प्रशंसनीय है | रेलवे द्वारा अब तक विभिन्न राज्यों को 295 से अधिक टेंकरों के माध्यम से लगभग 4 हजार 7 सौ मीट्रिक टन तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई है | इस आपूर्ति से देश में बढ़ रही ऑक्सीजन की मांग में कमी आई है और राज्यों में बढ़ते मौत के आंकड़ों पर लगाम लगी है | पिछले दिनों देश ने देखा था कि किस प्रकार से देश के लगभग सभी अस्पतालों के अन्दर अचानक ऑक्सीजन संकट पैदा हो गया था और लोगों की जान खतरे में पड़ गई थी | 

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha

कोरोना आई-गरीबी लाई

भारत में प्रतिदिन 4 लाख कोविड के मरीजों का आंकड़ा छू लिया है | हम पहली लहर में जैसे तैसे बचे थे कि दूसरी लहर ने अपनी दस्तक दे दी | पहली लहर आम लोगो के जीवन में समस्या लेकर आया था वहीँ दूसरी लहर की भयावह इतनी है कि अपने साथ छोड़कर जाने लगे हैं | आगे काम धंधों का क्या होगा अभी कह नहीं सकते हैं | अभी के लिए तो इतना ही पर्याप्त है जान है तो जहाँ हैं | जिन जिन का जीवन सुरक्षित रहेगा यह माना जायेगा कि उन्होंने इस त्रासदी की सबसे बड़ी जंग को जीत लिया है | 

जैसे जैसे टीकाकरण बढेगा वैसे वैसे समाज फिर से पटड़ी पर लौटेगा इसकी आस लगाई जा रही है | इस महामारी ने सभी लोगो के व्यवसाय को बर्बाद कर दिया है, आम लोगों के जीवन में संकट आ रहा है| इसका प्रभाव इतना दीर्घकालिक होने वाला है कि आने वाले समय की कल्पना भी नही की जा सकती है | अनेक सर्वेक्षण बताते हैं कि इस नुकसान की भरपाई करना भारत के लिए इतना आसान नहीं होगा | 

कोई भी व्यवसायिक अपनी जेब से कर्मचारियों को तनखाह नहीं देता है | दूसरी ओर मंहगाई सुरसा की तरह अपना मुंह बड़ा करती जा रही है | ऐसे में निचले स्तर का कर्मचारी पर दोहरी मार पड़ रही है | यह खाई आने वाले समय में भारतीय जनमानस के जीवन की बहुत बड़ी त्रासदी लेकर आने वाली है | 

यह सच है कि इस बीमारी ने अमीर और गरीब सभी लोगों को समान रूप से अपने आवेग में लिया है | यह बीमारी अमीर और गरीब के मध्य भेद नहीं करती है | जहाँ बड़े बड़े प्रतिष्ठानों के मालिकों के घर के सदस्यों को इस महामारी के कारण जाना पड़ा, वहीँ अनेक राजनेता और प्रमुख हस्तियों को भी देह त्यागने के लिए मजबूर होना पड़ा है | अनेक परिवारों में केवल एक व्यक्ति कमाने वाला था उसे कोरोना ने मार दिया | यह भयावह त्रासदी हम सबके सामने है | जिन गरीब परिवारों में से उनका एकलौता कमाने वाला चला गया उन परिवारों के लिए आने वाले कुछ वर्ष निश्चित ही बहुत रुदन के बीतने वाले हैं | अचानक पड़ने वाला यह बोझ झेलने की इनमें शक्ति नहीं है | 

इसी प्रकार ग्रामीण भारत की तस्वीर में भी बदलाव आ रहा है | लगातार गिरती अर्थव्यवस्था के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में भी रहना बहुत मुश्किल हो रहा है | गांवों में गरीबी का घनत्व ज्यादा है | ऐसे में इन गरीब परिवारों की कोई सुध लेना वाला नहीं है | वैसे भी गांवों में छोटी से छोटी सरकारी सुविधा को लेने के लिए बहुत ही पापड़ बेलने पड़ते हैं | 

जैसे ही कोरोना का पहला चरण समाप्त हुआ था उस समय चर्चा हुई कि भारत की अर्थव्यवस्था फिर से पटड़ी पर आ रही है | लेकिन अर्थव्यवस्था के यह आंकड़े आम जनमानस को प्रभावित नहीं कर पाते हैं | यानी जो विकास हम अर्थव्यवस्था के आंकड़ों में देखते हैं आम जनता का उससे कोई सरोकार नहीं होता है | 

