कोरोना की तीसरी लहर से कैसे बचा जाये

देश कोरोना की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित हुआ है | लोगों का शहरों से पलायन होता गया और अब यह बीमारी दूर दराज के गावों में फैलती जा रही है | पहले लॉकडाउन में ट्रेन बंद हो जाने के कारण लोगों की आवाजाही रुक गई थी | इसलिए गाँव के अधिकतर हिस्से को बचा लिया गया था | लेकिन दूसरी लहर में सरकार द्वारा ट्रेन को पूर्ण रूप से रोकने का निर्णय नहीं लिया गया | हालाँकि सवारी न मिलने के कारन अधिक दूरी की रेलों को बंद कर दिया गया है लेकिन अब सभी लोग अपने गावों तक पहुँच गए हैं | 

कोरोना की बीमारी कब तक रहेगी इस पर शोध चल रहा है | कोई भी दावा अंतिम नहीं है | ऐसे अनिश्चित माहौल में समाज समाज का संतुलन बिगड़ता जा रहा है | हालाँकि चिकित्सा विशेषज्ञ इस महामारी से सम्पूर्ण मानव को बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं | जब से यह खबर आई है कि कोरोना की तीसरी लहर और भी खतरनाक होगी और यह बच्चों और युवाओं को अधिक प्रभावित करेगी तब से लोगों के मन में दहशत का माहौल बन गया है | 

भारत सरकात के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन ने जब मीडिया में आकर लोगों को तीसरी लहर के बारे में बताया तो पूरा देश इस बात को सुन कर सन्न हो गया है | हालाँकि चिकित्सा विशेषज्ञ, राज्य एवं केंद्र की सरकारे इससे बचाने के लिए सतत कार्य कर रही हैं | विशेषज्ञों के अनुसार सितम्बर से लेकर दिसंबर तक के बीच यह लहर आ सकती है | हालाँकि अभी सरकारों के पास इस लहर से बचने का पर्याप्त समय है | देश आशा करता है कि केंद्र और राज्य की सरकारें समय रहते हुए इस लहर का सामना करने के लिए समुचित व्यवस्था जरूर करेंगे | 

कोरोना की लहर जब आती है तो बड़ी तेज गति से आती है | वह अचानक लोगों को अपने चंगुल में ले लेती है | जैसे पिछले 13 दिनों में अचानक 50 हजार लोगों की मौत ने देश को भयभीत कर दिया था | 

भारत में मार्च अप्रैल में अचानक कोरोना के मामले में वृद्धि दर्ज की गई थी | आज 100 में से एक व्यक्ति मृत्यु की तरफ बढ़ रहा है | उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश महाराष्ट्र, पंजाब गुजरात, पश्चिम बंगाल आदि जैसे राज्य इस बीमारी से बुरी तरह प्रभावित हुए है | इसका सबसे बड़ा कारण है लोगों ने सतर्कता में ढिलाई कर दी थी| कोरोना से बचने के लिए निश्चित प्रोटोकॉल सरकार ने तय किये थे उसका उल्लंघन होता रहा और लोग कोरोना से तेज गति से ग्रसित होते गए | जो लोग शहरों से गांवों की तरफ पलायन किये उन्होंने भी वहां समय रहते हुए कोरोना के प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया | देश भर में सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन पहले की ही भांति होने लगा| बड़े बड़े सामाजिक और धार्मिक आयोजन शुरू हो गए | 

यदि हम गाँव की बात करते हैं तो वहां की स्वास्थ्य सुविधा भगवन भरोसे ही है | न हॉस्पिटल है, न डॉक्टर है और न ही किसी प्रकार की सुविधा उपलब्ध है | गावों में तो या तो झोलाछाप डॉक्टर से इलाज करवाना पड़ता है या जादू टोने का सहारा लेना होता है | आज तक ने हाल ही में जो खबर दिखाई उसमें बिहार और उत्तर प्रदेश के अस्पतालों के बारे में दिखाया गया किस प्रकार अस्पतालों के अन्दर भेंस के खाने वाला भूसा भरा हुआ है | सरकार एवं शासन प्रशासन न जाने कब आम गरीब जनता के हित के लिए जागरूक होगा | 

गावों में यदि किसी व्यक्ति को कोरोना हो जाये तो उसे वह पहले की तरह बुखार और खांसी समझ कर इजाज करवाता है | गावों में अभी भी भरोसा नहीं हो पा रहा है कि कोरोना नाम की कोई बीमारी है | क्योंकि कोरोना के लक्षण भी पहले की बीमारी की तरह ही है | जब बड़े बड़े शहरों में कोरोना की टेस्टिंग नहीं की जा रही है तो समझा जा सकता है कि गावों का क्या हाल होगा | गावों में कोरोना टेस्टिंग केवल खाना पूर्ति ही है | ऊपर से रूढ़िवादिता की हद्द तो गावों में है ही हम सभी ने देखा की उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में काजी साहब के जनाजे के जुलुस में किस प्रकार की भीड़ उमड़ी थी | इन भीड़ों ने कोरोना के नियमों की धज्जियाँ उड़ा के रख दी थी | 

प्रश्न उठता है कि सरकार केवल व्यवस्था कर सकता है लेकिन समाज को जनजागृत करने का काम कौन करेगा, कौन जनमानस को यह बात समझाएगा की मृत्यु से बचना है तो सरकार की बातों को मानना ही होगा | सभी प्रकार के आन्दोलन एवं आयोजन मनुष्य के जीवन से अधिक कीमती नहीं हो सकते हैं | राजनैतिक सामाजिक जिद्द कहीं हमारे ही समाज के लोगों को अकाल मृत्यु की राह पर न धकेल दे | समाज के स्थानीय लोगों को इसके लिए चेतना प्रवाह करना ही होगा | यही आज के समय का सबसे बड़ा सामाजिक कार्य है | सभी प्रकार के भ्रमों से दूर रहते हुए, सभी प्रकार के पूर्वाग्रहों से दूर रहते हुए समाज को बचाने का कार्य करना होगा |


डॉ. कन्हैया झा 

Dr. Kanhaiya Jha

9958806745



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