बंगाल का सियासी दांव-पेच

राजनीति का क्षेत्र व्यापक संभावनाओं का क्षेत्र है | इस क्षेत्र की अपनी विशेषताएं है | रोटी, कपडा और मकान के बाद जिस चीज की सबसे बड़ी आवश्यकता होती है वह है, सम्मान | सम्मान के लिए व्यक्ति किसी भी स्तर तक चला जाता है तथा सम्मान पर ठेस पहुँचने से व्यक्ति बड़ी से बड़ी चीज को भी छोड़ देता है | 

अपने सम्मान की रक्षा के लिए सबसे बड़ी चीज है दृढ इक्षाशक्ति | यही दृढ इच्छा शक्ति राजनीति के लिए आवश्यक है | इतिहास गवाह जब कभी राजनेता या राजनैतिक दल की इच्छा शक्ति प्रबल होती है तो बड़े से बड़े कार्य को करना संभव होता है | कुछ दशक पूर्व तक भारतीय जनता पार्टी को उत्तर भारत की पार्टी कहा जाता था | दक्षिण एवं पूर्वोत्तर भारत में इसका अस्तित्व नाम मात्र का ही था | जब से भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा गृहमंत्री अमित शाह की राह पर कार्य करना प्रारंभ किया है तब से पार्टी का व्यापक विस्तार सम्पूर्ण देश में हो गया है | 

आने वाला सबसे बड़ा चुनाव बंगाल का विधान सभा चुनाव है | कभी तृणमूल कांग्रेस पार्टी द्वारा वर्षों से सत्तासीन वामपंथियों की सत्ता को उखाड़ने के लिए परिवर्तन का नारा दिया था, जिसको बंगला में कहा गया ‘चलो पलटाई’ | आज भारतीय जनता पार्टी भी उसी उसी राह पर बंगाल से तृणमूल कांग्रेस पार्टी को उखाड़ फेंकने के लिए परिवर्तन यात्रा निकाल रही है | 

आज मोदी-अमित शाह की जोड़ी के कारण देश ही नहीं दुनिया की नज़रे भी बंगाल की राजनीति  पर है | बंगाल का राजनैतिक शोर दिल्ली की मीडिया में जोर-शोर से उठाया जा रहा है | भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ट नेता श्री अटल बिहारी बाजपाई तथा श्री लालकृष्ण आडवानी की सदैव इच्छा रही की बंगाल में भाजपा का विस्तार किया जाये | काल मार्क्स की यह युक्ति कि “कुछ हासिल करने के लिए हमें उस काम के प्रति दृढ संकल्प प्रदर्शित करना होगा |” शाह-मोदी की  जोड़ी पर सटीक बैठती है | 

आज भाजपा केवल उत्तर भारत की पार्टी न होकर देश के चारो और सत्ताकेन्द्रित हो चुकी है | देश के अधिकतर बड़े और प्रभावी राज्यों पर भारतीय जनता पार्टी या गठबंधन की सरकारें हैं | अमित शाह का सपना पूर्ण हुआ जब देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए प्रचंड बहुमत की सरकार उन्होंने बनवाई | अब उन्हीं के मार्गदर्शन में बंगाल का रण भी जीतने की कवायद चल रही है | 

पश्चिम बंगाल शुरू से ही आर्थिक तथा सांस्कृतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण रहा है| बंगाल की लोक संस्कृति ने पूरे भारत में अपना प्रसार किया है | बंगाल की विशिष्ट संस्कृति प्राचीन भारत की झलक को दिखाती है | जब अंग्रेजों का भारत में आगमन हुआ, उस समय बंगाल ही आर्थिक गतिविधियों का केंद्र था क्योंकि यह शहर समुद्र के किनारे पर बसा था | विदेशों से आने वाले यहीं के बंदरगाहों पर अपना समान उतारते थे | बाद में दिल्ली तथा मुंबई आर्थिक तथा राजनैतिक राजनधानी बनी | किन्तु बंगाल ने अपना सांस्कृतिक अस्तित्व सदैव बचाकर रखा | 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि ममता बनर्जी का सफल राजनैतिक व्यक्तित्व है | किसी राजनीतिक दल से बाहर आकार अपना दल खड़ा करना तथा सत्ता की प्राप्ति करना यह आसान काम नहीं होता है | इसके लिए ममता बनर्जी ने दिन रात एक करके सफलता प्राप्त की थी | जब बंगाल में सिंगुर का आन्दोलन चल रहा था और नंदीग्राम में पुलिस की फायरिंग हुई, उस समय बंगाल की राजनीति उफान पर थी | यह समय ममता बनर्जी के लिए राजनीतिक पृष्ठभूमि तैयार करने के लिए उपयुक्त समय था | इसी घटनाक्रम ने ममता बनर्जी को राजनैतिक जमीन दी| 

अब भारतीय जनता पार्टी बंगाल में सत्ता पर काबिज होने के लिए दिन रात काम कर रही है | ममता बनर्जी के परिवार वालों पर लगने वाले भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण जनता में पार्टी की छवि ख़राब हो रही है | इस कारण से ममता बनर्जी की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह भी लग रहे हैं | वहीं भाजपा इस मुद्दे को राजनैतिक मुद्दा बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है |

आने वाले चुनाव में सबसे गंभीर विषय वहां का शांतिपूर्वक चुनाव कराना होगा| क्योंकि बंगाल की खूनी राजनीति के कारण अनेक लोग कालकलवित हो सकते हैं| चुनाव आयोग को बहुत ही हिम्मत तथा व्यवस्था के साथ इस गंभीर विषय पर अपना ध्यान देना चाहिए | 

डॉ. कन्हैया झा
Dr. Kanhaiya Jha

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