पिछले एक वर्ष से अधिक से बच्चों की पढाई लगातार ख़राब हो रही है | लगभग सभी स्कूलों ने ऑनलाइन पढाई शुरू करवा दी है | ऑनलाइन पढाई के लिए लैपटॉप या स्मार्टमोबाइल की आवश्यकता होती है इसके साथ साथ हाई स्पीड इन्टरनेट भी होना चाहिए | ऐसे में गरीब माँ बाप जिनके कामधंधे चोपट हो चुके हैं, घर में खाने के लिए पैसे नहीं वह कहाँ से बच्चों की पढाई के लिए इन संसाधनों की व्यवस्था करेंगे | इन सब कारणों से बच्चों की पढाई ख़राब हो रही है और उनका भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है |

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha

सामाजिक संगठनों का उत्तरदायित्व

जब जब देश किसी भी भयावह त्रासदी में फसा है सामाजिक संगठनों ने आगे आकर कार्य किया है और भारत को संकट के समय में राह दिखाई है | जब चरों और ऑक्सीजन की कमी, दवाई की कमी, विस्तरों की कमी दिखाई दे रही थी ऐसे समय में भारत में कार्य करने वाले सामाजिक संगठनों ने अपने दायित्वों को समझा और भारत के आम नागरिकों को बचाने के लिए हर सम्भव प्रयास किये |

भारतीय संस्कृति सामाजिक संस्कृति है | भारतीय समाज की जो संरचना है उसके मूल में सर्वे भवन्तु सुखिनः है | देश में अनेक धार्मिक एवं सामाजिक संगठन कार्य कर रहे हैं | आज उनके सेवा कार्यों के कारण ही भारत इतनी बड़ी त्रासदी में लोगों को राहत देने में सक्षम हुआ है |

आज देश के गुरुद्वारों द्वारा किये गए सभी के लिए प्रेरणा का कार्य कर रहे हैं | आखिर धार्मिक संगठनों का यही सामाजिक उत्तरदायित्व है कि वह संकट के समय समाज के लिए अपने खजाने को खोले और आमजन की सेवा करें | गुरूद्वारे द्वारा की गई सेवा सभी पंथों के लिए प्रेरणा का कार्य करनी चाहिए | 

इसी प्रकार सेवा भारती, भारत विकास परिषद् द्वारा जो कार्य किये गए हैं वह निश्चित ही लोगों को इस त्रासदी से बचाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं | आखिर इस प्रकार के संगठनों का मूल उद्देश्य समाज कल्याण ही होता है | ऐसे पूरे देश भर में फैले अनेकानेक संगठन अपने अपने स्तर पर इन कार्यों को कर रहे हैं | इनके द्वारा किये गए कार्य आने वाले समय में उन देशों के लिए विशेषकर प्रेरणा का कार्य कार्य कर सकते हैं जो विकासशील देश हैं |

विकासशील देश संसाधन की दृष्टि से पिछड़े होते हैं, | संसाधन के आभाव में वहां की सरकारे सभी कार्य नहीं कर सकती है | इसीलिए इन सभी देशों में भारत मॉडल के अनुसार की कार्य करना पड़ेगा | भारत में लम्बे समय से सामाजिक एकता तथा समन्वय के आधार पर कार्य किये जाते रहे हैं | हमने देखा होगा कि भारतीय गावों में छोटे से बड़ा कार्य भी आपसी सहयोग के आधार पर ही होता था | यह हमारे देश का मूल स्वाभाव रहा है | इसी स्वाभाव को सम्पूर्ण विश्व में फ़ैलाने की आवश्यकता है | 

डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha

आखिर ये वेक्सिन क्यों जरूरी है

कोरोना की वेक्सिन आने के साथ ही कुछ लोगों ने इसको लेकर भ्रम फैलाना शुरू का दिया था | जब दुनिया समेत भारत  स्वयं इस महत्रसदी को झेल रहा है ऐसे समय में इस प्रकार के भ्रम को फ़ैलाने वालों को सोचना चाहिए कि वह किस प्रकार के कृत्य कर रहे हैं |

आज के समय में यदि इस महामारी से बचना है तो केवल वेक्सिन ही अंतिम उपाय है | भारत उन देशों में शामिल है जिन्होंने समय रहते रात दिन करके स्वदेशी वेक्सिन विकसित की | वर्तमान में भारत में को-वेक्सिन तथा कोविडशील्ड 2 वेक्सिन उपलब्ध है | 

भारत में हुए शोध बताते हैं कि जिन लोगों ने यह वेक्सिन लगवाई है उनमें संक्रमित होने तथा कोरोना के कारण मृत्यु दर में कमी दर्ज की गई है | यदि हम दिल्ली के सफदरजं अस्पताल के डॉ जुगल किशोर की बात पर विश्वास करे तो वह कहते हैं “ये रोग रोधी टीके हैं और टीकाकरण शुरू होने के बाद अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में 85 प्रतिशत की कमी आई है | ये टीके अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मापदंडों के आधार पर बनाये गए हैं | कोविड-19 टीके गंभीर संक्रमण और बीमारी के कारण होने वाले मौत के खतरे को कम करता है“ | जब स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर इस प्रकार की बातें करते हैं तो स्वाभाविक है जनता को इनकी ही बात सुननी चाहिए और जल्दी से जल्दी कोरोना के टीके को लगवाना चाहिए |

