कोरोना आई-गरीबी लाई

भारत में प्रतिदिन 4 लाख कोविड के मरीजों का आंकड़ा छू लिया है | हम पहली लहर में जैसे तैसे बचे थे कि दूसरी लहर ने अपनी दस्तक दे दी | पहली लहर आम लोगो के जीवन में समस्या लेकर आया था वहीँ दूसरी लहर की भयावह इतनी है कि अपने साथ छोड़कर जाने लगे हैं | आगे काम धंधों का क्या होगा अभी कह नहीं सकते हैं | अभी के लिए तो इतना ही पर्याप्त है जान है तो जहाँ हैं | जिन जिन का जीवन सुरक्षित रहेगा यह माना जायेगा कि उन्होंने इस त्रासदी की सबसे बड़ी जंग को जीत लिया है | 

जैसे जैसे टीकाकरण बढेगा वैसे वैसे समाज फिर से पटड़ी पर लौटेगा इसकी आस लगाई जा रही है | इस महामारी ने सभी लोगो के व्यवसाय को बर्बाद कर दिया है, आम लोगों के जीवन में संकट आ रहा है| इसका प्रभाव इतना दीर्घकालिक होने वाला है कि आने वाले समय की कल्पना भी नही की जा सकती है | अनेक सर्वेक्षण बताते हैं कि इस नुकसान की भरपाई करना भारत के लिए इतना आसान नहीं होगा | 

कोई भी व्यवसायिक अपनी जेब से कर्मचारियों को तनखाह नहीं देता है | दूसरी ओर मंहगाई सुरसा की तरह अपना मुंह बड़ा करती जा रही है | ऐसे में निचले स्तर का कर्मचारी पर दोहरी मार पड़ रही है | यह खाई आने वाले समय में भारतीय जनमानस के जीवन की बहुत बड़ी त्रासदी लेकर आने वाली है | 

यह सच है कि इस बीमारी ने अमीर और गरीब सभी लोगों को समान रूप से अपने आवेग में लिया है | यह बीमारी अमीर और गरीब के मध्य भेद नहीं करती है | जहाँ बड़े बड़े प्रतिष्ठानों के मालिकों के घर के सदस्यों को इस महामारी के कारण जाना पड़ा, वहीँ अनेक राजनेता और प्रमुख हस्तियों को भी देह त्यागने के लिए मजबूर होना पड़ा है | अनेक परिवारों में केवल एक व्यक्ति कमाने वाला था उसे कोरोना ने मार दिया | यह भयावह त्रासदी हम सबके सामने है | जिन गरीब परिवारों में से उनका एकलौता कमाने वाला चला गया उन परिवारों के लिए आने वाले कुछ वर्ष निश्चित ही बहुत रुदन के बीतने वाले हैं | अचानक पड़ने वाला यह बोझ झेलने की इनमें शक्ति नहीं है | 

इसी प्रकार ग्रामीण भारत की तस्वीर में भी बदलाव आ रहा है | लगातार गिरती अर्थव्यवस्था के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में भी रहना बहुत मुश्किल हो रहा है | गांवों में गरीबी का घनत्व ज्यादा है | ऐसे में इन गरीब परिवारों की कोई सुध लेना वाला नहीं है | वैसे भी गांवों में छोटी से छोटी सरकारी सुविधा को लेने के लिए बहुत ही पापड़ बेलने पड़ते हैं | 

जैसे ही कोरोना का पहला चरण समाप्त हुआ था उस समय चर्चा हुई कि भारत की अर्थव्यवस्था फिर से पटड़ी पर आ रही है | लेकिन अर्थव्यवस्था के यह आंकड़े आम जनमानस को प्रभावित नहीं कर पाते हैं | यानी जो विकास हम अर्थव्यवस्था के आंकड़ों में देखते हैं आम जनता का उससे कोई सरोकार नहीं होता है | 

पिछले एक वर्ष से अधिक से बच्चों की पढाई लगातार ख़राब हो रही है | लगभग सभी स्कूलों ने ऑनलाइन पढाई शुरू करवा दी है | ऑनलाइन पढाई के लिए लैपटॉप या स्मार्टमोबाइल की आवश्यकता होती है इसके साथ साथ हाई स्पीड इन्टरनेट भी होना चाहिए | ऐसे में गरीब माँ बाप जिनके कामधंधे चोपट हो चुके हैं, घर में खाने के लिए पैसे नहीं वह कहाँ से बच्चों की पढाई के लिए इन संसाधनों की व्यवस्था करेंगे | इन सब कारणों से बच्चों की पढाई ख़राब हो रही है और उनका भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है |

डॉ. कन्हैया झा 
Dr. Kanhaiya Jha

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