हाल ही में ICMR ने एक शोध किया उस शोध में पाया गया कि कोवेक्सिन टीका लगाने वालों में 10 हजार में से केवल 4 लोग ही संक्रमित पाए गए जबकि सीरम इंस्टिट्यूट के कोविडशील्ड लगाने वाले 10 हजार में से केवल 3 लोग ही संक्रमित पाए गए हैं | इन सब बातों से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत के चिकित्सा विशेषज्ञों ने दिनरात मेहनत करके जो वेक्सिन तैयार की है वह एकदम सुरक्षित और आवश्यक है | जल्दी से जल्दी सभी लोगों को इसको लगवाना चाहिए और देश को कोरोना से मुक्ति दिलाने में सहायता दिलानी चाहिए | 

डॉ. कन्हैया झा
Dr. Kanhaiya Jha

सियासत को अब बदलना होगा

आज जब समाचार पत्र पढ़ा तो उसमें नमाज में इकठ्ठा हुए 500 लोगों की खबर पढ़ कर ऐसा लगा कि आखिर ये लोग कब समझेंगे कि यह मृत्यु काल है | कोई भी मजहब स्थल कैसे अपने यहाँ उन लोगों को इकठ्ठा होने की अनुमति दे सकता है जिसे वह अपना मानता है | यह घटना बल्लभगढ़ के चावला कॉलोनी की है | पुलिस ने मामला दर्ज किया है और इमाम पर कैस भी किया है | लेकिन पुलिस कब तक इन लोगों के पीछे पड़कर इन्हें ढूंढती रहेगी | आखिर कब इन लोगों को समझ आएगा कि इन सब घटनाओं से समाज में गलत सन्देश जाता है  और इन सब से लोगों के जीवन पर संकट मंडराने लगता है | 

कोरोना बीमारी ने देश के कितने ही दिग्गजों को सदा सर्वदा के लिए शांत कर दिया है | कोरोना के सामने न कोई खास है और न कोई आम बचा है | प्रत्येक संकट काल की भी एक उम्र होती है | यह संकट काल भी चला जायेगा | लेकिन यह संकट काल लम्बे समय तक न भुलाने वाली यादें भी देकर जायेगा | 

दूसरी ओर कोरोना के भयावह संकट के दौरान भी राजनैतिक आरोप प्रत्यारोप रुक नहीं रहे हैं | विभिन्न राजनैतिक दलों के नेता एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं | आज के समय में ऐसा कोई विशिष्ट वर्ग नहीं है जिसके किसी न किसी परिचित ने कोरोना का दंश न झेला हो | इसकी भयावता इसी बात से लगाई जा सकती है कि बड़े से बड़ा व्यक्ति, संगठन, राजनेता तथा आम जनता अपने प्रियजनों को नहीं बचा पा रहा हैं | किन्तु राज्यों के नेता जिस प्रकार से काम के स्थान केवल राजनीति कर रहे हैं यह निसंदेह ही इस देश के लिए खतरनाक है | इतिहास गवाह है कि जनता मूक जरूर होती है लेकिन जब जनता त्रस्त हो जाती है तो बड़े से बड़े राजवंशों को भी उखाड़ फेंकती है |

आज जब अस्पतालों में दवाई, ऑक्सीजन तथा अन्य सामानों की कमी देखी जा रही है ऐसे समय में सभी लोगों की एक ही इच्छा है कि यह संकट समाप्त हो और आने वाले दिनों में फिर इस प्रकार का भयावह मंजर देखने को न मिले | 

आज आवश्यकता है राजनैतिक विमर्श को बदलने की है| बिहार से लेकर पश्चिम बंगाल तक जो चुनाव हुए उन चुनावों में स्वास्थ्य का मुद्दा नदारद ही रहा | किसी भी राजनैतिक दल ने इन मुद्दों को उठाने की जहमत नहीं उठाई इसका कारण राजनैतिक दलों के साथ साथ आम जनता भी है | क्योंकि जनता को केवल लोक लुभावन बाते ही पसंद आते हैं | यदि जनता यह तक कर ले कि अब केवल धरातल वाले मुद्दों पर ही वोट किया जायेगा तो वह दिन दूर नहीं होगा जब सभी राजनैतिक दलों के नेता विकास के मुद्दे पर ही वोट मांगने आयेंगे | और यदि जनता का यह मानस नहीं बनता है तो इस प्रकार के संकटों से कोई भी शक्ति उन्हें नहीं बचा सकती है | 

डॉ कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha